tag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post4902406305223165307..comments2023-12-02T14:56:14.755+05:30Comments on नारी , NAARI: अबला सबला स्त्रीलिंग पुल्लिंगरेखा श्रीवास्तवhttp://www.blogger.com/profile/00465358651648277978noreply@blogger.comBlogger12125tag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-6095001143091420422009-11-08T00:17:06.517+05:302009-11-08T00:17:06.517+05:30मनुष्य क्यूँ नहीं मानी जाती नारी ।
इस वाक्य को पढ़...मनुष्य क्यूँ नहीं मानी जाती नारी ।<br /><br />इस वाक्य को पढ़ कर मुझे एक लेख की कुछ पंक्तियाँ याद आ गयीं...लिखा था की नारी अधि मनुष्य होती है और आधी कल्पना ..क्यों की उसे दया ममता, करुना की मूर्ति कहा जाता है..जन्म से ही ये भावः उसमें आरोपित किये जाते हैं.संगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-52100156586306012682009-11-04T15:15:59.532+05:302009-11-04T15:15:59.532+05:30अबला - सबला या निर्बल - बली ,शारीरिक शक्ति के हिसा...अबला - सबला या निर्बल - बली ,शारीरिक शक्ति के हिसाब से निर्धारित होने वाले शब्द नहीं...बल्कि इसे यूँ कह सकते हैं कि <br />प्रताड़क/प्रताडिका = सबला / बली<br />पीड़ित /पीडिता = अबला / निर्बल...<br /><br />समाज में नजरें घुमा कर देखिये....चारों तरफ ऐसे असंख्य पात्र मिल जायेंगे दोनों ही लिंगों में.....<br /><br />दुनिया संसार केवल एक लिंग से नहीं चल सकता ...दोनों की ही आवश्यकता है...<br />दोनों ही लिंगों के लिए आवश्यकता यह है कि वह अपने अंतस के शोषक प्रताड़क का नाश करें,तभी जिंदगियां सुन्दर सुखद हो पाएंगी.....रंजनाhttps://www.blogger.com/profile/01215091193936901460noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-23807413811369092822009-11-04T10:54:19.151+05:302009-11-04T10:54:19.151+05:30"मनुष्य बलि नहीं होत समय होत बलवान"
इस म..."मनुष्य बलि नहीं होत समय होत बलवान"<br />इस मे बलि और बलवान मनुष्य के लिये हैं नारी भी मनुष्य ही हैं { शायद }सुमन जिंदलhttps://www.blogger.com/profile/15407930714166019745noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-54864155395520337432009-11-04T10:38:14.251+05:302009-11-04T10:38:14.251+05:30ये तो विशेषण हैं, इनको कहीं भी प्रयोग कर सकते हैं....ये तो विशेषण हैं, इनको कहीं भी प्रयोग कर सकते हैं. पुरुष के लिए भी हैं न, निर्बल और सबल. लेकिन सिर्फ नारी के लिए ही प्रयुक्त किये जाते हैं, इन्हें उसी तरह से बदलना होगा जैसे कि किसी समय में "चेयरमैन" शब्द प्रयोग किया जाता था. चाहे वह महिला हो या पुरुष. 'चेयरपर्सन" को लाया गया. अगर चेयरमैन है तो चेयर-वूमन भी प्रयोग किया जा रहा है. आवाज उठी है तो गूँज बन कर इसका निर्णय करने के लिए भी कुछ लोग आगे आयेंगे. हाँ स्वीकार करने में समय लग सकता है लेकिन ये लेबल तो हट जाएगा.रेखा श्रीवास्तवhttps://www.blogger.com/profile/00465358651648277978noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-48997718353935326782009-11-04T09:20:20.008+05:302009-11-04T09:20:20.008+05:30हमारे समाज में मौजूद भेदों और अन्तरो की वजह से यह ...हमारे समाज में मौजूद भेदों और अन्तरो की वजह से यह शब्द प्रचलित है जिस दिन यह भेद ही ख़त्म हो जाएगा ये शब्द भी मिट जायेंगे, मगर क्या यह होगा कभी ? नारी भी कहीं न कहीं इसके लिए बहुत हद तक जिम्मेदार है !जो बाते एक नारी युवावस्था में कहती, करती है, प्रौडावस्था में सब भूल जाती है !पी.सी.गोदियाल "परचेत"https://www.blogger.com/profile/15753852775337097760noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-42900917050398966012009-11-04T07:06:47.744+05:302009-11-04T07:06:47.744+05:30इसके पुर्लिंग मे हम इस्तेमाल करते हैं: फलाना ढिकान...इसके पुर्लिंग मे हम इस्तेमाल करते हैं: फलाना ढिकाना!!<br /><br />उ प्र कोर में:<br /><br />उ फलनवा कहिस!!....उ ढिकनवा कहिस!!Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-24765248807975286622009-11-03T23:25:36.077+05:302009-11-03T23:25:36.077+05:30वंदना जी ने मेरीबात कह दी है .
