tag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post5885152352745827032..comments2023-12-02T14:56:14.755+05:30Comments on नारी , NAARI: उसकी "ना " क्यो "ना " ही समझे , इसी मे भलाई हैं आपकी . accept "no" as "no"रेखा श्रीवास्तवhttp://www.blogger.com/profile/00465358651648277978noreply@blogger.comBlogger13125tag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-23990236500383939812009-06-23T07:26:25.695+05:302009-06-23T07:26:25.695+05:30उसकी निगाहे
सिहरन दे जाती ।
जब वो देखता
कपडो के पा...उसकी निगाहे<br />सिहरन दे जाती ।<br />जब वो देखता<br />कपडो के पार<br /><br /><br />रास्ते चलते भीड़ में<br />कोई स्नेही नही दीखता<br />उन्हें दीखता है<br />केवल<br />शरीर |<br /><br />हाथो से बदन छुडा भी ले<br /><br /><br />एकांत मे पीछा करते<br />वो लिजलिजे अहसास<br />जो जोंक की भांति<br />चिपके है<br />हर नारी के आसपास |<br />नारी की अन्तर्वेदना की कितनी हृदयस्पर्शी अभिव्यक्ति है!डा.संतोष गौड़ राष्ट्रप्रेमीhttps://www.blogger.com/profile/01543979454501911329noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-26800699976901192552009-06-23T07:23:46.310+05:302009-06-23T07:23:46.310+05:30आज लोग जानते हैं की कोई बच्चा नाजायज नहीं होता क्य...आज लोग जानते हैं की कोई बच्चा नाजायज नहीं होता क्युकी DNA TEST बता सकता हैं की बच्चे के पिता कौन हैं।<br />एक दम सही बात है, कोई बच्चा नाजायज नहीं हो सकता. जायज या नाजायज तो मां-बाप के रिश्ते होते हैं जो समाज के मानड्ण्डों पर खरे नहीं उतरते.डा.संतोष गौड़ राष्ट्रप्रेमीhttps://www.blogger.com/profile/01543979454501911329noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-32733819844533144782009-06-22T23:28:45.912+05:302009-06-22T23:28:45.912+05:30शारीरिक बलात्कार एक ऐसा कृत्य है जिसे कभी क्षमा नह...शारीरिक बलात्कार एक ऐसा कृत्य है जिसे कभी क्षमा नही किया जा सकता है आए दिन खबरे आती है संचार माध्यमो से और उन्हें सनसनी बनाकर पेश भी किया जाता है परन्तु ऐसे मामलो में न्याय की प्रक्रिया की कोई ख़बर ही नही दी जाती और अगर दी जाती भी है तो महिलायों को काफी मानसिक यन्त्रणा से गुजरना पड़ता है |<br />बलात्कार अत्यंत ही घ्रणित है कितु कुछ लोग नजरो से भी बलत्कार करते है ऐसी दशा में एक महिला की अतर्दशा कितना मानसिक त्रास देती है वो शायद एक महिला ही महसूस कर सकती है -<br /><br />उसकी निगाहे<br />सिहरन दे जाती ।<br />जब वो देखता<br />कपडो के पार<br /><br /><br />रास्ते चलते भीड़ में<br />कोई स्नेही नही दीखता<br />उन्हें दीखता है<br />केवल<br />शरीर |<br /><br />हाथो से बदन छुडा भी ले<br /><br /><br />एकांत मे पीछा करते<br />वो लिजलिजे अहसास<br />जो जोंक की भांति<br />चिपके है<br />हर नारी के आसपास |शोभना चौरेhttps://www.blogger.com/profile/03043712108344046108noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-22433666544571895752009-06-22T20:58:22.039+05:302009-06-22T20:58:22.039+05:30ऐसे लोगो कि जानकारी के लिये बता दूँ कि विदेशो मे स...ऐसे लोगो कि जानकारी के लिये बता दूँ कि विदेशो मे सेक्स एजूकेशन मे लड़कियों को ये समझया जाता हैं कि अगर दुर्भाग्य से आप किसी ऐसे हादसे का शिकार हो जाए जहाँ आप कि जान पर बन जाए तो बलात्कारी पुरूष के साथ झगडा न करे । आप को बहुत चोट लग सकती हैं । आप सहमति यानी बिना झगडे सम्भोग होने दे ताकि आप के शरीर को बहुत चोट ना आए और वो दरिंदा आप को जीवित छोड़ दे ।