tag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post4870379741517660773..comments2023-12-02T14:56:14.755+05:30Comments on नारी , NAARI: देश में बुजुर्ग की स्थिति पर आज कल ब्लॉग जगत में मंत्रणा चल रही हैंरेखा श्रीवास्तवhttp://www.blogger.com/profile/00465358651648277978noreply@blogger.comBlogger19125tag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-30479579095120207622011-06-28T11:54:45.204+05:302011-06-28T11:54:45.204+05:30इस मामले में पूरी गलती बुजुर्गों की है, और यकीन मा...इस मामले में पूरी गलती बुजुर्गों की है, और यकीन मानिए ये कहानी तो कुछ भी नहीं है|<br /><br />मेरे आस-पास में ही दो ऐसी मिशाल हैं जिनकी कहानी यदि आप सुनेंगी तो पता चलेगा कि कैसे बुजुर्ग अपने साथ साथ दूसरों की जिंदगी भी बर्बाद (नरक) कर देते हैंDr. Yogendra Palhttps://www.blogger.com/profile/15028175080069734310noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-1081395181740462132011-06-27T10:12:40.376+05:302011-06-27T10:12:40.376+05:30Thanks Suman, I agree with you but I do not agree ...Thanks Suman, I agree with you but I do not agree with Ranjanaji's comments.<br /><br />First of all I would like to ask everybody here that, "My right might be your wrong, so if I revolt, will you call me a terrorist?"<br /><br />Meri nazar mein kisi par bhi hath uthana, hinsa hai. Hinsa aur ahinsa ke vastvik arth ko samjhiye, use bhavnaon ke aanchal se dhakne ke bajay, satya ko sweekar karna hi samajhdari hai.<br /><br />Ranjanaji, 'Swechha se kha liya' aur 'bacha khucha kho lo' jaise vakyon ke arth evam bhav dono mein kafi antar hai. <br /><br />"kartaby और संस्कार"<br /><br />Sanskar shabd ko aap kaise define karti hain ye usper nirbhar hai. Are they fit to call themselves CIVILIZED who beats their daughter-in-laws?<br /><br />Regards,<br />Rewa Smritiरेवा स्मृति (Rewa)https://www.blogger.com/profile/13005191329618003468noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-77659429545790959632011-06-26T15:09:05.186+05:302011-06-26T15:09:05.186+05:30वंदना जी
शुक्रिया इस सच्चे कमेन्ट के लिये . किसी ए...वंदना जी<br />शुक्रिया इस सच्चे कमेन्ट के लिये . किसी एक नयी पीढ़ी से ना तो समाज सुधरा हैं ना बिगड़ा हैं<br />मेरी सोच जी<br />परिवार बना कर चलना आसन नहीं हैं , आप चल रही हैं अच्छा लगा जान कर . कुछ नहीं चल पाते जैसे गौरी क्युकी उनकी सहन शीलता आप से कम हैं और जिस राह वो चली रोड़े बहुत थे<br />मीनाक्षी जी आभार इतनी सच से ओत प्रोत टीप के लिये<br />राजन जी<br />सही कहा<br />दिनेश जी<br />शुक्रिया टीप देने का<br />रंजना जी<br />वैचारिक दिवालियेपन जैसे शब्द कहने के लिये आभार . वैसे आप जो भी व्यक्तिगत राय रखती हो मै घरेलू हिंसा के सख्त खिलाफ हूँ . और जिनके मायके वाले आज भी ये मानते हैं जिस घर मे डोली गयी हैं उसी से अर्थी उठे उनकी बेटियों कि अर्थियां उठ ही जाती हैं असमय . और जहां प्रेम विवाह कर के लडकियां मायके के लोगो से अलग हो जाती हैं वो ससुराल में हर तरह से अडजस्ट करती ही हैं { ये आप पर व्यक्तिगत आक्षेप नहीं हैं क्युकी मे आप को व्यक्तिगत रूप से नहीं जानती }<br />अंशुमाला जी<br />इतनी साफगोई से बात कहना , अच्छा लगा आप का कमेन्टसुमन जिंदलhttps://www.blogger.com/profile/15407930714166019745noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-19386442527223052732011-06-25T17:55:41.408+05:302011-06-25T17:55:41.408+05:30किसी एक ऐसे उदहारण से हम इस समस्या को हल नहीं कर स...