tag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post5012613068632288168..comments2023-12-02T14:56:14.755+05:30Comments on नारी , NAARI: काली का रूप सुंदर माना जाता हैंरेखा श्रीवास्तवhttp://www.blogger.com/profile/00465358651648277978noreply@blogger.comBlogger16125tag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-28642260358486393612010-10-10T04:45:57.272+05:302010-10-10T04:45:57.272+05:30मेरी पोस्ट ने इतनी हलचल मचा दी ! और मेरे इतने अदृश...मेरी पोस्ट ने इतनी हलचल मचा दी ! और मेरे इतने अदृश्य साथी उस पर हुए एक वार के प्रतिकार के लिये पूर्ण प्रखरता के साथ ढाल बन कर आ खड़े हुए देख कर अभिभूत हूँ और आप सबकी ह्रदय से आभारी हूँ ! आप सभी मेरा हार्दिक अभिनन्दन एवं धन्यवाद स्वीकार करें एवं सभी को नव रात्रि की अनेकानेक शुभकामनाएं !Sadhana Vaidhttps://www.blogger.com/profile/09242428126153386601noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-65818009812052941332010-10-09T13:29:31.057+05:302010-10-09T13:29:31.057+05:30साधना जी, रचना जी, सुमनजी
मै भी यही सब कुछ कहना चा...साधना जी, रचना जी, सुमनजी<br />मै भी यही सब कुछ कहना चाहती थी आप लोगो ने शब्द दे दिए |<br />आभार |शोभना चौरेhttps://www.blogger.com/profile/03043712108344046108noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-36910721328215949902010-10-09T09:21:02.869+05:302010-10-09T09:21:02.869+05:30एक अच्छी और जरुरी पोस्ट
बात केवल नारी को सम्मान...एक अच्छी और जरुरी पोस्ट <br /><br /><br />बात केवल नारी को सम्मान देने तक ही सिमित क्यूँ हो जाती हैं<br />बात उसके अधिकारों की भी हो<br />बात उसके मन से जुड़ी बातो की भी हो<br />बात उसको इंसान समझने की भी हो<br />डॉ संगेर जी आप सम्मान देते हैं लेकिन इंसान नहीं समझते देवी समझते हैं हम इंसान हैं हमारी भी अपनी जरूरते हैं इछाये हैं , जिनकी पुरी होजाती हैं वो खुशनसीब मानी जाती हैं पर हमारी इछाये अगर बुनयादी हैं तो नसीब से क्यूँ जुड़ी हैं ???सुमन जिंदलhttps://www.blogger.com/profile/15407930714166019745noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-89866527330694832010-10-09T09:15:55.322+05:302010-10-09T09:15:55.322+05:30डॉ संगेर आप नारी ब्लॉग के शुरू होने से इसको पढ़ रहे...डॉ संगेर आप नारी ब्लॉग के शुरू होने से इसको पढ़ रहे हैं और मैने हमेशा आपका सम्मान किया हैं लेकिन अपने पिछले एक साल के कमेन्ट देखिये आप हर कमेन्ट मे लिख देते हैं कि हम सार्थक नहीं लिख रहे । जब तक आप मेरी पोस्ट पर लिख रहे थे मुझे कोई आपत्ति नहीं थी लेकिन साधना कि इतनी सार गर्भित पोस्ट का इतना मखोल उडाना सही नहीं हैं । आप कि टिपण्णी पढ़ कर ही जवाब दिया था । आप कि दादी का नाम वो भूल जाती थी मान सकती हूँ इस लिये उस पर कमेन्ट ही नहीं किया मैने पर जिस बात को साधना ने लिखा था वो समाज कि सच्चाई हैं । आप बुंदेलखंड को सम्मान दिलाना चाहते हैं हम नारी को ।<br />आप का ये कहना कौन घर मे काली कि तस्वीर रखता हैं , मुझे लगता हैं सब रखते हैं । और तस्वीर दीवार पर ही नहीं मन मे भी होती हैं । नारी को इस रूप को हर नारी याद रखती हैं और नारी का काली रूप हर नारी मे पाया भी जाता हैं बस उभरता कम हैं पर जब उभरता हैं तो बहुत कुछ सही कर जाता ।रचनाhttps://www.blogger.com/profile/03821156352572929481noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-77827174586602213162010-10-08T22:33:07.244+05:302010-10-08T22:33:07.244+05:30रचना जी,
