tag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post6596739824992003193..comments2023-12-02T14:56:14.755+05:30Comments on नारी , NAARI: एक फिल्म से पुरुष समाज में इतनी हल चल क्यों ?रेखा श्रीवास्तवhttp://www.blogger.com/profile/00465358651648277978noreply@blogger.comBlogger1125tag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-75440079394600718872015-03-11T15:06:26.445+05:302015-03-11T15:06:26.445+05:30" रेप करने वाले क्या सोचते हैं इसको दिखा कर ..." रेप करने वाले क्या सोचते हैं इसको दिखा कर क्या हासिल होगा?" <br />इसका उत्तर जानने से पहले हमें कुछ और प्रश्नों पर विचार करना होगा, यथा- रोग उत्पन्न करने वाले किसी वायरस या बैक्टीरिया के बारे में जानने से क्या होगा, पैथोलॉजी के अध्ययन की क्या आवश्यकता, अपराधशास्त्र के अध्ययन का क्या औचित्य, अपराध मनोविज्ञान को पढ़ने और उस पर शोध करने का क्या लाभ .......??? <br />इन सारे प्रश्नों का एक ही उत्तर है कि किसी भी विकार की पूरी प्रक्रिया समझ कर ही उसका समुचित निदान सम्भव होता है । केवल दोषारोपण से काम नहीं चलेगा क्योंकि अंततः यौन अपराधों के सारे ख़ामियाज़े और तकलीफ़ें स्त्री को ही भोगने के लिये विवश होना पड़ता है, पुरुष इससे पूरी तरह मुक्त है । उसकी यह मुक्ति ही उसे अगली बार के लिये उत्साहित करती है । हमें यौन अपराधों के उन सारे कारणभूत घटकों को समाप्त (..../ न्यूनतम) करने की दिशा में चिंतन करना होगा जिन्हें करने में सत्ता और समाज अभी तक सफल नहीं हो सके हैं । निश्चित ही इस दिशा में कठोरता से विचार करने और उपायों के क्रियान्वयन की आवश्यकता है । बस्तर की अभिव्यक्ति जैसे कोई झरनाhttps://www.blogger.com/profile/11751508655295186269noreply@blogger.com