tag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post5042819733950906790..comments2023-12-02T14:56:14.755+05:30Comments on नारी , NAARI: छेड़छाड़ की समस्या के कारणों की पड़तालरेखा श्रीवास्तवhttp://www.blogger.com/profile/00465358651648277978noreply@blogger.comBlogger15125tag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-64768345162176402010-10-12T16:24:41.478+05:302010-10-12T16:24:41.478+05:30pahli line ko is tarah padhe-main aapki baat se sa...pahli line ko is tarah padhe-main aapki baat se sahmat hun ki kewal kaanun se hi is buraai ko khatam nahi kiya ja sakta.राजनhttps://www.blogger.com/profile/05766746760112251243noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-56218993081342574602010-10-12T16:22:47.804+05:302010-10-12T16:22:47.804+05:30@gaurav bhai,
main aapki is baat se sahmat hun...@gaurav bhai,<br /> main aapki is baat se sahmat hun ki kewal kaanun se hi is buraai ko khatam kiya ja sakta hai.haan...kuch hadd tak dabaya jarur ja sakta hai.kuch purush chedchaad karna chahte hai aur karte hai.kuch karna chahte hai par mauka hi nahi milta to kuch teesre varg me bhi aate hai jo is harkat ko galat maankar karna bhi nahi chaahte hai aur karte bhi nahi hai.unke baare me ye nahi kaha ja sakta ki we kaanun ke dar se aisa karte haai.राजनhttps://www.blogger.com/profile/05766746760112251243noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-21164252909292282702010-10-12T15:32:21.944+05:302010-10-12T15:32:21.944+05:30@ भारतीय नागरिक जी
क़ानून व्यवस्था हमारे इस जन्म म...@ भारतीय नागरिक जी<br />क़ानून व्यवस्था हमारे इस जन्म में सुधरेगी या नहीं पता नही, तब तक क्या होगा ?? पर हम अभी इसी वक्त अपने आस पास के माहौल को तो सुधार ही सकते हैं, ये छोटा प्रोजेक्ट है, सार्थक भी, अगर व्यवस्था सुधर भी जाये तो भी दबे छुपे होने वाले अपराधों का क्या होगा ?? वे तो तभी रुकेंगे जब मानसिकता सही होगी .... ना की कानून ..क्योंकि मानसिक रोगियों [स्त्री पुरुष दोनों ] के लिए कोई सजा काम नहीं करती ..वर्ना विदेशों में अपराध न होते<br /><br />मित्र संजय जी<br />इस बात को तो नहीं नाकारा जा सकता ना की पुरुष इस मामले में अब तक आगे ही होंगे , एक दूसरे पर दोषारोपण करने से बेहतर मानसिकता को समझना और मूल समस्या को ढूंढना है<br /><br />[गैर जरूरी लगे तो इस कमेन्ट को हटा दें ]एक बेहद साधारण पाठकhttps://www.blogger.com/profile/14658675333407980521noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-22558957603267866492010-10-12T14:43:48.815+05:302010-10-12T14:43:48.815+05:30@ मुक्ति जी
हाँ आपकी बात है तो ठीक पर
मुझे हार्मोन...@ मुक्ति जी<br />हाँ आपकी बात है तो ठीक पर<br />मुझे हार्मोन्स का भी कुछ बड़ा योगदान लगता है ,क्योंकि एक ही घर (या माहौल ) के दो या तीन भाइयों के नेचर में अक्सर बहुत डिफ़रेंस होता है (छेड़छाड़ के मामले में भी ) मतलब मामला थोड़ा ज्यादा कोम्प्लेक्स है , इसमें एक फेक्टर और जुड़ेगा कम से कम ......[जैसा आपने जैविक द्रष्टिकोण में कहा भी है ]<br />चलिए जो भी हो.. कुल मिला कर आप सही दिशा में ही जाती लग रही हैं .... आपका रवैया सही मायनो में आधुनिक है और बेहद संतुलित भी<br />मैं इस लेख से और लेख की मानसिकता [ये सबसे बड़ी बात है ] से संतुष्ट हूँ , ये सराहनीय प्रयास है <br />आभार आपका :)एक बेहद साधारण पाठकhttps://www.blogger.com/profile/14658675333407980521noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-21921514787492583062010-10-12T14:34:09.832+05:302010-10-12T14:34:09.832+05:30@ गौरव, आपने शायद गौर किया होगा कि किसी लड़की को छ...