आप बहुत पहले से इस ब्लॉग जगत में हैं और ...रचना जी, <br />आप बहुत पहले से इस ब्लॉग जगत में हैं और जानती हैं कि यहाँ लोग क्या-क्या कहते हैं? मैंने जब अपना ब्लॉग "नारीवादी बहस" बनाया था तब मुझे "नारी" ब्लॉग के बारे में पता नहीं था, नहीं तो मैं इसी मंच से अपनी बात कहती. <br />मुझे भी लोग जाने क्या-क्या कहते हैं कि "तुम बेकार का काम कर रही हो" वगैरह-वगैरह. जब तक अकेली थी, अजीब सा लगता था, पर नारी ब्लॉग से जुडकर नारी एकता का एहसास होता है. बिल्कुल वैसा ही जैसा मैं जब एक संगठन के साथ काम कर रही थी तब होता था.<br />नारियों की एकता, उनकी अभिव्यक्ति, उनका अपने अस्तित्व के विषय में जागरूक होना पितृसत्तात्मक सोच को चुनौती देता है. उनकी बौखलाहट स्वाभाविक है. जब तक नारियाँ साथ हैं ये कुछ नहीं कर सकते सिवाय उल्टा-सीधा बोलने के...<br />और हाँ, आज पहली बार मेट्रो में लेडीज़ कोच में बैठी, बिल्कुल निश्चिन्त, ना चढते समय धक्का-मुक्की ना उतरते समय...बहुत अच्छा लगा. आरक्षण की हिमायती मैं भी नहीं हूँ, लेकिन जब औरतों को एक इंसान की तरह ट्रीट ना करके चीज़ की तरह समझा जाने लगता है और भीड़ का फायदा उठाकर उनके साथ छेड़छाड़ की जाती है, तो खीझ होती है... एक स्पेशल कोच कितनी राहत देता है.muktihttps://www.blogger.com/profile/17129445463729732724noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-21068558339577346092010-10-08T22:30:13.128+05:302010-10-08T22:30:13.128+05:30रचना जी सोच तो वाकई बहुत ही छोटी है जो सर (दिमाग) ...रचना जी सोच तो वाकई बहुत ही छोटी है जो सर (दिमाग) से निकल कर कंप्यूटर तक ही जा पाती है. इसके अलावा सोच इस कारण भी छोटी है कि हम अभी भी परिवार में और बाहर महिलाओं का सम्मान करते हैं. सोच इस कारण भी बहुत ही छोटी है कि हम बुंदेलखंड के विकास के लिए जय बुन्देलखण्ड का नारा लगा लेते हैं. सोच इस कारण भी बहुत छोटी है कि सोचते हैं कि ब्लोगिंग के नाम पर केवल महिलाओं को कोसते रहने की हरकतें न हों. सोच इस कारण भी छोटी है कि हमने सबकी तरह झूटी बधाई देने का सिलसिला नहीं बनाए रखा है. सोच इस कारण भी बहुत ही छोटी है कि हम अपने स्तर से बेहतर करने का प्रयास करते हैं. सोच इस कारण भी छोटी है कि किसी भेडचाल का शिकार नहीं होते हैं.<br />आप सभी की सोच बहुत विस्तृत है जो किसी सच को स्वीकार नहीं पातीं हैं. कृपया पोस्ट पर दी गई टिप्पणी को फिरसे पढियेगा. शेष काली का रूप हो या कोई अन्य सभी किसी न किसी रूप में शक्ति का रूप है. हम केवल दिखावे के लिए ये ड्रामा नहीं करते हैं कि हमें फलां रूप पसंद है. (हम कहेंगे यही तो इसी बात पर विवाद हो जाएगा.) वैसे आपके अलावा और कौन है जो अपने घर में काली की फोटो लगाए है..(विशेष रूप से महिलायें)<br /><b>जय हिन्द, जय बुन्देलखण्ड</b>राजा कुमारेन्द्र सिंह सेंगरhttps://www.blogger.com/profile/16515288486352839137noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-38346794551427783682010-10-08T20:14:37.842+05:302010-10-08T20:14:37.842+05:30राजन
चएवन प्राश खाते हो क्या एक साल पहले ये कहा था...राजन<br />चएवन प्राश खाते हो क्या एक साल पहले ये कहा था और तुमको याद हैं ।<br />सस्नेह<br />रचनारचनाhttps://www.blogger.com/profile/03821156352572929481noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-61702093744717011612010-10-08T19:17:45.853+05:302010-10-08T19:17:45.853+05:30प्रभावशाली निरूपण
