tag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post6635195669960736209..comments2023-12-02T14:56:14.755+05:30Comments on नारी , NAARI: मेरे घर की तीन बिगड़ी दिल शहजादियारेखा श्रीवास्तवhttp://www.blogger.com/profile/00465358651648277978noreply@blogger.comBlogger13125tag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-12813159116996388792010-08-31T13:17:57.624+05:302010-08-31T13:17:57.624+05:30Dr Mahesh
Kindly refer to sumans reply to monica ...Dr Mahesh <br />Kindly refer to sumans reply to monica in comment section for इस पोस्ट में मिलने वाली खानदानी संपत्ति के उल्लेख का क्या संदर्भ है समझ नहीं आया । <br />rest if suman wants to any other clarification she will do itरचनाhttps://www.blogger.com/profile/03821156352572929481noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-5058264368456837332010-08-31T12:32:32.382+05:302010-08-31T12:32:32.382+05:30लोगों की सोच में बहुत बदलाव आया है । पहले बेटी शाद...लोगों की सोच में बहुत बदलाव आया है । पहले बेटी शादी के पहले किसी और जगह जाकर पढ़ने का सोच नहीं सकती थी कई परिवारों में तो ये बंधन लड़को तक में था । आज न केवल लड़कियां बाहर जाकर पढ़ रही हैं बल्कि नौकरी भी कर रही हैं । लड़के भी अब समझ रहे हैं की गृह कार्य मिल बाँट के किया जाएगा । <br />इस पोस्ट में मिलने वाली खानदानी संपत्ति के उल्लेख का क्या संदर्भ है समझ नहीं आया ।डॉ महेश सिन्हाhttps://www.blogger.com/profile/18264755463280608959noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-47236544056461573322010-08-31T11:23:07.263+05:302010-08-31T11:23:07.263+05:30suman ji,
aisa nahi hai ki aisa aaj hi hua ...suman ji,<br /> aisa nahi hai ki aisa aaj hi hua hai.itne bade aur paise wale gharon me jahan ladkiyaan iklauti hoti hai ya unke paas dher sara paisa hota hai ya wo ghar ke purush sadaayon ki laadli hoti,aise udahran koi nai baat nahi hai.<br /> aisi har ladki ke man me bhi wo hi paramparik bhartiya stree hoti hai jo pati ko abhibhavak hi samajhti hai.aur usme apne pita ki hi chavi dekhti hai.shadi ke baad ve achanak badal jati hai.pahle chahe jitni naarivadi rahi ho.<br /> @लेकिन परम्परागत कामो को नहीं करती हैं जो लड़कियों के समझे जाते हैं<br /> aaj hum ladkiyon ko wo hi samjha rahe hai jo aaj tak ladko ko samjhate rahe.hum apne pariwaron me aisa mahaul kyon nahi bana pate jisse4 ladke aur ladkiyaan inhe chota kaam na samjhe. <br /> phir bhi aap in udahranon dwara yadi ye batana chahti hai ki ladkiyon ki soch me parivartan aa raha hai to main apki baat hi sach manunga.aap mahila hai aur is baare me mujhse jyada janti hai.राजनhttps://www.blogger.com/profile/05766746760112251243noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-32289184276714914512010-08-31T09:11:05.222+05:302010-08-31T09:11:05.222+05:30रचना जी/ अंशुमाला जी
आप दोनों के कमेन्ट से सहमत हो...रचना जी/ अंशुमाला जी<br />आप दोनों के कमेन्ट से सहमत होते हुए भी ये याद दिलाना चाहती हूँ की खाना पकाना एक ऐसा काम हैं जिसको सदियों से नारियों का काम कहा जाता हैं । इस से बहुत थे लडकियां इसको निम्न स्तर का काम समझती हैं सो नहीं करना चाहती हैंसुमन जिंदलhttps://www.blogger.com/profile/15407930714166019745noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-24186973533468211302010-08-31T08:57:07.451+05:302010-08-31T08:57:07.451+05:30शोभना दी
बात मेइड रखने तक की नहीं हैं बात हैं की य...शोभना दी<br />बात मेइड रखने तक की नहीं हैं बात हैं की ये पढ़ी लिखी नयी पीढ़ी की लडकिया "सोच "सकती हैं अपने भविष्य के बारे मे और फैसला भी ले सकती हैं और उनके अभिभावकों को इस से कोई आपत्ति नहीं हैं । अब प्रशन हैं की अगर लड़कियों के अभिभावक इतना बदल जायेगे और लडको के नहीं बद्लेगे तो भविष्य मे क्या होगा ।सुमन जिंदलhttps://www.blogger.com/profile/15407930714166019745noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-54932116881336582362010-08-31T08:54:11.371+05:302010-08-31T08:54:11.371+05:30डॉ० कुमारेन्द्र सिंह सेंगर said...