@ गौरव, आपने शायद गौर किया होगा कि किसी लड़की को छेड़ना आमतौर से लड़के की मर्दानगी का प्रतीक माना जाता है. ऐसा प्रायः पालन-पोषण की प्रक्रिया में ही हो जाता है. हम जाने-अनजाने अपने लड़कों में इस प्रकार का दंभ भर देते हैं कि वे लड़कियों से श्रेष्ठ हैं और लड़के लड़कियों को तीज करके उसी चीज़ का प्रदर्शन करते हैं. यही कारण है कि जैसे-जैसे लड़कियाँ बाहर निकल रही हैं, उनके साथ छेडछाड की घटनाएँ बढ़ती जा रही हैं. <br />आपके पहले प्रश्न का उत्तर मैं ऊपर वाली टिप्पणी में दे चुकी हूँ.muktihttps://www.blogger.com/profile/17129445463729732724noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-47925927939266068382010-10-12T14:28:17.291+05:302010-10-12T14:28:17.291+05:30@ भारतीय नागरिक - Indian Citizen, मेरी बात को आगे ...@ भारतीय नागरिक - Indian Citizen, मेरी बात को आगे बढ़ाने के लिए धन्यवाद ! मैं यही चाहती हूँ कि इस पर और अधिक विश्लेषण हो, विचार-विमर्श हो, ताकि हम समस्या के मूल को समझ सकें.<br />@ संजय कुमार चौरसिया, आप अपनी बात विस्तार से समझाते तो अच्छा होता. मैं समझ नहीं पायी कि कैसे और कब औरतें दोषी होती हैं.<br />@ मनुज, अगर आंकड़ों से ही कोई परिणाम निकल सकता,तो अब तक देश का कल्याण हो गया होता. मैंने लेख में सबसे पहले लिखा है कि ये मैं अनुभव के आधार पर कह रही हूँ. आप किसी भी औरत से पूछ लीजिए वो आपसे यही कहेगी. मैंने तो कम ही बताया है. मेरी कुछ सहेलियों का मानना है कि लगभग नब्बे प्रतिशत पुरुष छेड़छाड़ करते हैं. <br />बाकी सभी लोगों को धन्यवाद !muktihttps://www.blogger.com/profile/17129445463729732724noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-21146354624033912992010-10-12T14:22:59.990+05:302010-10-12T14:22:59.990+05:30......हमें सही ज्ञान देती रहिएगा मैं आपकी बात से ल.........हमें सही ज्ञान देती रहिएगा मैं आपकी बात से लगभग पूरी तरह सहमत हूँ<br /><br />मैं अपनी इस बात को कुछ स्पष्ट कर देता हूँ<br /><br />आपने कहा है .....<br />@लगभग दो-तिहाई पुरुष छेड़छाड़ करते हैं,<br />और<br />@छेड़छाड़ के द्वारा पुरुष अपनी श्रेष्ठता को स्त्रियों पर स्थापित करना चाहता है और यह उस दम्भ की अभिव्यक्ति है जो समाजीकरण की क्रिया द्वारा उसमें धीरे-धीरे भर जाती है.<br /><br />इन दो लाइन्स को मैं समझ नहीं पा रहा हूँ<br />अगर जरूरी लगे तो समाधान अवश्य करें<br />आपको मेरे प्रश्न अनुत्तरित रखने या कमेन्ट हटाने का आपको पूरा अधिकार हैएक बेहद साधारण पाठकhttps://www.blogger.com/profile/14658675333407980521noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-24500720380132269202010-10-12T13:59:53.765+05:302010-10-12T13:59:53.765+05:30@मुक्ति जी
आप के विचार इस मामले में सच में हमेशा ह...@मुक्ति जी<br />आप के विचार इस मामले में सच में हमेशा ही बेहद बेहद बेहद सराहनीय और विचारणीय हैं , सच कहूँ तो आप जैसे संतुलित विचार वाली स्त्रियों से नारीवाद [सही मायनो में ] कायम है (मेरी नज़रों में तो )<br />वैसे भी बिना ज्ञान की व्यंग्बाजी से कोई समाधान न तो निकला है न निकलेगा, वो सिर्फ भड़ास और पूर्वाग्रह का प्रदर्शन भर होती है<br />इस लेख के लिए आभार , इसी तरह इस ब्लॉग को सार्थक लेख और हमें सही ज्ञान देती रहिएगा मैं आपकी बात से लगभग पूरी तरह सहमत हूँएक बेहद साधारण पाठकhttps://www.blogger.com/profile/14658675333407980521noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-52087436584748925282010-10-12T12:32:42.942+05:302010-10-12T12:32:42.942+05:30बढिया विश्लेषण।लडके 15-16 साल की उम्र में ये सब कर...बढिया विश्लेषण।लडके 15-16 साल की उम्र में ये सब करने लगते हैं।शुरूआत में तो वो ये सिर्फ मौज मस्ती के लिये दूसरों की देखा देखी करते हैं पर बाद में एक श्रेष्ठता बोध उनमें विकसित होने लगता हैं।उन्हें लगता हैं कि कोई हमसे दब रहा हैं कोई विरोध न पाकर उनके हौसले और बढने लगते हैं।