<br />निःसन्देह यह सीख तो हमें भी अपने यहां देनी ही होगी. क्योंकि जान है तो जहान साथ ही यह विचार भी आगे बढ़ाना होगा कि बलात्कृत नहीं बलात्कारी दोषी है. बलात्कृत को नहीं बलात्कारी को चेहरा छुपाने या आत्महत्या की आवश्यकता पड़े.डा.संतोष गौड़ राष्ट्रप्रेमीhttps://www.blogger.com/profile/01543979454501911329noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-2731667742536615942009-06-22T06:15:59.620+05:302009-06-22T06:15:59.620+05:30thik hai.thik hai.Randhir Singh Sumanhttps://www.blogger.com/profile/18317857556673064706noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-64712457347261061692009-06-21T13:27:02.128+05:302009-06-21T13:27:02.128+05:30उदय जी,
प्रत्येक व्यवस्था में नकारात्मक व सकारात्म...उदय जी,<br />प्रत्येक व्यवस्था में नकारात्मक व सकारात्मक दोनों पक्ष होते हैं, निःसन्देह काले कोट वाले न्याय में देरी कर देते हैं. कई बार तो न्याय को ही भट्का देते हैं किन्तु दूसरा पक्ष भी है वर्तमान में इनके बिना हम आप भी प्रशासन व पुलिस के हथकण्डों में फ़ंसकर निरपराध ही अपराधी सिद्ध कर दिये जायेंगे और अपराधी इनके साथ ही गुलछर्रे उडायेंगे. सभी की अवश्यकता है. झूंठे आरोपों में फ़संने वालों को यही बचाते हैं.डा.संतोष गौड़ राष्ट्रप्रेमीhttps://www.blogger.com/profile/01543979454501911329noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-25865728561956416282009-06-20T23:27:34.755+05:302009-06-20T23:27:34.755+05:30... बलात्कार की सजा सिर्फ मृत्युदण्ड ही होना चाहिय...... बलात्कार की सजा सिर्फ मृत्युदण्ड ही होना चाहिये, साथ ही साथ काले कोट बालों को ज्यादा बहस का मौका भी नहीं मिलना चाहिये !!!कडुवासचhttps://www.blogger.com/profile/04229134308922311914noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-21662674272419452722009-06-20T18:40:28.434+05:302009-06-20T18:40:28.434+05:30बहुत सुन्दर लिखा...
पर मेरा मानना है...कुंठाएं और ...बहुत सुन्दर लिखा...<br />पर मेरा मानना है...कुंठाएं और बुराइयां मस्तिष्क की देन है...<br />सेक्स भी अपना निवास बुद्धि में ही करता है.जब हम सेक्स और बलात्कार के फर्क पर चर्चा करते है तो उसका फर्क विवेकान्धता के लिटमस से करना चाहिए.प्रथम तो एक नौकरानी और एक मालिक के बीच सहवास किसी भी तर्क से विवेकपूर्ण सहमती से स्थापित नहीं किया जा सकता है.दूसरा बलप्रयोग में प्राकृतिक रूप से पुरुष अधिक सक्षम है.इस तरह से ऐसा कोई सम्बन्ध बलात्कार की श्रेणी में ही आएगा. <br />पर कई प्रश्न फिर भी अनुत्तरित रहते है...कि विवेकहीनता द्विपक्षीय होने पर ऐसे किसी अनैतिक सम्बन्ध को किस श्रेणी में रखा जाये..? कुंठाएं मानवीय होतीं है अथवा पौरुषिक ?क्या वर्तमान स्त्री कुंठाओं से मुक्त है?इत्यादि....<br />आपका लेख सोचने विचारने पर विवश करता है.<br />आभार स्वीकार करें..<br /><br />prakash singhप्रकाश पाखीhttps://www.blogger.com/profile/09425652140872422717noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-71304501448606155672009-06-20T14:09:00.664+05:302009-06-20T14:09:00.664+05:30कुतर्कों को पढकर बहुत क्षोभ रहा है। यदि लेखन में ल...