tag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post7057626852021923581..comments2023-12-02T14:56:14.755+05:30Comments on नारी , NAARI: पुरूष कुछ भी करे और पत्नी से कुछ भी करवाये तो क्या पत्नी को सजा देना ठीक हैं ??रेखा श्रीवास्तवhttp://www.blogger.com/profile/00465358651648277978noreply@blogger.comBlogger13125tag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-56369560331924003662009-04-15T15:02:00.000+05:302009-04-15T15:02:00.000+05:30kabtak mom si pighalti rahogi tum.
kabtak nadi si ...kabtak mom si pighalti rahogi tum.<br />kabtak nadi si gandagi dhoti rahogi tum.bahut kiya tum bahutere ke liye.ab galo sirf apne andhere ke liye.SUNIL KUMAR SONUhttps://www.blogger.com/profile/11191165434727544898noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-27200942089229840262009-04-13T13:43:00.000+05:302009-04-13T13:43:00.000+05:30जी हाँ अमर जी यही सही इलाज हैं जो पत्नियां नहीं कर...जी हाँ अमर जी यही सही इलाज हैं जो पत्नियां नहीं करती , जिस दिन करने की हिम्मत कर लाएगी समाज मे सुधार ख़ुद आजेगा । धन्यवाद सही विकल्प सुझाने के लिये । यही मकसद होता मेरा की कोई विकल्प आये जो सही का साथ दे । थैंक्स अगेनAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-56113850927369557492009-04-13T12:21:00.000+05:302009-04-13T12:21:00.000+05:30@रचना जी,ऐसी बेहूदा और वाहियात हरकत के लिये 'मनुहा...@रचना जी,<BR/>ऐसी बेहूदा और वाहियात हरकत के लिये 'मनुहार' करने वाले को वहीं थप्पड़ नहीं जड़ देना चाहिये था क्या? स्त्री जब ख़ुद अपनी ना का आदर करते हुए दृढ़ नहीं रह सकती तो फिर यह 'बेचारापन' ढोंग के सिवा कुछ नहीं लगता।Dr. Amar Jyotihttps://www.blogger.com/profile/08059014257594544439noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-7767304966027416542009-04-13T09:57:00.000+05:302009-04-13T09:57:00.000+05:30डॉ० कुमारेन्द्र सिंह सेंगर बात नारी और पुरूष की नह...डॉ० कुमारेन्द्र सिंह सेंगर <BR/>बात नारी और पुरूष की नहीं हैं बात हैं पति और पत्नी की । बात हैं समाज मे पत्नी किसी भी वर्ग की हो पति के लिये "मेरी प्रोपर्टी "से ज्यादा नहीं होती । हम ख़ुद समाज को अलग अलग वर्गों मे बाँटते हैं और फिर हर वर्ग की समस्या को अलग नज़रिये से देखते हैं । यही बात पति पत्नी के लिये हमारी व्याप्त सोच मे हैं । पति जो चाहे कर सकता हैं पर पत्नी नहीं और पति की बात जो ना माने उसको को तो समाज की मान्यता ही नहीं है । और ये बात हर वर्ग मे हैं ।Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-8537146164849561952009-04-13T09:55:00.000+05:302009-04-13T09:55:00.000+05:30बिल्कुल ही गन्दा प्रदर्शन था ....सब उल्टा हुआ .......बिल्कुल ही गन्दा प्रदर्शन था ....सब उल्टा हुआ ....ऐसा नहीं होना चाहिएअनिल कान्तhttps://www.blogger.com/profile/12193317881098358725noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-60095685652530069552009-04-13T09:16:00.000+05:302009-04-13T09:16:00.000+05:30यहाँ पर हमारा थोड़ा सा विरोधी स्वर है वह ये कि टिवं...यहाँ पर हमारा थोड़ा सा विरोधी स्वर है वह ये कि टिवंकल कोई बच्ची तो है नहीं और हमारे तथाकथित समाज के अस वर्ग का हिस्सा भी नहीं है जहाँ पति परमेश्वर के रूप में पूजा जाता है। यदि वो चाहती तो लजाकर न सही पूरे हठ के साथ मनाकर सकती थी। <BR/>हमारा हमेयाा से मानना रहा है कि महिलाओं को हमेयाा इस सोच से निकलने की आवश्यकता है कि उसके शोषण के लिए सिर्फ पुरुष ही जिम्मेवार है। <BR/>टिवंकल जैसी महिलायें ही नारी आजादी की गलत परिभाषा रचतीं हैं और बाद में स्यापा करतीं हैं। हमें इस स्यापे का हिस्सा होने से बचना होगा। <BR/>याद रखिए ये पूरी घटना किसी नारी शोषण की नहीं, पुरुष वर्चस्व की नहीं, महिला हिंसा की नहीं उस संस्कृति की है जहाँ रिश्तों का मोल नहीं, गरिमा का मोल नहीं, संस्कारों का मोल नहीं सिर्फ और सिर्फ नंगई का मोल है।राजा कुमारेन्द्र सिंह सेंगरhttps://www.blogger.com/profile/16515288486352839137noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-62070706331962010932009-04-13T08:40:00.000+05:302009-04-13T08:40:00.000+05:30डॉ अमर पत्नी का अस्तित्व नहीं हैं समाज मे आज भी की...