किसी एक ऐसे उदहारण से हम इस समस्या को हल नहीं कर सकते है मुख्य समस्या है बुजुर्गो की देखभाल इसके लिए जरुरी कदम दोनों ही तरफ से उठाना होगा ये संभव नहीं है की बुजुर्ग बच्चो पर सारा जीवन जुल्म करे और जब बच्चो का मन उनसे हट जाये तो बुढ़ापे में उनसे किसी तरह के सहयोग या प्रेम की उम्मीद करे और ये भी सही नहीं है की बिलकुल लाचार हो चुके माँ या पिता को उनके पिछले कर्मो की वजह से अकेला छोड़ दिया जाये हा स्नेह से नहीं तो कम से कम अपनी जिम्मेदारी के तौर पर उन्हें जरुर अपने पास रखे उनको खुद अपने पिछले किये पर पछतावा होगा | <br /><br /> साथ ही रंजना जी की इस बात से बिलकुल सहमत नहीं हूँ की ससुराल में सास पति ससुर आदि कोई भी हाथ उठाये तो उसे अपनी माँ पिता की मार या मेरे भले के लिए ही मुझे मारा गया है या जो प्यार करता है वो मार भी सकता है जैसे जुमले के साथ बर्दास्त कर ले | ये तो बिलकुल भी गलत बात है कौन से समझदार माँ बाप है जो आज अपने १५-१६ साल के बच्चो पर भी हाथ उठाते है फिर किसी विवाहित लड़की या लड़का के साथ इस तरह की हरकत बिलकुल भी गलत है और इस तरह के काम के विरोध को नारी स्वतंत्रता या जागरूकता के साथ जोड़ना तो और भी गलत है | मुझे लगता है की उन्हें अपने इन विचारो पर एक बार फिर से विचार करना चाहिए |anshumalahttps://www.blogger.com/profile/17980751422312173574noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-51455127798623046002011-06-25T10:43:49.989+05:302011-06-25T10:43:49.989+05:30अभी तक तो यही तय नहीं हो पा रहा है कि किसका दोष है...अभी तक तो यही तय नहीं हो पा रहा है कि किसका दोष है और कितना ?<br /><br />जो ख़ुद को इंसान बना पाए । उन पर भी ज़ुल्म ढहाए गए । इतिहास गवाह है कि सबसे ज़्यादा ज़ुल्म सबसे अच्छे लोगों पर ही हुआ है ।<br /><br />तब सच्चा समाधान क्या है ?<br />इसे जानने के लिए इंसान को अपनी संकीर्णता और अपने पक्षपात की आदत छोड़नी होगी ।DR. ANWER JAMALhttps://www.blogger.com/profile/06580908383235507512noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-9971407391247953682011-06-25T08:39:15.605+05:302011-06-25T08:39:15.605+05:30http://anvarat.blogspot.com/2011/06/blog-post_25.h...http://anvarat.blogspot.com/2011/06/blog-post_25.html<br /><br />readers should read this post also <br /><br />we are here to discuss why old people get isolated during old age <br /><br />there are numerous reasons and the one citied by suman reflects the need to be more democratic when we are young so that when we get old we can adjust better <br /><br />there are various reasons why kids when they grow up move away apart from being selfish <br /><br />career needs , need to be on their own , different living styles are all reasons <br /><br />we have to go into depth of the problem rather then always saying daughter in law is responsible , son is responsible <br /><br />when the system collapses everyone is responsible <br /><br /><br />speaking lies at the time when you marry your child whether done by grooms family or brides <br />no communication with kids before their marriage <br />etc are probable causes and need to discussed so that <br /><br />our generation builds no false hopesरचनाhttps://www.blogger.com/profile/03821156352572929481noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-24011297235669220742011-06-25T07:58:37.159+05:302011-06-25T07:58:37.159+05:30ऐसे परिवारों में जहां इतना पारिवारिक खलल रहता हो क...ऐसे परिवारों में जहां इतना पारिवारिक खलल रहता हो क्या उदाहरण उपयुक्त भी हैं ? जहन्नुम में जायं :(Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-5863926482575807622011-06-24T22:20:17.276+05:302011-06-24T22:20:17.276+05:30जब सोच यह हो कि जिस लडकी के पास आर्थिक आलंबन (किसी...जब सोच यह हो कि जिस लडकी के पास आर्थिक आलंबन (किसी भी रूप में,चाहे वह मायके वापस जाने का आधार ही क्यों न हो) नहीं होता वही परिवार को जोड़े रखने के क्रम में बड़ों की अनुचित लगने वाली बातें सह जाती हैं...तो इस वैचारिक दिवालियेपन के आगे कहने लायक कुछ बचता ही नहीं..<br /><br />आप जिस अधिकार सजगता की हिमायत कर रही हैं, उसी आधार पर घर टूटा करते हैं...यही वह आधार है, जो उम्र के अंतिम पड़ाव पर स्थित बुजुर्गों को घर से बेघर कर ओल्ड एज होम या सड़क पर भीख मांगने पहुंचा देती हैं...<br />और सबसे दुर्भाग्य की बात यह है कि तथाकथित स्त्री स्वातंत्र की हिमायती ऐसी विचारधारा रखने वालियों की संख्या आज बहुत बड़ी है...<br />ऐसी स्त्रियों को अपने व्यक्तिगत सुख और स्वतंत्रता के आगे kartaby और संस्कार जैसे शब्द हास्यास्पद लगते हैं...रंजनाhttps://www.blogger.com/profile/01215091193936901460noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-36893371372552468472011-06-24T22:09:32.592+05:302011-06-24T22:09:32.592+05:30इस नाजुक मसले पर समझ व दूरदर्शिता की कमी करीब-करीब...इस नाजुक मसले पर समझ व दूरदर्शिता की कमी करीब-करीब सभी जगह समस्या उपजा रही है । बदले हुए सन्दर्भों में यही समस्या आप चाहें तो यहाँ भी देखें-<br /><a href="http://jindagikerang.blogspot.com/2011/06/blog-post.html" rel="nofollow">अपनी-अपनी बारी...</a>Sushil Bakliwalhttps://www.blogger.com/profile/08655314038738415438noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-1773855064385341502011-06-24T19:54:39.320+05:302011-06-24T19:54:39.320+05:30माँ का मरना और सास का हाथ उठना तब एक समान होता था ...