नवरात्रा स्थापना के अवसर पर हार्...प्रभावशाली निरूपण<br />नवरात्रा स्थापना के अवसर पर हार्दिक बधाई एवं ढेर सारी शुभकामनाएं आपको और आपके पाठकों को भीसुज्ञhttps://www.blogger.com/profile/04048005064130736717noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-76956498103886958552010-10-08T18:27:02.601+05:302010-10-08T18:27:02.601+05:30क्या रचना जी, आप भी किस बात पर परेशान हो गई ?मैं क...क्या रचना जी, आप भी किस बात पर परेशान हो गई ?मैं कहता हूँ यदि सेंगर साहब जैसे पुरूष आपके ब्लोग की किसी पोस्ट पर आकर कहें कि यह एक बेकार पोस्ट हैं तो समझिये काम हो गया।क्योंकि इसका मतलब है कि आपकी पोस्ट ने उनका हाजमा खराब कर दिया हैं।असहमति जताने वाले तो अपनी बात तर्कों के साथ रखते हैं ।और ये क्या,कई बार आप खुद अपनी साथियों से कहती हैँ कि ब्लोग बन्द करना चाहती हूँ???.....कोई और ये बात कहता तो कभी विश्वास ना होता ।आपने एक बार किसी कमेन्ट में किसी महिला ब्लोगर से ही कहा था कि 'हताशा' शब्द को मेरे साथ कभी मत जोडना।मूझे याद हैं।राजनhttps://www.blogger.com/profile/05766746760112251243noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-57022765425438854222010-10-08T18:16:33.258+05:302010-10-08T18:16:33.258+05:30हर बुराई पर विजय प्राप्त करती हैं नारी काली के रूप...हर बुराई पर विजय प्राप्त करती हैं नारी काली के रूप मे ।<br />बिलकुल सटीक उक्ति ...<br />आपको और आपके परिवार को नवरात्र की हार्दिक शुभकामनाएँकविता रावत https://www.blogger.com/profile/17910538120058683581noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-53429593231413696342010-10-08T12:09:50.861+05:302010-10-08T12:09:50.861+05:30अज्ञानता की जब तक है,
घनी धुँध छायी; वह 'क़ाली...अज्ञानता की जब तक है,<br />घनी धुँध छायी; वह 'क़ाली' है.<br />भद्रक़ाली - कपालिनी - डरावनी है.<br />ज्ञानरूप जब चक्षु खुला,<br />देखा, अरे! वह 'गोरी' है, 'गौरी' है.<br />वह अब अम्बा है, जगदम्बा है<br />ब्रह्मानी रूद्राणी कमला कल्याणी है<br />चेतना हुई है अब जागृत,<br />माँ ने इसे कर दिया है- झंकृत.<br />सचमुच आज सन्मार्ग दिखाया है,<br />मुझे सत्य का बोध कराया है.Dr.J.P.Tiwarihttps://www.blogger.com/profile/10480781530189981473noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-89242731436914462792010-10-08T12:06:10.720+05:302010-10-08T12:06:10.720+05:30दार्शनिक चिंतन का प्रथम सुस्पष्ट रूप हमें ऋग्वेद क...दार्शनिक चिंतन का प्रथम सुस्पष्ट रूप हमें ऋग्वेद के नासदीय सूक्त (दशम मंडल १२९) में मिलता है जहाँ 'अदृश्य सत्ता' की व्यापक चर्चा है, उस समय नाम-रूपमय कुछ भी विद्यमान नहीं था, ..सर्वत्र यदि था तो केवल और केवल घोर अँधेरा. उस अँधेरा के मध्य एक चेतना अस्तित्वमान थी, तप में निरत थी. अपनी समस्त क्रियाशीलता को ओने में ही समेटे.(पाठकों को यह पूरा सूक्त पढ़ना चाहिए). तप में निरत यह अदृश्य सत्ता पदार्थ नहीं है यह अचेतन नहीं है. यह पूर्ण चैतन्य है और चेतना इसका आकस्मिक नहीं अनिवार्य और स्वाभाविक गुण है. वही 'अदृश्य सत्ता' , अदृश्य ऊर्जा संवेदनशीलता के कारण, स्वेच्छा से (एको अहम् बहुस्याम के संकल्प से) दृश्य बन जाता है, नाम-रूप धारण करता है इस प्रकार जो अदृश्य सत्ता पहले स्याह थी..., धुंधली थी ...क़ाली थी..., डरावनी थी ..वही अज्ञानता का नाश होने पर वह क़ाली न रही. ज्ञान के धवल प्रकाश में वह गोरी हो गयी है.