डॉ अमर पत्नी का अस्तित्व नहीं हैं समाज मे आज भी की वो सरे आम पति की बात को काट सके । अगर ऐसा होता हैं तो वो पत्नी भारतीये सभ्यता की विरोधी समझी जाती हैं । <BR/>रविंदर रंजन जी मैने यहाँ जुस्तिफ्य नहीं किया हैं बल्कि दो नो को कपेयर कर करके हमारे अंदर जो स्त्री के प्रति सोच हैं उसको निकाला हैं जहाँ पुरूष के लिये सब सही हैं और स्त्री के लिये सब ग़लतAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-90533721865052494942009-04-13T08:32:00.000+05:302009-04-13T08:32:00.000+05:30मुद्दा स्त्री - पुरूष का नहीं हैं यहाँ । मुद्दा है...मुद्दा स्त्री - पुरूष का नहीं हैं यहाँ । मुद्दा हैं हम किस प्रकार से रेअक्ट करते हैं जब पुरूष कुछ करता हैं और अपनी पत्नी से करवाता हैं और अगर एक स्त्री कुछ करती हैं । मुद्दा हैं की हमारे संस्कार क्यूँ पत्नी की ना को नहीं सुनते क्यूँ उसको मनुहार करके गलत काम के लिये उकसाते हैं और दोष मे भागीदार बनाते हैं । क्या स्त्री की ना का कोई मतलब ही नहीं हैं ?? और ये विडियो उपलब्ध नहीं हैं अब अन्यथा लिंक देती और दिखाती की किस प्रकार से ट्विंकल की ना को बिल्कुल इग्नोर किया गया । सामाजिक कुरीति का मुद्दा हैं सीधा सीधा और उस तरह ही देखे । मे स्पष्ट शब्दों मे इस को एक बहुत गन्दी और बेहूदी हरकत मानती हूँ पर ट्विंकल को नहीं अक्षय ओ इसके लिये जिम्मेदार मानती हूँ । और अपने समाज मे फैली इस सोच को जिम्मेदार मानती हूँ की पत्नी जागीर हैं पति की जो चाहो कराओ ।Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-22061074642863245662009-04-13T07:57:00.000+05:302009-04-13T07:57:00.000+05:30क्षमायाचना और पूरे आदर के साथ कहना चाहता हूं कि आप...क्षमायाचना और पूरे आदर के साथ कहना चाहता हूं कि आपका आलेख इकतरफ़ा है। ट्विंकल कोई छोटी बच्ची नहीं है कि उससे 'करवाया' गया। बदतमीज़ी में बराबर की भागीदार है वह। ख़ैर!Dr. Amar Jyotihttps://www.blogger.com/profile/08059014257594544439noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-41793635641471692802009-04-13T01:50:00.000+05:302009-04-13T01:50:00.000+05:30इस तरह कि हरकते भारतीय सस्कारो एवम सस्कृति के विपर...इस तरह कि हरकते भारतीय सस्कारो एवम सस्कृति के विपरीत है। इसलिए शायद हम इसे जस्टिफाई कर नही सकते। राम के शासन के मुताबिक आपका समर्थन कुछ बातो पर करने मे कठिनाई नही है। रचनाजी जहॉ तक मुझे ज्ञात है आप अच्छी साहत्यक जानकार होने के साथ जिम्मेदार लेखन भी करती है। मै आपकी लिखाई का प्रबल प्रसशक हू, अथवा बुरा को बुरा कहने मे गलत को गलत कहने मे कोई हर्ज नही पर इसे नारी V/S पुरुष से ना जोडे, १२५ करोड लोगो मे एसी बाते रोकना मुमकिन नही है, क्यो कि सस्कारो को घोटकर नही पिलाया जा सकता। आभार<BR/><BR/>आपका प्रशसकMUMBAI TIGER मुम्बई टाईगरhttps://www.blogger.com/profile/12686479234497210080noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-24113420922230268272009-04-12T22:49:00.000+05:302009-04-12T22:49:00.000+05:30मैंने वह पूरा वीडियो देखा है। उसमें कहीं भी अक्षय ...मैंने वह पूरा वीडियो देखा है। उसमें कहीं भी अक्षय को दबाव नहीं डाल रहे हैं। वह ट्विंकल को उकसा रहे हैं...ऐसा नहीं है कि टिवंकल उनके उकसाने पर भी वैसा नहीं करतीं तो अक्षय उनसे नाराज हो जाते, जुदा हो जाते, तलाक की नौबत आ जाती। यहां पर दोनों गलत हैं। आप किसी एक को जस्टीफाई नहीं कर सकतीं।Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/09390660446989029892noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-82492735972670270082009-04-12T22:01:00.000+05:302009-04-12T22:01:00.000+05:30बहुत ही भद्दा प्रदर्शन था वह। लेकिन शायद वह संस्कृ...बहुत ही भद्दा प्रदर्शन था वह। लेकिन शायद वह संस्कृति ऐसी ही है। एक और लड़की ने अपनी स्वेच्छा से (या स्क्रीन प्ले के मुताबिक) जिप खोलना चाहा था। लेकिन उसे नहीं खोलने दिया गया। फिर पत्नी से खुलवाया गया और उस ने बेशर्मी से खोल दिया। वह लजा कर मना भी कर सकती थी और सख्ती से नाराजगी दिखाते हुए भी। पर उस संस्कृति में नंगे और ढके का कोई फर्क नहीं है शायद। शायद यह सिद्ध करना चाहा हो कि जिप खोलने का हक सिर्फ पत्नी का है किसी और का नहीं। बहुत बातें हैं जो सोची जा सकती हैं।दिनेशराय द्विवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-59477836614698507722009-04-12T20:46:00.000+05:302009-04-12T20:46:00.000+05:30बुरी बातबुरी बातमोहन वशिष्ठ https://www.blogger.com/profile/00939783274989234267noreply@blogger.com