इसलिये किशोरावस्था में ही उनकी हरकतों और संगत पर ध्यान रखना चाहिये।कानून ज्यादा मदद नहीं कर सकता।लडकियों को क्या करना चाहिये इसके बारे में अंशुमाला जी बता चुकी हैं लेकिन वो भी प्रतिकार तभी कर पाएँगी जब परिवार का सपोर्ट उन्हें मिले परन्तु हमारे यहाँ तो उल्टा उन पर ही बंदिशें थोप दी जाती हैं।राजनhttps://www.blogger.com/profile/05766746760112251243noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-43937543503805362282010-10-12T11:37:10.346+05:302010-10-12T11:37:10.346+05:30लगभग दो-तिहाई पुरुष छेड़छाड़ करते हैं, तो क्या वे ...<b>लगभग दो-तिहाई पुरुष छेड़छाड़ करते हैं, तो क्या वे सभी मानसिक रूप से "एबनॉर्मल" होते हैं?</b><br />ये आंकड़ा आप किस स्रोत से, या किस सर्वे को आधार मानते हुए लिख रहीं हैं, कृपया स्पष्ट करें.Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-75557965451782347792010-10-12T10:51:56.079+05:302010-10-12T10:51:56.079+05:30बहुत अच्छा विश्लेषण किया आप ने ये कारण तो है ही पर...बहुत अच्छा विश्लेषण किया आप ने ये कारण तो है ही पर मुझे लगता है की नारी का कमजोर बनना ( होना नहीं ) भी इस का करना है | अक्सर हम सभी छेड़ छाड़ होने पर कह देते है जाने दो ध्यान देने की जरुरत नहीं है , इनकी तो आदत है ये सुधर नहीं सकते है आदि आदि नारी का इस समस्या को अनदेखा करना भी उनको फिर से वही करने का बढ़ावा देता है | यदि लडके को पहली बार छेड़ने पर एक सबक मिल जाये जैसे उसे तुरंत लड़की द्वारा डाट दिया जाये उसके घर पर शिकायत किया जाये टीचर से डाट पड़े या पुलिश में शिकायत करी जाये तो वो सुधरे या ना सुधरे पर कम से कम ये हरकत दुबारा नहीं करेगा | पर ऐसा होता नहीं एक तो सामाजिक समस्या है ही जो आपने कहा की इसमे लड़कियों का दोष निकला जाने लगता है दूसरा कानून का सहूलियत भरा ना होना भी है |anshumalahttps://www.blogger.com/profile/17980751422312173574noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-9181615851087872202010-10-12T09:29:32.349+05:302010-10-12T09:29:32.349+05:30छेड़छाड़ के द्वारा पुरुष अपनी श्रेष्ठता को स्त्रिय...छेड़छाड़ के द्वारा पुरुष अपनी श्रेष्ठता को स्त्रियों पर स्थापित करना चाहता है और यह उस दम्भ की अभिव्यक्ति है जो समाजीकरण की क्रिया द्वारा उसमें धीरे-धीरे भर जाती है....बेहतरीन विश्लेषण..उम्दा पोस्ट !!Akanksha Yadavhttps://www.blogger.com/profile/10606407864354423112noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-1833712122905258042010-10-12T09:00:19.790+05:302010-10-12T09:00:19.790+05:30करप्ट पुलीस, पेचीदा कानून व्यवस्था और इस स्थिति सम...करप्ट पुलीस, पेचीदा कानून व्यवस्था और इस स्थिति समाज द्वारा में नारी का ही दोष है ऐसा मानना यही सब कारण है न्याय न मिल पाने के ।Asha Joglekarhttps://www.blogger.com/profile/05351082141819705264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-84511285873019458772010-10-12T08:48:41.925+05:302010-10-12T08:48:41.925+05:30aapki baat se sahmat hoon,
lekin kai baar mahilay...aapki baat se sahmat hoon,<br /><br />lekin kai baar mahilayen bhi galat hoti hain,संजय कुमार चौरसियाhttps://www.blogger.com/profile/06844178233743353853noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-81018271280272058872010-10-12T08:29:32.208+05:302010-10-12T08:29:32.208+05:30कारण जो भी आप लिख रही हैं, सही हो सकते हैं, लेकिन ...कारण जो भी आप लिख रही हैं, सही हो सकते हैं, लेकिन भारत में बहुत बड़ा कारण है, सजा न मिल पाना. छेड़-छाड़ की रिपोर्ट दर्ज नहीं हो पाती. कानूनी प्रक्रिया बड़ी दुरूह है. नतीजा सिफर.भारतीय नागरिक - Indian Citizenhttps://www.blogger.com/profile/07029593617561774841noreply@blogger.com