गौरी शक्ति हो गयी है. दार्शनिक क्षेत्र में गौरी शक्ति क्रियाशीलता का ही दूसरा नाम है. संतुलन हेतु एक अक्रियाशील तत्त्व की आवश्यकता देखते हुए एक अक्रियाशील सत्ता की परिकल्पना दीखती है, और वह परिकल्पना है -'पुरुष'. इस प्रकार पुरुष-प्रकृति, 'शिव-शक्ति के युग्म द्वैत को इस सृष्टि के प्रथम कारण और कारक के रूप में मान्यता मिली. इसे युग्म रूप में अल्पित करने कि आवश्यकता वह बाध्यता हो सकती है जिसे तुलसीदास जी ने बड़े सरल शब्दों में इस प्रकार व्यक्त किया है - "ज्ञान कहै अज्ञान बिनु तम बिनु कहै प्रकास, औं कहै जो सगुन बिनु सो गुरु तुलसीदास."Dr.J.P.Tiwarihttps://www.blogger.com/profile/10480781530189981473noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-13465296600258962672010-10-08T11:45:27.280+05:302010-10-08T11:45:27.280+05:30बिलकुल सही लिखा है आपने रचना जी. समाज की पुरुषवाद...बिलकुल सही लिखा है आपने रचना जी. समाज की पुरुषवादी सोच को सही आइना दिखाया है. इसी सोच को ही तो बदलने की जरूरत है.डॉ. पूनम गुप्तhttps://www.blogger.com/profile/03193620039760706914noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-45391754646011390512010-10-08T11:18:45.854+05:302010-10-08T11:18:45.854+05:30रचना जी
मुझे कोई हैरानी नहीं हो रही ये सब सुन कर ...रचना जी <br />मुझे कोई हैरानी नहीं हो रही ये सब सुन कर ... ये एक सोच है जो योगों से हमारी सभ्यता , विचारधारा में रच बस गयी है , जब भी औरत की पहचान बात ही कहीं छिड़ती है तो या सब बातें होना आम सी बात है ...<br /> <br />अगर इसे मनोवैज्ञानि दृष्टि से देखा जाए तो कुछ लोगो को लगता है की उन पर व्यक्तिगत आघात किया जा रहा है तो वो पलट वार करते हैं ... क्यूंकि ये सोच उन पर बहुत हावी होती है ..<br /><br />परन्तु अब समय तेज़ी बदल रहा है जब इस सोच से प्रभावित लोगों की अपनी बेटियाँ अपनी पहचान ढूडने निकलेंगी तो देखना होगा की तब उनकी क्या प्रतिक्रिया रहती है .....Dr Xitija Singhhttps://www.blogger.com/profile/16354282922659420880noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-89273726890634584932010-10-08T10:25:41.422+05:302010-10-08T10:25:41.422+05:30वैसे इस नवरात्रि में देवी के गौरी यानी शांत रूप की...वैसे इस नवरात्रि में देवी के गौरी यानी शांत रूप की नहीं बल्कि शक्ति रूप की पूजा होती है और इस समय पूजी जाने वाली सभी नौ देवी शक्ति का रूप होती है और पाप का विनाश करने वाली होती है |anshumalahttps://www.blogger.com/profile/17980751422312173574noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-22732935063944975322010-10-08T10:22:25.877+05:302010-10-08T10:22:25.877+05:30रचना जी
बिल्कूल सही कहा नारी के हक...रचना जी <br /><br /> बिल्कूल सही कहा नारी के हक़ की बात इनको कभी भी सही नहीं लगेगी वो हमेसा बेकार ही लगेगी | क्योकि उसके हक़ की बात इनकी सत्ता को चुनौती देगी | यही नहीं उन लोगों की भी कोई कमी नहीं है जो धार्मिक नारी चरित्र पर अनजाने में और बिना किसी बुरी भावना के बनाये गये हास्य को तो बिल्कूल बर्दास्त नहीं करते है बवाल खड़ा कर देते है पर अपने ब्लॉग पर किसी दूसरी जीवित नारी को अपमानित करने में कोई परहेज नहीं करते है और दूसरे के ऐसा करने पर भी उनको कोई परेशानी नहीं होती है | और हद तो तब हो जाती है की पुरुष धार्मिक चरित्र का महिमा मंडन करते हुए उसी धार्मिक नारी चरित्र को भी अपमानित करते है और दूसरो के द्वारा उन्हें मुर्ख कहने पर उनको कोई आपत्ति नहीं होती है बल्कि उसका और बढ़ कर समर्थन करते है | ये इन लोगों का दोहरा चरित्र है | हाथ से निकती सत्ता को देख कर सत्तासीन द्वारा इस तरह की प्रतिक्रिया करना सामान्य सी बात है |anshumalahttps://www.blogger.com/profile/17980751422312173574noreply@blogger.com