tag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post603913448106135601..comments2023-12-02T14:56:14.755+05:30Comments on नारी , NAARI: बलात्कार करने वाले कभी भी बलात्कार कर के शर्मसार नहीं होते हैं रेखा श्रीवास्तवhttp://www.blogger.com/profile/00465358651648277978noreply@blogger.comBlogger12125tag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-88503158179344501302012-10-13T17:03:14.944+05:302012-10-13T17:03:14.944+05:30Agree...
Our Country Is Handicapped?
http://rajki...Agree...<br /><br />Our Country Is Handicapped?<br />http://rajkirangupta15.blogspot.in/RAJ KIRAN GUPTAhttps://www.blogger.com/profile/12680621915146449965noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-67222325580399566402012-10-11T23:15:34.304+05:302012-10-11T23:15:34.304+05:30@कम आयु में लडके
लड़कियों के विवाह
की बात को मैंने...@कम आयु में लडके<br />लड़कियों के विवाह<br />की बात को मैंने उस<br />कोण से<br />नहीं देखा था जो कल<br />सविस्तार टीवी पर<br />देखा कहा गया की लड़को<br />की यदि कम आयु में<br />विवाह कर<br />दिया तो उनकी शरीरिक<br />जरूरते पहले<br />ही पूरी हो जाएगी और<br />वो बलात्कार<br />नहीं करेंगे <br />इस एंगल से तो मैंने भी नहीं सोचा था,मुझे लगा कि लड़कियों की सुरक्षा वाला मामला रहा होगा।राजनhttps://www.blogger.com/profile/05766746760112251243noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-90560261790371332992012-10-11T18:45:35.604+05:302012-10-11T18:45:35.604+05:30@अगर किसी लड़की का बालातकार हो जाए तो समाज उससे कि...@अगर किसी लड़की का बालातकार हो जाए तो समाज उससे किसी को विवाह करने की अनुमती नहीं देता। समाज को बदलना शायद इतना आसान नहीं है। दोषी को कानून द्वारा भी सजा दिलाई जा सकती है।<br /><br /><br />क्या ये सब सही हैं ? नहीं हैं ना ?? ऐसा समाज जो दोषी को नहीं जिसके प्रति दोष हुआ हो उसको सजा दे उसकी आज्ञा की चिंता क्यों करी जाये . काली या दुर्गा ही क्यूँ ना बना जाए <br /><br /><br />रचनाhttps://www.blogger.com/profile/03821156352572929481noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-58000086055681566492012-10-11T15:56:11.991+05:302012-10-11T15:56:11.991+05:30रचना जी आप ने बहुत अच्छी बात कही है। पर कभी कभी जि...रचना जी आप ने बहुत अच्छी बात कही है। पर कभी कभी जिस तरह मिडिया हर बालातकार को बढ़ा चढ़ा कर पेश करता है उस में कहीं न कहीं अहित नारी का ही है। हमारा समाज उस नारी को स्विकार नहीं करता। अगर किसी लड़की का बालातकार हो जाए तो समाज उससे किसी को विवाह करने की अनुमती नहीं देता। समाज को बदलना शायद इतना आसान नहीं है। दोषी को कानून द्वारा भी सजा दिलाई जा सकती है। ये केवल मेरे निजी विचार है... http://www.kuldeepkikavita.blogspot.comkuldeep thakurhttps://www.blogger.com/profile/11644120586184800153noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-42764725694776215652012-10-11T15:46:02.135+05:302012-10-11T15:46:02.135+05:30आपकी आखिरी लाइन मार्मिक हैं । ये सभी के साथ है आज ...आपकी आखिरी लाइन मार्मिक हैं । ये सभी के साथ है आज कोई दुराचारी भी अपनी बेटी बहन या मां के साथ ऐसा बर्दाश्त नही करेगा । पर दूसरे के लिये यही भावना मन में हो तो शायद बलात्कार शब्द का वजूद ही खत्म हो जाये travel ufohttps://www.blogger.com/profile/15497528924349586702noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-43385077830678570182012-10-11T12:27:47.963+05:302012-10-11T12:27:47.963+05:30नारी की इस बेबाक पोस्ट के लिए रचना तुम बधाई का पत्...