तीनों बच्चियों ...डॉ० कुमारेन्द्र सिंह सेंगर said...<br />तीनों बच्चियों के साथ (एक युवा लड़की भी है इनमें) ननिहाल से मिलती अकूत संपत्ति है. इतनी संपत्ति देख कर तो कोई................<br /><br />वाक्य को अधुरा छोड़ कर हम खुद भी भ्रमित होते और दुसरो को भी भ्रमित करते हैं । इस प्रकार के कमेन्ट से आप के प्रति दुसरो की सोच बदल सकती हैं ।<br />पोस्ट लिखने का उदेश्य महज ये दिखना हैं की आज के "माँ -पिता " अपनी बेटियों को अपरम्परागत तरीके से बड़ा कर रहे हैं सो उन बेटियों से परम्परागत स्त्री के लिये पूर्व निरधारित बात करना कितना संभव और सही होगा । क्युकी वो इस बात को शायद समझ भी नहीं सकती की बहु / पत्नी बनते ही उनका जीवन "बदल जाना " हमारे समाज की आवश्यकता हैंसुमन जिंदलhttps://www.blogger.com/profile/15407930714166019745noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-31373079379044855732010-08-31T08:49:57.007+05:302010-08-31T08:49:57.007+05:30मोनिका जी
आप ने शायद ध्यान नहीं दिया यहाँ बात पैसे...मोनिका जी<br />आप ने शायद ध्यान नहीं दिया यहाँ बात पैसे की नहीं हैं यहाँ बात एकलौती लड़कियों के लालन पालन के तरीके की हैं । पैसे का उल्लेख महज इस लिये किया गया हैं क्युकी सदियों से दहेज़ के नाम पर ना जाने कितना पैसा लड़की वाले लडके वालो को देते रहे हैं । शिक्षा के प्रसार ने लड़कियों मे ये जाग्रति पैदा कर दी हैं की "उनका पैसा " भी होता हैं ।सुमन जिंदलhttps://www.blogger.com/profile/15407930714166019745noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-66975563215037752112010-08-30T23:32:41.930+05:302010-08-30T23:32:41.930+05:30तीनों बच्चियों के साथ (एक युवा लड़की भी है इनमें) न...तीनों बच्चियों के साथ (एक युवा लड़की भी है इनमें) ननिहाल से मिलती अकूत संपत्ति है. इतनी संपत्ति देख कर तो कोई................<br />आगे रही बात काम करने की तो खाना बनाना सभी को आना चाहिए, ये सही है. फिर एक बात और महिला-पुरुषों के काम का वर्गीकरण अभी मध्यम वर्ग में बहुत है इनकी हैसियत से ये शायद ही उस परिवार में जाएँ जहाँ नौकर आदि न हों?<br />शेष तो भविष्य के गर्भ में छिपा है.<br />-----------------------------------------<br />वैसे इस मूड बुद्धि में इस पोस्ट का आशय समझ नहीं आया??????<br /><b>जय हिन्द, जय बुन्देलखण्ड</b>राजा कुमारेन्द्र सिंह सेंगरhttps://www.blogger.com/profile/16515288486352839137noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-32601064565192058582010-08-30T22:05:31.465+05:302010-08-30T22:05:31.465+05:30मेड कोई समस्या का हल नहीं ?जब वो रखेगी तब समझ पाये...मेड कोई समस्या का हल नहीं ?