tag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post4947487574379892225..comments2023-12-02T14:56:14.755+05:30Comments on नारी , NAARI: मुक्ति के लिए जवाब !रेखा श्रीवास्तवhttp://www.blogger.com/profile/00465358651648277978noreply@blogger.comBlogger10125tag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-13736718738368010772010-02-19T12:34:54.771+05:302010-02-19T12:34:54.771+05:30आईला, मॉडरेशन नहीं है ?
यह अपने पर और अपनी कही हुई...<i><br />आईला, मॉडरेशन नहीं है ?<br />यह अपने पर और अपनी कही हुई बातों पर भरोसे का प्रतीक है । साधुवाद स्वीकारें !<br /><br /></i>डा० अमर कुमारhttps://www.blogger.com/profile/09556018337158653778noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-21390346942466956072010-02-19T12:31:35.608+05:302010-02-19T12:31:35.608+05:30तमाम ज्यूरियों के बयान के मद्दे-नज़र
मेरी टिप्पणी इ...<i><br />तमाम ज्यूरियों के बयान के मद्दे-नज़र<br />मेरी टिप्पणी इस बहस की अगली सुनवाई तक स्थगित की जाती है !<br /><br /></i>डा० अमर कुमारhttps://www.blogger.com/profile/09556018337158653778noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-55390834483454266442010-02-19T11:32:28.108+05:302010-02-19T11:32:28.108+05:30बहुत हद तक सहमत हूँ ...मगर मैं ये मानने को तैयार न...बहुत हद तक सहमत हूँ ...मगर मैं ये मानने को तैयार नहीं हूँ कि शैक्षणिक स्तर इस तरह की घटनाओं को रोकता है ....कई शोधार्थी छात्रों / छात्राओं का अनुभव बताता है कि उच्च शिक्षित लोग भी छेड़ छाड़ की घटनाओं से ना खुद को रोक पाते हैं ना ही बच पाते हैं ...लड़कियों में भय कम हो गया है मगर उसी अनुपात में उत्पीडन बढ़ा भी है ....<br /><br />दरअसल यह सारा खेल मानसिक स्तर का ही है ....और इसलिए मैं सोचती हूँ की लड़कों की मानसिक स्थिति में ज्यादा परिवर्तन लाने की जरुरत है ...लड़कियों की बनिस्पत ....!!वाणी गीतhttps://www.blogger.com/profile/01846470925557893834noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-32666718317208271422010-02-19T11:02:45.758+05:302010-02-19T11:02:45.758+05:30richa
agar aapke saath blog jagat mae koi abhdhrta...richa<br />agar aapke saath blog jagat mae koi abhdhrtaa ki gayee haen to nisankoch ho kar yahaan post karey yae blog issiliyae banaa haen . log gandgi phelaatey jaa rhaey aur naari blogger likhna band kartee jaa rahee haen jarurii haen ki ham aavaj uthayae is kae khilaaf <br /><br />aur jab ham aavaj uthaayaegae tabhie ham kaayr nahin rahegae aur hamarae baetae aur beti samaaj mae barabar hogaeyAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-86758408709718035522010-02-19T00:59:48.986+05:302010-02-19T00:59:48.986+05:30नारी ही समाज की कडुवाहट झेले और फिर नारी ही समझदार...नारी ही समाज की कडुवाहट झेले और फिर नारी ही समझदार हो, ऐसा भी तक क्यों चल रहा है ??<br />कोई पुरुषों से इस बात का जवाब क्यों नहीं मांगता, सड़क नहीं बची तो अब ब्लॉग पर शुरू हो गए। मुक्ति जी की तरह मैंने भी हर मोड़ पर कुछ न कुछ झेला है, आवाज भी उठाई पर कोई फरक नहीं उल्टा और झेला। तो अब ये सब बातें मुझे नहीं समझनी। आज मेरी भी बेटी है, और अब मुझे उससे अपने समाज में ले जाने में डर लगता है, मैं नहीं चाहती मेरी भी बेटी वही सब झेले जो अभी तक इस समाज की हर नारी झेल रही है।Richahttps://www.blogger.com/profile/16353234862405730668noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-82197383819094176822010-02-18T20:17:40.269+05:302010-02-18T20:17:40.269+05:30रंजना जी से शब्दश: सहमत हूँ।रंजना जी से शब्दश: सहमत हूँ।मनोज कुमारhttps://www.blogger.com/profile/08566976083330111264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-7476096537365534422010-02-18T19:48:17.296+05:302010-02-18T19:48:17.296+05:30जिन संयोगों के भय से लड़कियों पर पाबंदियाँ और परवर...जिन संयोगों के भय से लड़कियों पर पाबंदियाँ और परवरिश में भेद किया जाता था। यदि कोई सर्वे किया जाए तो पाबंदियों और परवरिश में भेद की समाप्ति के उपरांत भी उन संयोगों की संख्या में कोई बड़ा अंतर नहीं दिखाई पड़ेगा। फिर पाबंदियों और परवरिश में अंतर का कोई अर्थ नहीं रह जाता है। ये सब समाज के एक हिस्से के शोषण को बरकरार रखने की व्यवस्थाएँ हैं।दिनेशराय द्विवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-86499004837610696772010-02-18T15:03:45.271+05:302010-02-18T15:03:45.271+05:30रेखा जी,
मैं आपकी बात से सहमत हूँ, और जैसा कि पिछल...रेखा जी,<br />मैं आपकी बात से सहमत हूँ, और जैसा कि पिछली पोस्ट में रचना और girlsguidetosurvival ने कहा है कि सबसे ज़रूरी है कि हम अपनी लड़कियों में इतना विश्वास जगायें कि वे ऐसी हरकतों का सामना कर सकें और सबसे सामने उस इन्सान का खुलासा कर सकें जिसने ऐसी हरकत की है. और वहीं समाज को चाहिये कि वह ऐसे व्यक्तियों का सामाजिक बहिष्कार करे.<br />मैं चाहती हूँ कि जो हम पर गुज़री है, हमारी बेटियों पर न बीते.muktihttps://www.blogger.com/profile/17129445463729732724noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-74055316911611066582010-02-18T14:48:29.494+05:302010-02-18T14:48:29.494+05:30आपने बिलकुल सही विवेचन किया,रेखा दी..और निकट भविष...आपने बिलकुल सही विवेचन किया,रेखा दी..और निकट भविष्य में तो ये बदलाव आता दिखता भी नहीं....अभी ५० साल और लगेंगे....पूरे भारत वर्ष में ही...कि लडकियां स्वछन्द घूमें..और किसी तरह की कोई बद्तमीजी का आभास भी हो तो खींच कर झापड़ जड़ दें....कि सौ देखने वालों को और सबक मिल जाए.<br />वैसे वो दिन आएगा जरूर....मुंबई में काफी हद तक इस तरह की छेडछाड नहीं होती...यू.पी....बिहार के ऑटो चलाने वाले भी...यहाँ आकर सुधर जाते हैं...पास से मिनी स्कर्ट वाली लड़की भी गुजर जाती है और ये आँख उठा कर भी नहीं देखते..rashmi ravijahttps://www.blogger.com/profile/04858127136023935113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-24947866266829589552010-02-18T14:31:29.916+05:302010-02-18T14:31:29.916+05:30शब्दशः सहमत हूँ aapse...शब्दशः सहमत हूँ aapse...रंजनाhttps://www.blogger.com/profile/01215091193936901460noreply@blogger.com