नारी की इस बेबाक पोस्ट के लिए रचना तुम बधाई का पत्र हो। जितना गहन विश्लेषण किया उसमें जरा सी भी सन्देह की गुंजाइश नहीं है। तुम्हारे द्वारा निश्चित की गयीं श्रेणियां भी इस बात का प्रतीक हैं कि वाकई ऐसा ही होता है। इसमें शरीफ कहे जाने वाले लोग भी शामिल होते हैं। ये मानसिकता आज की नहीं है बल्कि सदियों से चली आ रही है। मानसिक कुंठाएं ही इसकी विशेष रूप से जिम्मेदार होती हैं। इसमें प्रतिशोध की भावना भी शामिल है क्योंकि लोग बदला लेने की नियत से दूसरे की बहन या बेटी को अपनी हवस का शिकार बना कर समझते हैं की उन्होंने उन लोगों को नीचा दिखा दिया। गरीब परिवार की बहू बेटियों की न तो आवाज निकलती है और न ही वे अपनी इज्जत को सुरक्षित रख पाती हैं। गाँव में दबंगों के पास कोई काम नहीं होता है। पैसे वाले बाप के बिगडैल बेटे इस बात से वाकिफ होते हैं कि वेकुछ भी करें उनके बाप उन्हें बचा ही लेंगे। इसमें पुलिस भी अहम् भूमिका निभाती है क्योंकि गाँव में एक पुलिस मैन भी दरोगा जी कहा जाता है और गरीब तो उनके कहर से थर थर कांपता है। मैं खुद इस बात को देखा है कि बड़े बड़े ओहदों पर काम करने वाले किस तरह से अपने साथ काम करने वालों पर कमेन्ट करते हैं , SMS करते हैं। बड़ी बड़ी सामाजिक सेवा की संस्थाएं चलने वाले बुजुर्ग भी इस काम में लिप्त पाए जाते हैं। उनके मातहत काम करने वाले जुबान नहीं खोल पाते हैं। इस विषय में मैंने मानसिक व्यभिचार पर एक पोस्ट लिखी थी जिसमें इसा बात को स्पष्ट किया गया थारेखा श्रीवास्तवhttps://www.blogger.com/profile/00465358651648277978noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-85403622998586690682012-10-11T12:16:17.756+05:302012-10-11T12:16:17.756+05:30 इस सबमें पुरुष की सामंतवादी सोच के साथ उनके अपने ... इस सबमें पुरुष की सामंतवादी सोच के साथ उनके अपने रुतबे की बू भी आ रही है। और ये रुतबा आ कहाँ से रहा है? राजनीति से प्राप्त संरक्षण से , जहाँ एक बलात्कारी या और अपराधो में लिप्त व्यक्ति पकड़ा गया तो पुलिस के पास पहले से फ़ोन आने शुरू हो जाते . इसके सिर्फ पुलिस दोषी हो ऐसा नहीं है बल्कि हमारे यहाँ के राजनेता और उनके चमचों में इतनी दम है की सरकारी महकमा अन्याय के खिलाफ गुहार करने वालों को ही डरा धमाका कर शांत करा देता है . अगर बहुत हिम्मत की तो अपराधी को पकड़ने का नाटक चलता है और वह फरार ही रहता है। इन अपराधों पर अंकुश लगाने के लिए सबकी सोच में परिवर्तन लाना होगा या फिर नारी को ही इन्कलाब लाना होगा भले ही इसके बदले उन्हें कितना ही आलोचना का शिकार होना पड़े अन्याय के किलाफ बोलना तो पड़ेगा रेखा श्रीवास्तवhttps://www.blogger.com/profile/00465358651648277978noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-90263660474537589892012-10-11T12:09:06.954+05:302012-10-11T12:09:06.954+05:30आपकी बात से पूरी तरह से सहमत।
आपकी बात से पूरी तरह से सहमत।<br />रेखा श्रीवास्तवhttps://www.blogger.com/profile/00465358651648277978noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-9262076744554302452012-10-11T11:12:50.010+05:302012-10-11T11:12:50.010+05:30
कम आयु में लडके लड़कियों के विवाह की बात को मैं... <br /><br />कम आयु में लडके लड़कियों के विवाह की बात को मैंने उस कोण से नहीं देखा था जो कल सविस्तार टीवी पर देखा कहा गया की लड़को की यदि कम आयु में विवाह कर दिया तो उनकी शरीरिक जरूरते पहले ही पूरी हो जाएगी और वो बलात्कार नहीं करेंगे , क्या कहे जिस समज को सोच ये है की लड़किया और विवाह का अर्थ मात्र पुरुषो, लड़को की शारीरिक संतुष्टि है उस समाज के लड़को से हम क्या उम्मीद कर सकते है की वो किसी स्त्री को किस नजर से देखते होंगे , हम अपने घर में लड़को को महिलाओ के प्रति क्या शिक्षा दे रहे है मेरे साथ की घटना बता रही हूँ गांव से रिश्तेदार का युवा लड़का आया हुआ था उसी समय शाहनी आहूजा का केस सामने आया था लडके ने कहा की कितनी पागल महिला थी पुलिस में क्यों चली गई शाहनी की पूरी जन्दगी बर्बाद हो गई मैंने उसके सामने अपना सर पिट लिया और उससे कहा की जरा उस महिला की जगह अपने घर की किसी लड़की को रख कर देखो , तब उसने कहा की हा ये गलत तो किया उसने , किन्तु उसके चहरे से साफ था की वो उस बात को समझ नहीं रहा है । दूसरी बात की हरियाणा वाले केस में जाति वाला कोण भी है वहा दलित समाज को दबा कर रखने वाली सोच भी हावी है और इसके लिए वो उस समाज की महिअलो के साथ बलात्कार करके पुरे परिवार को डराने दब के रहने का सन्देश देते है और बताते है की हम तुम्हारे साथ कुछ भी कर सकते है और हमारा कुछ नहीं बिगड़ेगा , दलित लड़कियों के साथ कुछ भी कर लेना उनके लिए बहुत ही आसन है , क्योकि बात यदि पंचायत और पुलिस तक गई भी तो उसे अपने रुतबे से दबा दिया जायेगा या 5 जूते मारने या 20-30- हजार रु जर्माने जैसे बेमतलब की सजा के बाद सब ख़त्म हो जायेगा ।anshumalahttps://www.blogger.com/profile/17980751422312173574noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-49483246550034031182012-10-11T10:01:19.085+05:302012-10-11T10:01:19.085+05:30बलात्कारियों के हौसले इसीलिये तो बढ रहे हैं और देख...बलात्कारियों के हौसले इसीलिये तो बढ रहे हैं और देखिये उसका अंजाम कि एम एम एस बनाकर सबको भेज देते हैं और कहते हैं कि किसी मेहिम्मत हो तो करके दिखाओ कुछ और इस वजह से एक पिता शर्मिंदगी से आत्महत्या कर लेता है कैसा हाल हो रहा है ………जब तक इनके प्रति सख्त कानून नही बनेंगे कुछ नही हो सकता और सिर्फ़ कानून बनने से ही नही उस पर अमल भी हो तब शायद कुछ स्थिति मे बदलाव आ जाये।vandana guptahttps://www.blogger.com/profile/00019337362157598975noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-89110125634675726562012-10-11T09:05:50.411+05:302012-10-11T09:05:50.411+05:30वैसे अपराध तो तरह तरह के सबके खिलाफ ही होते हैं ले...वैसे अपराध तो तरह तरह के सबके खिलाफ ही होते हैं लेकिन उनमें अपराधी को सभी दोषी मानते है और पीड़ित के साथ मोटे तौर पर सबकी सहानुभूति होती है लेकिन बलात्कार और यौन शोषण जैसे अपराधों के मामले में उल्टा होता है बहुत से लोग पीडित को ही इसका जिम्मेदार ठहरा देते हैं कि उसके व्यवहार ने या उसके कपडो ने बलात्कारी को प्रेरित किया होगा।अब भला कोई बलात्कारी क्यों शर्मसार होगा।बल्कि इससे तो पीडिता ही और आहत होगी और केवल वही नहीं बल्कि ऐसा व्यवहार पूरी स्त्री जाति के खिलाफ एक तरह की मानसिक हिंसा है।कई लोग तो ऐसे हैं जो ये तक कहते हैं कि एक व्यस्क महिला से कोई जबरदस्ती तो कर ही नहीं सकता।यदि कोई पीडिता किसी पुरुष को ऐसा कहते सुनेगी तो उसका चेहरा उसे बलात्कारी से भी ज्यादा क्रूर नजर आएगा।राजनhttps://www.blogger.com/profile/05766746760112251243noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-30867524286942355562012-10-10T23:32:38.904+05:302012-10-10T23:32:38.904+05:30बलात्कार करने वाले समाज के हर वर्ग, जाति, वर्ण, क्...बलात्कार करने वाले समाज के हर वर्ग, जाति, वर्ण, क्षेत्र से होते हैं. पूरे समाज से होते हैं क्योंकि पूरा समाज ही औरतों के 'चीज़' समझता है, जिसका तरह-तरह से इस्तेमाल किया जाता है. उनका इस्तेमाल अपनी इच्छा पूर्ति के लिए, दूसरों को नीचा दिखाने के लिए, अपनी हीन भावना शांत करने के लिए, हर तरह से होता है. जब तक पुरुषों की स्त्रियों को 'भोग की वस्तु' समझने की मानसिकता समाप्त नहीं हो जाती, बलात्कार होते रहेंगे...लड़कियाँ-औरतें शर्मिंदा और बलात्कारी सीना तानकर घूमते रहेंगे.muktihttps://www.blogger.com/profile/17129445463729732724noreply@blogger.com