इन्तेज़ार करिए ,और प...वंदना जी ने मेरीबात कह दी है .<br />इन्तेज़ार करिए ,और प्रतिरोध भी .सब मुहावरे बदल जायेंगे .RAJ SINHhttps://www.blogger.com/profile/01159692936125427653noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-8465676916905138512009-11-03T23:24:34.647+05:302009-11-03T23:24:34.647+05:30हमारे समाज में सभी नियम-उपनियम, आचार-संहिताएँ, संस...हमारे समाज में सभी नियम-उपनियम, आचार-संहिताएँ, संस्कार और यहाँ तक कि भाषा और शब्दावलियाँ भी पुरुषों की बनायी हुयी हैं. अब उन्होंने कह दिया कि नारी या तो अबला होती है या सबला, तो होती है. प्रश्न तो यह भी है कि हमारे देश में राष्ट्रपति क्यों होते हैं? इसके स्थान पर अधिक तटस्थ शब्द "राष्ट्रप्रमुख" क्यों नहीं प्रयुक्त होता? "न्यायमूर्ति" यदि कोई महिला हो तो उसे क्या कहेंगे? हर राष्ट्र का एक राष्ट्रपिता होता है राष्ट्रमाता क्यों नहीं होती? यदि राष्ट्रपति की पत्नी प्रथम महिला होती है तो क्या महिला ’राष्ट्रपति’ के पति प्रथम पुरुष कहलायेंगे?muktihttps://www.blogger.com/profile/17129445463729732724noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-27777408457010498772009-11-03T23:15:33.792+05:302009-11-03T23:15:33.792+05:30रचना जी, सृष्टि के रचयिता ब्रह्मा पुरुष थे, और वैद...रचना जी, सृष्टि के रचयिता ब्रह्मा पुरुष थे, और वैदिक काल में वर्णाश्रम की व्यवस्था और समस्त मानव जाति के पद निर्धारक भी पुरुष ही थे. लेकिन ये तमाम नियंता स्त्री की ताकत को पहचानते थे. जानते थे कि स्त्री के बिना उनका अस्तित्व ही अधूरा है.सृष्टि की रचना स्त्री के बिना कैसे हो सकेगी? लिहाजा आरम्भ से ही पुरुषों ने खुद को सर्वोच्च पद दिया और स्त्री को दोयम दर्जे में डाल दिया. ये अबला-सबला भी उन्हीं की देन है ताकि स्त्री अपनी ताकत को पहचान के आवाज़ न उठा सके.वरना क्या पुरुष निर्बल और सबल नहीं होते? सारे पुरुष केवल बलबान ही होते हैं?वन्दना अवस्थी दुबेhttps://www.blogger.com/profile/13048830323802336861noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-48251254066012445102009-11-03T22:50:48.727+05:302009-11-03T22:50:48.727+05:30निर्बल और सबल
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यहाँ भी व...निर्बल और सबल <br />------------------------ <br />यहाँ भी विमर्श की गुंजाइश है??????राजा कुमारेन्द्र सिंह सेंगरhttps://www.blogger.com/profile/16515288486352839137noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-79718395334993505012009-11-03T22:11:17.940+05:302009-11-03T22:11:17.940+05:30निर्बल और बली!निर्बल और बली!दिनेशराय द्विवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-74304809368416254222009-11-03T21:17:56.403+05:302009-11-03T21:17:56.403+05:30विचारणीय बात
कही यह जाल तो नही हैविचारणीय बात <br />कही यह जाल तो नही हैM VERMAhttps://www.blogger.com/profile/10122855925525653850noreply@blogger.com