tag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post6532230724740864958..comments2023-12-02T14:56:14.755+05:30Comments on नारी , NAARI: " ईश्वर करे बेटा हो "रेखा श्रीवास्तवhttp://www.blogger.com/profile/00465358651648277978noreply@blogger.comBlogger8125tag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-68049140969945979902010-03-09T17:15:38.892+05:302010-03-09T17:15:38.892+05:30bahut sahi jagah par apni baat rakhi hain aapnebahut sahi jagah par apni baat rakhi hain aapneसंजय भास्कर https://www.blogger.com/profile/08195795661130888170noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-68586536677260320982009-12-01T11:33:41.296+05:302009-12-01T11:33:41.296+05:30वन्दना अवस्थी दुबे
chaliyae aap ne karan to batay...वन्दना अवस्थी दुबे <br />chaliyae aap ne karan to bataye yahii jaruri tha <br />ab koi baataye gaa ki aap jo karan dae rahee hae unko theek kaese kiya jaaye ???Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-42489771691535741822009-11-30T23:22:32.333+05:302009-11-30T23:22:32.333+05:30लडकियों की सुरक्षा, दहेज और सदियों से चली आ रही वन...लडकियों की सुरक्षा, दहेज और सदियों से चली आ रही वन्शवृद्धि या कंधा देने जैसी मान्यताएं ही इसके मूल में हैं. शादी के बाद लडकी का कुल गोत्र सब बदल जाता है, ऐसे में अपने कुल का नाम चलाने वाले की चिन्ता ही लडकी के जन्म पर शोक का कारण बनती है.वन्दना अवस्थी दुबेhttps://www.blogger.com/profile/13048830323802336861noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-84197784212867487552009-11-30T23:07:44.171+05:302009-11-30T23:07:44.171+05:30घर की दादी ही ज्यादा चाहतीं हैं कि बेटा हो, नई पीढ़...घर की दादी ही ज्यादा चाहतीं हैं कि बेटा हो, नई पीढ़ी के साथ-साथ बुजुर्ग महिलाओं को भी समझाया जाए कि लडकिया भी परिवार का नाम आगे बढ़ातीं हैं.राजा कुमारेन्द्र सिंह सेंगरhttps://www.blogger.com/profile/16515288486352839137noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-23515316718604899152009-11-30T19:17:14.266+05:302009-11-30T19:17:14.266+05:30बेटे-बेटी में फर्क करना लोगों ने छोड़ा, पर अपने पै...बेटे-बेटी में फर्क करना लोगों ने छोड़ा, पर अपने पैरों पर खड़े होने के बावजूद सामाजिक धरातल पर कोई बदलाव नहीं......लडकी की शिक्षा से लड़के की शिक्षा, नौकरी ऊपर हो(वरना लड़के को बर्दाश्त नहीं होता), .......इसमें परिवर्तन नहीं आएगा......इस मानसिकता को बदलना आसान नहीं.<br />कथनी और करनी में आज भी असमानता है............दहेज़(कैश)की मांग आज भी है...........रूप, रंग.......गुण से ऊपर! यह विरोधाभास बना रहेगा . <br />इसीलिए मध्यमवर्गीय परिवार लडकी की पैदाइश से घबराता है, और कम अक्ल वाले उसे ख़त्म कर डालते हैंरश्मि प्रभा...https://www.blogger.com/profile/14755956306255938813noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-83352846915539665532009-11-30T19:07:14.480+05:302009-11-30T19:07:14.480+05:30bahut sahi jagah par apni baat rakhi hain aapnebahut sahi jagah par apni baat rakhi hain aapnekishore ghildiyalhttps://www.blogger.com/profile/16989316288193992897noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-47057821097558740702009-11-30T18:45:42.949+05:302009-11-30T18:45:42.949+05:30शोभना जी ने सही कहा इस काम के लिए हम स्त्रियों को ...शोभना जी ने सही कहा इस काम के लिए हम स्त्रियों को ही अपने को समझाना होगा ...अगर हम ही कन्या की हत्या करेंगी तो बचाएगा कौन ....एक दिन तो हम इस जीत के साझीदार होंगे ही ...Renu goelhttps://www.blogger.com/profile/13517735056774877294noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-31900419739917199682009-11-30T17:50:06.781+05:302009-11-30T17:50:06.781+05:30हमारी हिंदू धर्म की मान्यताये ,सामाजिक सुरक्षा ये ...हमारी हिंदू धर्म की मान्यताये ,सामाजिक सुरक्षा ये सब बाते ही ये कहने पर मजबूर करती है की भगवान करे बेटा ही हो |पर अब बहुत कुछ बदल रहा है और फ़िर सदियों से चली आ रही मान्यताओ को बदलने में वक्त लगेगा ही इसके लिए भी नारी को ही प्रयत्न करना होगा और टी .वि .धारावाहिकों की तर्ज तोडनी होगी जो की समाज से बुराई मिटाने का दावा करते हुए उस बुराई की जीत को ही प्रकाश में लाते है |शोभना चौरेhttps://www.blogger.com/profile/03043712108344046108noreply@blogger.com