tag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post4887628251274334922..comments2023-12-02T14:56:14.755+05:30Comments on नारी , NAARI: जब लड़कियां पीटेगी बदलाव अब तभी आएगा वरना नहीं आएगा रेखा श्रीवास्तवhttp://www.blogger.com/profile/00465358651648277978noreply@blogger.comBlogger4125tag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-52340323957367049252015-01-16T17:36:32.680+05:302015-01-16T17:36:32.680+05:30उत्तम रचना उत्तम रचना Harshita Joshihttps://www.blogger.com/profile/04274397136761595526noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-75151834810714057202015-01-04T22:46:33.927+05:302015-01-04T22:46:33.927+05:30I agree... lekin dekho ladki thodi si himmat dikha...I agree... lekin dekho ladki thodi si himmat dikhaye nahi ki kaise saari duniya defend karne lag jati hai "bechare" ladko ko.. :-/ Clear hai ki hume khud hi turant aur mazbooti se apna virodh darz karwana hoga.. sabko aisa roz karna chahiye.. shuru se seekhna chahiye.. badlaav ayega hi.Rashmi Swaroophttps://www.blogger.com/profile/14615276585404778659noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-87278646105798364542014-12-10T17:24:13.023+05:302014-12-10T17:24:13.023+05:30जब लड़कियां पीटेगी बदलाव अब तभी आएगा वरना नहीं आएगा...जब लड़कियां पीटेगी बदलाव अब तभी आएगा वरना नहीं आएगा..<br />बिलकुल सही कहा आपने ..मारना ही क्यों! मेरा तो मत है कि ऐसे दरिंदों को तो सीधे फांसी से कम सजा देनी ही नहीं चाहिए ... कविता रावत https://www.blogger.com/profile/17910538120058683581noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-16165836292838664052014-12-10T15:59:31.141+05:302014-12-10T15:59:31.141+05:30रचना जी इसे पीटना कहना ही गलत है। उन लड़कियों ने क...रचना जी इसे पीटना कहना ही गलत है। उन लड़कियों ने किसी को नहीं पीटा। उन्होने अपनी आत्मरक्षा की और आत्मरक्षा में तो किसी दूसरे की जान भी लेनी पड़े तो भी गलत नहीं है। प्रत्येक व्यक्ति का पहला कर्तव्य अपना बचाव व विकास करना है। जिस समाज के सदस्य भरी हुई बस में उन लड़कियों को सुरक्षित माहोल नहीं दे पाये, उस समाज की चिन्ता करने की आवश्यकता नहीं। भरी हुई बस में उन्हें अपना बचाव अपने आप करने की आवश्यकता पड़ी, यह तथाकथित समाज के ठेकेदारों को शर्माने की बात है। यदि सवारी उन शरारती लड़कों को डांट-डपट कर अलग कर देतीं तो यह बखेड़ा ही खड़ा क्यों होता। समाज की संवेदनशून्यता ही इस प्रकार की सम्स्याओं के लिये जिम्मेदार है। विचार करने की बात है कि हम लोगों को सामाजिक कर्तव्यों के प्रति जागरूक कैसे करें!डा.संतोष गौड़ राष्ट्रप्रेमीhttps://www.blogger.com/profile/01543979454501911329noreply@blogger.com