कुतर्कों को पढकर बहुत क्षोभ रहा है। यदि लेखन में लगे लोग ऐसे विचार रखते हैं तो फिर आप सोच सकती हैं कि हमारे समाज का कितना बड़ा हिस्सा ऐसे या इससे भी गए गुजरे विचार रखता होगा। इनके अनुसार:<br /> बलात्कार इज्जत जाना है। यदि प्राणों को दाँव पर लगाकर विरोध नहीं किया तो बलात्कार नहीं हुआ। एक बालिका जिसे यौन ज्ञान ही नहीं है को भी ऐसी स्थिति आने पर एक बलशाली गुण्डे का मुकाबला कर सकती है। सोचिए एक हतप्रभ सहमी डरी बच्ची या युवती और पहले से तैयार एक हृष्ट पुष्ट पुरुष! वे चाहते हैं कि स्त्री मल्ल युद्ध करे। वह स्त्री जिसे जीवन में प्राय: सबकुछ चुपचाप मानने की सीख दी गई है।<br />खैर,आपने अपने विचार रखे। खुशी है।<br />घुघूती बासूतीghughutibasutihttps://www.blogger.com/profile/06098260346298529829noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-77169603841556907642009-06-20T10:14:07.795+05:302009-06-20T10:14:07.795+05:30रचना जी आपने जितनी स्पष्टता के साथ बात को रखा है, ...रचना जी आपने जितनी स्पष्टता के साथ बात को रखा है, किसी भी बिन्दु पर अस्पष्टता नही रहती. मेरे विचार में बलात्कार करने वाला मानव नहीं होता, ऐसे पशुओं को तो फ़ासी पर लटका देना चहिये. यह विचार का विषय ही नहीं रहना चाहिये कि बलात्कार कब माना जाय. मानव को ऐसा आचारण ही क्यों करना चाहिये जिसके लिये सामने वाला तैयार न हो. मुझे आश्चर्य होता है, एक ऐसे कार्य के लिये कोई किसी के साथ जबर्दस्ती क्यों करता है? और एक महिला जो उसकी पत्नी की भूमिका में है, उसके बचाव में क्यों उतर आती है, जबकि उसको पीडिता का साथ देना चाहिये था.डा.संतोष गौड़ राष्ट्रप्रेमीhttps://www.blogger.com/profile/01543979454501911329noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-26107052867339298982009-06-20T04:41:03.082+05:302009-06-20T04:41:03.082+05:30इक आग है तुझमे कहीं ...ईश्वर आपकी कोशिशों को कामया...इक आग है तुझमे कहीं ...ईश्वर आपकी कोशिशों को कामयाब बनाये..वाणी गीतhttps://www.blogger.com/profile/01846470925557893834noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-75012027728694107812009-06-20T00:21:04.716+05:302009-06-20T00:21:04.716+05:30बहुत सारे कुतर्कों के बीच इस पोस्ट को पढकर बडा अच्...बहुत सारे कुतर्कों के बीच इस पोस्ट को पढकर बडा अच्छा लगा। <br />और जो अपने अनुभव से बचकाना दावा कर रहे थे कि बिना स्त्री की इच्छा के उसके साथ सम्बन्ध स्थापित नहीं किये जा सकते वो एक मुख्य बात भूल रहे हैं। उनके खुद के अनुभवों में शायद उनका उद्देश्य किसी शारिरिक चोट पंहुचाना न हो लेकिन हिंसा अथवा उसके डर से किसी भी स्त्री/पुरूष को विवश करना कोई बडी बात नहीं है। पता नहीं इतनी छोटी सी बात को लोग नहीं समझते।Neeraj Rohillahttps://www.blogger.com/profile/09102995063546810043noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-25088248481689682662009-06-19T20:18:15.074+05:302009-06-19T20:18:15.074+05:30मैं सहमत हूँ 'सेक्स करने के मामले में ना का मत...मैं सहमत हूँ 'सेक्स करने के मामले में ना का मतलब ना ही होता है'....और ना का ख्याल ना रखा गया तो वो बलात्कार ही होता है....इसमें विरोध की कोई गुंजाईश ही नहींअनिल कान्तhttps://www.blogger.com/profile/12193317881098358725noreply@blogger.com