tag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post6187753522582152355..comments2023-12-02T14:56:14.755+05:30Comments on नारी , NAARI: कौमार्य परीक्षण या गर्भ परीक्षण दोनों केवल नारी के ही तो हो सकते हैं फिर हाय तोबा क्यूँ ??रेखा श्रीवास्तवhttp://www.blogger.com/profile/00465358651648277978noreply@blogger.comBlogger11125tag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-71831432476996578382009-07-16T15:47:05.089+05:302009-07-16T15:47:05.089+05:30पुरुष इस बात को स्वीकार नहीं करेंगे कि संबंध बनाना...पुरुष इस बात को स्वीकार नहीं करेंगे कि संबंध बनाना सभी का अधिकार है.<br />shaayad galat sandarbh ho gaya. shaadi se poorv sambandh banaana kisi ka adhikaar hai to kisi ko shaadi karane se inkaar karane kaa bhi adhikar hai, vah stri ho ya purush.डा.संतोष गौड़ राष्ट्रप्रेमीhttps://www.blogger.com/profile/01543979454501911329noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-59377492638027818992009-07-16T15:41:27.987+05:302009-07-16T15:41:27.987+05:30माँ बनने वाली हैं तो उसको दूसरा विवाह करने
का अधिक...माँ बनने वाली हैं तो उसको दूसरा विवाह करने<br />का अधिकार मध्य प्रदेश सरकार नहीं देगी<br />sarakaar kaa mantavy doosaree shaadee ko rokana nahi thaa. jo yojana thi vah sambhavat pahali shaadi ke liye thi. us yojana ko vistrat padhe bina galat nishkarsh nikal sakate hain.डा.संतोष गौड़ राष्ट्रप्रेमीhttps://www.blogger.com/profile/01543979454501911329noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-90889851222563340312009-07-16T10:54:07.743+05:302009-07-16T10:54:07.743+05:30इन चंद पंक्तियों के माध्यम से आपने बड़ी गहरी बात क...इन चंद पंक्तियों के माध्यम से आपने बड़ी गहरी बात कही है। अब औरतों के कौमार्य को लेकर, विवाह को या सहवास को लेकर चाहे कितने भी बहस किये जाये। इस पुरुषप्रधान समाज में होगा वही जो वो चाहेंगे। पता नहीं नैतिक और अनैतिक की व्याख्या करने वाले इन लोगों को यह क्यों नहीं समझ में आता कि जीवन में कौमार्य से जरूरी भी कई बातें है। ये हमारे समाज की विडंबना ही है कि सारे तरह के नियम कानून केवल औरतों के लिए ही होते है। मर्द चाहे शादी से पहले कितनों के साथ सहवास करें उसका हिसाब लेने वाला कोई नहीं। क्या मर्दो के कौमार्य का कोई मतलब नहीं होता या मान लिया जाता है कि इसके बारे में पूछताछ करने का कोई फायदा नहीं। अगर आज हिसाब लेना ही है तो इस बात का लें कि औरत या मर्द में से किसी को एचआईवीएडस तो नहीं। अगर ये करें तो समाज ज्यादा साफ सुथरा और पीढियां ज्यादा सुरक्षित होगी।मोनिका गुप्ताhttps://www.blogger.com/profile/10069296901095370760noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-19986889295808303282009-07-14T21:42:03.294+05:302009-07-14T21:42:03.294+05:30kyaa likhu ...... nari ki beizzati purush ki izzat...kyaa likhu ...... nari ki beizzati purush ki izzat nahi hotidhiru singh { धीरेन्द्र वीर सिंह }https://www.blogger.com/profile/06395171177281547201noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-85476774405673236522009-07-14T18:58:57.629+05:302009-07-14T18:58:57.629+05:30मुझे लगता है कि मूल सवाल ये है कि अगर कोई महिला वर...