माँ का मरना और सास का हाथ उठना तब एक समान होता था जब बहु बालिका बधू होती थी<br />कौन सी माँ २० साल कि बेटी पर हाथ उठाती हैं<br />बहु बच्ची नहीं हैं और अगर २० साल कि लड़की पर माँ भी हाथ उठाये तो वो घरेलू हिंसा ही हैं और यहाँ तो बहु पर हाथ उठाया गया<br />दूसरी बात मैने बहु को घर से निकल जाने कि नहीं कही हैं मैने बेटे बहु को घर से निकल जाने कि हैं<br />घर का मतलब हैं संरक्षण उस समय जब जरुरत हो उस मे कोई छोटा या बड़ा कि बात नहीं है लेकिन होता उलटा हैं जब पिता अपने बेटे को बहु के साथ अपने घर से जाने के लिये कहता हैं तो वो बता रहा हैं घर उसका हैं यानी बेटे का नहीं<br /><br />किसी परिवार को धोखा देने जैसी स्थिति होती हैं जब शादी से पहले कुछ दिखाया जाता हैं और बाद मे कुछ और परिवार के विघटन का कारन भी यही दिखावा हैं<br /><br />क्युकी बुजुर्गो के नज़रिये से कई पोस्ट आ चुकी हैं इस लिये इस पोस्ट मे वो दिखाया जो एक और पहलु हैं कि क्यूँ बुजुर्ग संरक्षित नहीं रह गए हैं<br /><br />अगर आप अपनी मर्ज़ी से कुछ खाती हैं तो वो आप कि इच्छा लेकिन अगर किसी संभ्रांत परिवार कि लड़की को रात का खाना दे दिया जाए और बाकी सब ताज़ा खाना खाए तो ये सभ्यता नहीं हैं . आप खुद खा रही हैं गौरी को खिलाया जा रहा हैं दोनों में अंतर हैं .<br /><br />जी ये तो मे कह ही चुकी हूँ जो बोया होगा वही काटना पड़ेगा बुढ़ापे में<br />अगर आप के पति के जन्मदाता ने केवल आप को सताया हैं और आप उसको उनका व्यवहार मानती हैं और उनकी सेवा करने में खुश हैं तो ये आप कि अपनी बात हैं और इसके पीछे आप कि अपनी सोच , परिस्थिती और आप कि शादी किन हालत मे हुई और आप के माता पिता कि आप के लिये क्या सोच थी सब जिम्मेदार होते हैं .<br /><br />लेकिन आपकी सेवा करने से आप के प्रति उनका जो व्यवहार हैं वो कहीं भी सही नहीं सिद्ध हो जाता और यही बात में इस पोस्ट में कहना चाहती थी कि नयी पीढ़ी को पुराणी पीढ़ी भी प्रतारित करती हैं . विघटन के लिये केवल नयी पीढ़ी जिम्मेदार नहीं हैं . आप के प्रति उनका गलत व्यवहार गलत ही कहा जाएगा . आप सहना चाहती हैं आप कि मर्ज़ी <br /><br /><br />बहुत सी परिस्थितियों मे लड़की के पास मायके वापस जाने का विकल्प भी नहीं होता हैंसुमन जिंदलhttps://www.blogger.com/profile/15407930714166019745noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-66630585456493522432011-06-24T19:04:11.975+05:302011-06-24T19:04:11.975+05:30आपकी जिज्ञासाओं का एक एक कर समाधान करने का प्रयास ...आपकी जिज्ञासाओं का एक एक कर समाधान करने का प्रयास करती हूँ-<br /><br />यानी रंजना जी आप घरेलू हिंसा को सही मानती हैं क्युकी यहाँ सास ने हाथ उठाया था <br /><br />(कोई माँ यदि अपने बेटी पर क्रोधावेग में कभी यदि हाथ उठा दे,तो क्या यह घरेलु हिंसा के अंतर्गत आता है?? )<br /><br /> और आप ये भी सही मानती हैं कि लडके बहु को समय असमय "घर से निकल जाओ कहना सही हैं "??<br /><br />(इस परिस्थति को भी मैं उपरोक्त कैटिगरी में ही रख कर पूछना चाहूंगी,कि माँ जब अपने बच्चे को क्रोध में कहे,आज मैं तुझे जान से मार दूंगी..तो मान लेनाचाहिये कि आतंकवादियों की तरह निष्ठुरता से वह जान से मारे बिना नहीं छोड़ेगी ??)<br /><br />घर को आप कैसे परिभाषित करती हैं ?? <br /><br />(घर वो जिसमे बड़े भले छोटों को डांट फटकार सकते हों,पर छोटे बड़ों का अपमान नहीं कर सकते,छोटों का काम नहीं कि वे गिव एंड टेक आधारित सेवा भाव रखें)<br /><br />और क्या आप इसको एक सहज स्थिति मानती हैं जहां लड़की वालो के सामने नौकरानी रहे और शादी होते ही हटा दी जाए?