जब वो रखेगी तब समझ पायेगी |जिस किसी भी तरह का पालन पोषण हो लड़का या लड़की का समय और परिस्थिति के अनुसार अपने आप को ढालना ही पड़ता है<br />---------------------------------<br />शोभना जी के इन विचारों से पूरी तरह सहमत। <br />साथ ही यह भी मानती हूँ की ससुराल तो क्या कुछ साल और बीत जाने दीजिये ऐसी बेटियां खुद माता पिता को भी पैसे के दम पर ही तोलना शुरू कर देंगीं। डॉ. मोनिका शर्मा https://www.blogger.com/profile/02358462052477907071noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-75175701793472348272010-08-30T21:03:07.159+05:302010-08-30T21:03:07.159+05:30तीनो लड़कियाँ अपने स्थान पर सही हैं। लेकिन लड़के औ...तीनो लड़कियाँ अपने स्थान पर सही हैं। लेकिन लड़के और लड़कियों को सभी काम आने चाहिए। मेरे बेटे ने खाना बनाना पहले सीखा उस से बड़ी बेटी ने बाद में लेकिन दोनों को हाथ का खाना खाना पसंद है। वैसे यदि काम से समय कम है तो मे़ड रखने में कोई बुराई नहीं है। <br />विवाह कोई जरूरी चीज नहीं। वह व्यक्तिगत संपत्ति के साथ अस्तित्व में आया था जब समस्या यह उत्पन्न हुई कि पुरुष की संपत्ति का उत्तराधिकार किसे मिले। इसी विवाह ने पुरुष प्रधान समाज की नींव डाल दी।दिनेशराय द्विवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-12511050517990736372010-08-30T18:19:40.231+05:302010-08-30T18:19:40.231+05:30मेड कोई समस्या का हल नहीं ?जब वो रखेगी तब समझ पाये...मेड कोई समस्या का हल नहीं ?जब वो रखेगी तब समझ पायेगी |जिस किसी भी तरह का पालन पोषण हो लड़का या लड़की का समय और परिस्थिति के अनुसार अपने आप को ढालना ही पड़ता है<br />कितना भी रुपया हो ?शादी न भी करे तो भी खाना तो बनाना ही होता है और अगर विदेश में रहना है तो अनिवार्य हो जाता है घर पर खाना बनाना |ये भी लड़का लडकी पर समान रूप से लागू |<br />काम का वर्गीकरण समाज में लडके लडकियों का हमने ही किया है किन्तु आज के लडके कोई भी काम करने में सकोच नहीं करते चाहे बच्चे की नैपी बदलना हो ?या अपनी पत्नी का टिफिन भरना हो ?बच्चे को पढ़ना हो ?अपने माता पिता के कार्यो में भी मदद करते है |<br />इन सबके बावजूद कुछ काम ऐसे होते है छोटे बछो के संदर्भ में जो सिर्फ महिला के हिस्से में दिए है प्रक्रति ने |वो तो कारन aही होगा ख़ुशी ख़ुशी |<br />उदार मन से देखिये और अगर पश्चिमी सभ्यता (पहनावा )को अपनाया है तो वहा के रहन,सहन कार्य प्रणाली की और भी नज़र रखने का प्रयास करे |<br />वहां तो कोई मेड भी नहीं मिलती चाहे हमे कितनी भी भारतीय मिलकियत मिल जाये ?शोभना चौरेhttps://www.blogger.com/profile/03043712108344046108noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-15487850145861957852010-08-30T17:54:04.984+05:302010-08-30T17:54:04.984+05:30rachana ji se sahmat hurachana ji se sahmat huanshumalahttps://www.blogger.com/profile/17980751422312173574noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-12721818630193125952010-08-30T16:09:01.937+05:302010-08-30T16:09:01.937+05:30लड़कियों के लिये शादी ही आखरी पढाव नहीं हैं
खाना ब...लड़कियों के लिये शादी ही आखरी पढाव नहीं हैं<br />खाना बनाना सबको आना चाहियेरचनाhttps://www.blogger.com/profile/03821156352572929481noreply@blogger.com