मुझे लगता है कि मूल सवाल ये है कि अगर कोई महिला वर्जिन नहीं भी है तो इससे आसमान कैसे फट सकता है? इससे देश और दुनिया का क्या अहित होता है? हम इन बातों को दरकिनार भी कर दे कि साईकिलिंग, रेस्टलिंग या खेलकूद से भी वर्जिनिटी खत्म होने जैसी स्थिति बनती है तो भी इस बात पर हाय तौबा क्यो कि किसी महिला ने शादी से पहले किसी पुरुष से संबंध बना लिए थे? अगर बना लिए थे तो इसमें सिर्फ उसी का कसूर(कसूर जैसा शब्द मुझे लगता है कईयों को सुकून देगा)या सहमति थोड़े ही थी। इसमें तो पुरुष भी बराबर का भागीदार था। लेकिन अभी भी ये सब सिर्फ बहाने है। मूल मुद्दा ये है कि अभी भी 90 फीसदी मर्दों को अक्षत योनि वाली पत्नी ही चाहिए...भले ही वो खुद ही कितनी ही औरतों की वर्जिनिटी खत्म कर चुके हों। जब तक पुरुष इस बात को स्वीकार नहीं करेंगे कि संबंध बनाना सभी का अधिकार है,इसमें गलती या जल्दबाजी हो सकती है-तब तक मामला नहीं सुलझेगा। शादी के बाद इस बात को ज्यादा तूल नहीं देनी चाहिए कि कौन वर्जिन है और कौन डिसवर्जिन। और मजे की बात ये कि चाहे लोग लाख इस पर चिल्ला लें-लेकिन अगर उन्हे पता भी चल गया कि शादी के पहले उनकी बीवी के किसी दूसरे से ताल्लुकात थे तो वे क्या कर लेंगे-सिवाय इसके कि जिंदगी को नर्क बना लें और पत्नी को ताना दें, उसे मारे पींटे। समझदारी इसी में है कि वर्जिनिटी को मुद्दा न बनाया जाए और जिंदगी को यथार्थ के साथ स्वीकारा जाए। हां, ये मुद्दा तभी बन सकता जब इस जम्बूद्वीप के सारे पुरुष ये शपथपत्र दें कि वे भी वर्जिन हैं'sushant jhahttps://www.blogger.com/profile/10780857463309576614noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-33676719702197295782009-07-14T18:23:57.913+05:302009-07-14T18:23:57.913+05:30शर्मनाक मामला है।
-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secreta...शर्मनाक मामला है।<br /><br /><a href="http://za.samwaad.com/" rel="nofollow">-Zakir Ali ‘Rajnish’</a> <br /><a href="http://ts.samwaad.com/" rel="nofollow">{ Secretary-TSALIIM </a><a href="http://sb.samwaad.com/" rel="nofollow">& SBAI }</a>Science Bloggers Associationhttps://www.blogger.com/profile/11209193571602615574noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-26443579026019105382009-07-14T16:07:14.994+05:302009-07-14T16:07:14.994+05:30अमर ज्योति बात केवल कौमार्य/प्रेगनैंसी परीक्षण की ...अमर ज्योति बात केवल कौमार्य/प्रेगनैंसी परीक्षण की नहीं हैं बात हैं की <br />नारी के प्रति इतनी असम्वेदन शीलता क्यूँAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-85188621204987784632009-07-14T16:00:57.758+05:302009-07-14T16:00:57.758+05:30कौमार्य परीक्षण बर्बर, पुरुषवादी,सामन्ती मानसिकता ...कौमार्य परीक्षण बर्बर, पुरुषवादी,सामन्ती मानसिकता की अभिव्यक्ति के अतिरिक्त कुछ भी नही है। यह वही मानसिकता है जिसके चलते लेडी डायना को भी विवाह से पहले अपना कौमार्य परीक्षण करवाना पड़ा था। और यह मानसिकता हमारे संस्कारों में इतनी गहरी पैठ चुकी है कि सुजाता जी जैसी प्रगतिकामी एवम बहादुर महिला भी यह सफ़ाई देती नज़र आती हैं कि 'विज्ञान ही यह साबित कर चुका है कि हाइमेन का भंग होना प्रथम सम्भोग से ही नहीं होता……। असली प्रश्न स्त्री की अस्मिता, उसके अपने शरीर पर उसके स्वत्वाधिकार का है। 'कौमार्य भंग'संयोग वश हुआ हो, जबरन,या स्वेच्छा से;वह स्त्री का नितान्त निजी मामला है जिसमें ताक-झांक करने का अधिका्र किसी को भी नहीं होना चाहिये।Dr. Amar Jyotihttps://www.blogger.com/profile/08059014257594544439noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-61966672567160635542009-07-14T14:49:01.839+05:302009-07-14T14:49:01.839+05:30क्या कुश इतनी म्हणत से लगाए मेरे ! ! मार्क
आप न...क्या कुश इतनी म्हणत से लगाए मेरे ! ! मार्क <br />आप ने मिस करदिये . और ज़रा ये तो बताये <br />"शिक्षा का प्रसार " किसे चाहिये ? आप बात कर<br />रहे हैं उन की जो इस तरह सामूहिक विवाह करते <br />हैं और मे बात कर रही उनकी जो इस विवाह का<br />आयोजन करते हैं और उन ब्लॉगर की जो पढ़ने<br />लिखने के बाद ही इतने सक्षम हैं की कमेन्ट<br />करते हैं . ये पोस्ट बताती है की हम कितना भी <br />पढ़ लिखा जाये आज भी औरत के देह और<br /> उसकी कोख की कारन समय असमय उसको <br />प्रतारणा देते रहेते हैं . हमारे हिंदी ब्लॉग समाज<br />मे सबसे ज्यादा इस प्रकार का लेखन हो रहा हैं<br />जहां औरत को केवल और केवल बच्चा पैदा करने <br />के लिये ही बनाया गया हैं इस बात का प्रचार सो <br />कॉल्ड ब्लॉग साइंटिस्ट कर रहे हैं तो फिर वो शादी<br /> से पहले माँ बने या बाद मे इस से क्यूँ फरक पड़ता <br />हैं . किसको शिक्षित करने की बात कर रहे हो दोस्त<br />शिक्षित को क्या पढाया जा सकता हैं ??!!बात स्त्री पुरुष की नहीं हैं बात हैं मानसिकता की <br />जिसमे हर टेस्ट केवल औरत का ही होता हैं <br />पोस्ट का टंच शायद तुम पकड़ नहीं पाये या मै <br />समझा नहीं पयाईAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-2510098377926165812009-07-14T12:41:10.234+05:302009-07-14T12:41:10.234+05:30स्त्री और पुरूश दोनों सृिश्ट के संचालन या यूं कहें...स्त्री और पुरूश दोनों सृिश्ट के संचालन या यूं कहें कि स्त्री को मातृ ऋण और पुरूश को पितृ ऋण उतारना होता है इसलिए यह धर्म किया जाता है । लेकिन आज उसका ठीक उल्टा हो रहा है मन या मस्तिश्क में बैठा राक्षस ही यह करने को बाध्य करता है । इस सोच को बदलना होगा । हम यह भी कह सकते हैं कि इसके लिये सिर्फ पुरूश जिम्मेदार है या महिला दोनों गलत होगा क्योंकि इसके लिये दोनों समान रूप से दोनों जिम्मेदार हैं । जब तक हम अपनी सोच नहीं बदलेगें तब तक यह परिक्षण जारी रहेगा । मतलब लड़की हो लडका दोनों को इसमें को ऐतराज नहीं होगा तभीं यह परिक्षण को कुछ हद तक सिमित किया जा सकता है । विशय गम्भीर है इस पर विचार करना होगा । मैं कुश जी की बातों से भी सहमत हूं ।Drmanojgautammanuhttps://www.blogger.com/profile/17119682554137493633noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-74354972002804895222009-07-14T10:35:00.583+05:302009-07-14T10:35:00.583+05:30लोगो में शिक्षा का प्रसार होना चाहिए और उन्हें स्व...लोगो में शिक्षा का प्रसार होना चाहिए और उन्हें स्वरोजगार के साधन उपलब्ध कराये जाने के लिए प्रयत्न किया जाना चाहिए ताकि कोई भी मात्र कुछ रुपयों के लिए किसी प्रकार का झोत ना बोले और न ही उसे इस प्रकार के किसी परिक्षण की आवश्यकता पड़े.. यदि इस परिक्षण को आप गलत समझती है तो पुरुष और महिला दोनों के लिए गलत है फिर इसे पुरुषों द्वारा करवाए जाने और वैज्ञानिको को चुनौती देने से अच्छा है लोगो में जागरूकता पैदा कर उन्हें समर्थ बनाया जाना चाहिए.. नारी के परिक्षण की तरह पुरुष का परिक्षण कराने से क्या समस्या सुलझ जायेगी? फिर हमारा मकसद समस्या ख़त्म करना है या पुरुषों से बदला लेना?<br /><br />आप कह रही है औरत को माँ ही बनने नहीं दिया जाना चाहिए.. दूसरी तरफ आप इसे प्रक्रति की अनुपम भेंट बता रही है.. क्या प्रक्रति की अनुपम भेंट का यही हश्र होना चाहिए ? कुछ रुपयों के लिए लोगो के झूठ बोलने की मानसिकता को दूर नहीं किया जाना चाहिए? स्त्रियों को शिक्षित नहीं कराया जाना चाहिए जिस से के वे अपने अधिकारों को जाने.. क्या माँ नहीं बनने देना या पुरुषों की वर्जिनिटी जानने से साड़ी समस्या सुलझ सकती है ?कुशhttps://www.blogger.com/profile/04654390193678034280noreply@blogger.com