<br /><br />(जैसा कि आपने स्वयं कहा कि गौरी का पति बहुत साधारण कमाता था विवाह के समय,यह उजागर करता है कि उनकी आर्थिक स्थिति ऐसी न होगी कि वे नौकर अफोर्ड करने के हाल में होंगे.विवाह पूर्व इनके यहाँ नौकर नहीं था गौरी की सास घर के काम करती थी ,यह भी आपने ही कहा... सामाजिक सम्मान तथा शादी ब्याह के समय अपने घर की स्थिति अच्छी बताने के लिए नौकर का रख लेना ठीक उसी प्रकार है जैसे घर में फटे पुराने पहनने वाले लोग बाहर निकलने पर साफ़ सुथरे नए कपडे पहन लेते हैं) <br /><br />गौरी आप कि नज़र में ७० प्रतिशत गलत हैं क्यूँ , क्यूंकि इस पोस्ट में बहुत सी ऐसी बाते मे नहीं लिख सकी जिन से गौरी को गुज़ारना पडा??<br /><br />(आपका यह पोस्ट पूरी तरह से बायस्ड लगा,क्योंकि गौरी के सास ससुर तथा परिवार वालों के नजरिये से इश्यु को यहाँ देखा ही नहीं गया है)<br /><br />शादी होते ही जैसे शाकाहारी होने कि वजह से उसको रात का रखा खाना दिया जाता था जब घर में मासाहार बनता था.सास कहती थी जो बचा रखा हैं उस से रोटी खालो ..<br /><br />(रात का बचा खाना खाना घरेलु हिंसा के अंतर्गत आना चाहिए...बिलकुल इत्तेफाक नहीं रखती..मैं शाकाहारी हूँ और मेरे घर में जब कभी मांसाहार पका,मैंने ढूंढ धान्धकर बचा खुचा स्वेच्छा से खा लिया,इसमें क्या बुरा है)<br /><br />या जिसको बुखार में सास पानी मिला दूध देती थी <br /><br />(यह बहुत गलत किया सास ने. यह उसकी असहनशीलता दर्शाती है..हालाँकि यहाँ भी इसे ऐसे देखा जा सकता है कि हो सकता है उनके पास सिमित मात्र में दूध हो या फिर बुखार में अमूमन गरिष्ठ भोजन नहीं दिया जाता, इसलिए दूध में पानी मिलकर डाय्ल्युट कर दिया गया हो..और यदि इनमे से कोई बात नहीं,तो गौरी ने अपने लिए सास के मन में कितना जगह बनाया,यह भी तो विचारणीय है..ताली एक हाथ से नहीं बजती )<br /><br /><br />रंजना जी परिस्थितियाँ बच्चो को अपने माता पिता से निर्लिप्त कर देती हैं.<br /><br />( ऐसे बच्चों (दम्पति) को अपने लिए ओल्ड एज होम में अपने लिए समय रहते इंतजाम करके रखना चाहिए,क्योंकि हर अगली पीढी को पिछली पीढी की अधिकांश बातें दाकियानूसी पिछड़ी फालतू अवरोधक लगती है..आज जो अपने माता पिता से निर्लिप्त हैं,उनके बच्चे वयस्क होते तक उनके व्यवहार से भली प्रकार सीख चुके होंगे कि माता पिता से निर्लिप्त कैसे होना चाहिए) <br /><br />बड़ो को अपने बड़प्पन को बना कर रखना भी चाहिये . बुढ़ापा एक दिन सबका आता हैं पर एक दिन बुढ़ापा आयेगा ये कितने सोचते हैं .<br /><br />( अब एक प्रश्न- <br /><br />मेरे पति के जन्मदाता बहुत बुरे हैं..मुझे कभी अपना नहीं माना...जबतक उनके देह दिमाग में ताकत रही,मुझे खूब खूब सताया...<br /><br />मुझे क्या करना चाहिए-<br /><br />१) उनके अशक्त होते ही अपना बदला निकाल लेना चाहिए ???<br /><br />२) यह सोचकर उनकी सेवा और कर्तब्य निष्पादन में लगे रहना चाहिए कि " जैसे भी हैं,इन्ही से न हम हैं" <br /><br />कृपया बताएं,क्योंकि इसीमे आपके सवालों के जवाब हैं कि किसको कितना नंबर मिलना चाहिए दोष का ...रंजनाhttps://www.blogger.com/profile/01215091193936901460noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-41065269973312313472011-06-24T18:35:23.364+05:302011-06-24T18:35:23.364+05:30किसी भी घटना विशेष में किसी की गलती तलाशने की जरूर...किसी भी घटना विशेष में किसी की गलती तलाशने की जरूरत नहीं है। जरूरत है सिस्टम को बदलने की, परिवार में सब एक दूसरे को इंसान समझने की। जब समझने लगेंगे तो यह समस्या नहीं रहेगी।दिनेशराय द्विवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-38072434515502941942011-06-24T17:35:04.222+05:302011-06-24T17:35:04.222+05:30यहाँ तो गलती बुजुर्गों की ही लग रही है.वाणी जी का ...यहाँ तो गलती बुजुर्गों की ही लग रही है.वाणी जी का कहना एक तरह से सही है लेकिन गौरी के ससुर एक कुढमगज किस्म के इंसान है.वो अपने बेटे के कहने पर नहीं मान रहे तो बहू की क्या मानेंगे.राजनhttps://www.blogger.com/profile/05766746760112251243noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-81070397013672397182011-06-24T17:21:17.586+05:302011-06-24T17:21:17.586+05:30अब तक बहुत से लेख पढ़ लिए बुज़ुर्गो पर.. अभी अभी ज...अब तक बहुत से लेख पढ़ लिए बुज़ुर्गो पर.. अभी अभी ज्ञानवाणी पर जो कमेंट दिया उसे यहाँ भी लगा रही हूँ " अपने घर में बहुत करीबी तीन बुज़ुर्ग हैं जिन्हें देखती हूँ तो लगता है कि कहीं न कही वे खुद अपनी अवस्था के जिम्मेदार हैं...एक वृद्ध - सारी उम्र कमा कमा कर बैंक में पैसा जमा किया, पैंशन भी बहुत है.. आलीशान मकान बनाया लेकिन उसे घर न बना सके..अब चार बच्चे अपनी अपनी गृहस्थी मे व्यस्त है..बूढ़े माँ बाप एक दूसरे को कोसते हुए साथ साथ रहते है..दूसरा वृद्ध - पेंशन बहुत ज़्यादा है,रौब से रह सकती हैं लेकिन तीन बेटों ने चार चार महीने के लिए माँ को बाँट लिया है...एक बेटी है उसे माँ के दर्द से कोई लेना देना नही है हाँ पैसे से सभी बच्चो को लगाव है वह भी उन बुज़ुर्गवार के कारण ही...तीसरी वृद्ध - अपने पति के साथ अलग रहती हैं.. तीन बच्चे हैं समय समय पर पैसा मदद के तौर पर ले जाते हैं...अंधी ममता जो कराए थोड़ा....इन तीनों का हमेशा कहना था बच्चों के लिए नहीं करेंगे तो किनके लिए कमा रहे हैं...बच्चों को सिर्फ दिया...बदले मे कुछ भी लेने की चाहत जागी जब वे खुद बूढ़े हुए तब तक बच्चे खुद इतने बड़े हो गए थे कि उनके लिए 'कुछ देना' उस उम्र मे सीखना मुश्किल था...."मीनाक्षीhttps://www.blogger.com/profile/06278779055250811255noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-20219979227613238892011-06-24T16:33:05.737+05:302011-06-24T16:33:05.737+05:30mai bhi joint family mei rehti hu,(mera ak beta ha...mai bhi joint family mei rehti hu,(mera ak beta hai)or job karti hu, us stithi mei bhi ghar jakar kabhi kabhar khana pakati hu or sat-sunday (holiday) wale din ghar k kaam karti hu, aisi problems mujhe bhi face karni padti hai, kai baar man bhi karta h alag jakar rehne ka, par chup reh jati hu ye soch k ki saas sasur ko is umar mei kon sambhalegaGeetahttps://www.blogger.com/profile/07916683052983770611noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-4331345721882965672011-06-24T16:24:55.376+05:302011-06-24T16:24:55.376+05:30बहुत गंभीर समस्या है मगर समझना कोई नही चाहता कम से...बहुत गंभीर समस्या है मगर समझना कोई नही चाहता कम से कम पुरानी पीढी तो बिल्कुल नही और यदि पुरानीपीढी ही नही समझेगी तो आने वाली पीढी से क्या उम्मीद की जा सकती है घर परिवार सामन्जस्य से चलते है ना कि रौब से या दबाव से …………आपसी प्यार विश्वास और सहयोग जरूरी होता है और जो ऐसा नही कर पाते उन्हे ही आगे जाकर दिक्कतो का सामना करना पडता है…………जो हम किसी को देते है वो ही हमे वापस मिलता है यदि ये बात समझ आ जाये तो सारी मुसीबते मिट जायें।<br />आज जो जगह जगह बुजुर्गो के हालात की चिन्ता हो रही है उसमे कहीं ना कहीं इन सब बातो का अभाव रहा है तभी ये हालात हुये हैं…………और यहाँ तो बुजुर्गो ने कोई कसर नही छोडी…………तो बताइये ऐसे लोगो के लिये दिल मे कितना मान सम्मान रह जायेगा…………अरे कहीं तो आपस मे प्यार या विश्वास होता मगर जब उन्होने पहल नही की तो नयी पीढी तो होती ही स्वच्छंद है वो क्यो मानेगी उनकी बात ……………वैसे भी बडी उम्र के लोगो से ही ये उम्मीद की जाती है कि वो समझे और बच्चो को समझने का मौका दें मगर जब वो भी छोटी छोटी बातो को तिल का ताड बनाने लगते है तब ऐसी ही विस्फ़ोटक स्थिति से 2-4 होना पडता है…………।vandana guptahttps://www.blogger.com/profile/00019337362157598975noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-40632246638518028972011-06-24T15:57:14.017+05:302011-06-24T15:57:14.017+05:30यानी रंजना जी आप घरेलू हिंसा को सही मानती हैं क्यु...यानी रंजना जी आप घरेलू हिंसा को सही मानती हैं क्युकी यहाँ सास ने हाथ उठाया था और आप ये भी सही मानती हैं कि लडके बहु को समय असमय "घर से निकल जाओ कहना सही हैं " घर को आप कैसे परिभाषित करती हैं ?? और क्या आप इसको एक सहज स्थिति मानती हैं जहां लड़की वालो के सामने नौकरानी रहे और शादी होते ही हटा दी जाए<br />गौरी आप कि नज़र में ७० प्रतिशत गलत हैं क्यूँ , क्यूंकि इस पोस्ट में बहुत सी ऐसी बाते मे नहीं लिख सकी जिन से गौरी को गुज़ारना पडा शादी होते ही जैसे शाकाहारी होने कि वजह से उसको रात का रखा खाना दिया जाता था जब घर में मासाहार बनता था . सास कहती थी जो बचा रखा हैं उस से रोटी खालो या जिसको बुखार में सास पानी मिला दूध देती थी .<br />रंजना जी परिस्थितियाँ बच्चो को अपने माता पिता से निर्लिप्त कर देती हैं . <br /><br />वाणी जी यहाँ जवाब देने कि बात ही नहीं हैं बात हैं क्या बोया और क्या कटा . एक द्रश्य आप ने दिखाया और एक मैने दिखाया . समस्या गंभीर हैं और दोषारोपण नहीं बहस चाहती हैं .<br /><br />बड़ो को अपने बड़प्पन को बना कर रखना भी चाहिये . बुढ़ापा एक दिन सबका आता हैं पर एक दिन बुढ़ापा आयेगा ये कितने सोचते हैं .सुमन जिंदलhttps://www.blogger.com/profile/15407930714166019745noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-63840350746968963022011-06-24T15:51:13.871+05:302011-06-24T15:51:13.871+05:30रंजना जी से सहमत हूँ ...बुजुर्गों ने अपने समय में ...रंजना जी से सहमत हूँ ...बुजुर्गों ने अपने समय में जो किया , उसका जवाब देने का समय उनकी लाचार वृद्धावस्था नहीं है !वाणी गीतhttps://www.blogger.com/profile/01846470925557893834noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-3429837520741028312011-06-24T15:34:29.993+05:302011-06-24T15:34:29.993+05:30बुजुर्गों की गलती ३०%
गौरी की गलती ७०%बुजुर्गों की गलती ३०%<br /><br />गौरी की गलती ७०%रंजनाhttps://www.blogger.com/profile/01215091193936901460noreply@blogger.com