tag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post4702190153377511287..comments2023-12-02T14:56:14.755+05:30Comments on नारी , NAARI: मुक्ति का कमेन्टरेखा श्रीवास्तवhttp://www.blogger.com/profile/00465358651648277978noreply@blogger.comBlogger29125tag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-29612160012202082702018-09-26T14:00:29.737+05:302018-09-26T14:00:29.737+05:30Swapnji i agree with u ...bt samjhuta b depend kar...Swapnji i agree with u ...bt samjhuta b depend karta hai na kitna karna chahiye.. agar aap samjhute per samjhute kiye ja rahi ho or samnewala insaan aapka farz hai ye samjhe toh kya bologi aap ???? nahi mere hisab se shadi ho ya koi b RISHTA sirf or sirf -Love ,Respects or Feelings per tikte hai.... Aartihttps://www.blogger.com/profile/05544760539797043210noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-84269304565821711882018-09-26T13:50:43.646+05:302018-09-26T13:50:43.646+05:30aap galat ho... vo apni pasand ,napasand kaise kis...aap galat ho... vo apni pasand ,napasand kaise kisi par laad sakta hai ... haa ye baat sahi hai uski shadi galat ladki se huyee hai par aap ye b sochiye ki uss ladki ko jis mahol me rakha gaya tha vo usme dhali huyee hai kitni takleefo se usko gujarna hoga ..tab kahi vo mr .parfect k liye PERFECT banegi ...bilkul nahi !!<br />Mai sochti hu Ladki ke gharwalo ko aise samjahye ki unki beti ka dimagi tretment karye or jab vo poori tarah normal ho jaye toh usi mahol me pale bade ladke se uski shadi karye jisse dono ka talmel -rehan sehan mel khayega or sab saralta se hoga ...Aartihttps://www.blogger.com/profile/05544760539797043210noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-36289473488357186132018-09-26T13:44:55.510+05:302018-09-26T13:44:55.510+05:30i agree..
i agree..<br />Aartihttps://www.blogger.com/profile/05544760539797043210noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-45434993685135244562018-09-26T13:43:09.954+05:302018-09-26T13:43:09.954+05:30hello Rachnaji.. aapse milnachahti hu. pichle 3 sa...hello Rachnaji.. aapse milnachahti hu. pichle 3 salo se iss asamnjasya me hu ki "Aurat ko he sab samajhke lena chahiye " just b'coz of niyati kehti hai .... 1 baar milna chahti hu Mam Aartihttps://www.blogger.com/profile/05544760539797043210noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-24495841193911273482018-09-26T13:37:29.590+05:302018-09-26T13:37:29.590+05:30hello ,Rachnaji kya hum mil sakte hai. aapse margd...hello ,Rachnaji kya hum mil sakte hai. aapse margdarshan chahti hu .<br />apni 17 saal ki shadishuda jindagi me bahot samjhaute ,atyachaar or krurta sahne k baad ek faisla liya Talaaq jo ki hindu dharm me badi neechta ke sath dekha jata hai uss naari ko jo pahle pahal karti hai... pichle 3 salo se lad rahi hu per aaj bhi aise lagta hai mai wahi hu jab mai court me pehla din tha .... request hai please aap reply de shayad aapke margdarshan se iss court or mere pati se jaldi chutkara mil jaye ....Aartihttps://www.blogger.com/profile/05544760539797043210noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-28621564306530646682013-02-19T13:11:38.665+05:302013-02-19T13:11:38.665+05:30सहमति के आधार पे बना रिश्ता ही सही होता है ... किस...सहमति के आधार पे बना रिश्ता ही सही होता है ... किसी के दबाव में न ऐसे रिश्ते करने चाहियें ओर न करवाने चाहियें ... इस दिशा में नई पीड़ी यानी युवाओं को ही पहल करनी होगी ...दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-13339205640048611692013-02-19T09:33:42.856+05:302013-02-19T09:33:42.856+05:30बात यह नहीं है उसे क्या करना चाहिए था ...समस्या यह...बात यह नहीं है उसे क्या करना चाहिए था ...समस्या यह है की अब वह क्या करे ..साँप छछूंदर की इस हालत में ..उससे न थूकते बन रहा है न निगलते बन रहा है .....<br />हमारी समझ से उसे अपनी तरफ से कोशिश करनी चाहिए की वह अपनी पत्नी को वैसा बनाने का प्रयास पूरी निष्ठा से करे जैसा वह उसे बनाना चाहता है ..उसकी बातों से लगा की उसके एफ्फर्ट्स में अभी कमी थी .....उसे इस बात का महत्त्व समझाए....उससे मिलने वाली ख़ुशी और संतोष से अवगत कराये ...उस बदलाव से उनके अपने जीवन में उगे संत्रास...दिफ्फ्रेंसस कैसे ख़त्म हो सकते हैं इस बात का अहसास कराये .....जब वह स्त्री ..उसकी पत्नी इस बात की अहमियत को समझ जाएगी ...वह स्वयं अपनी तरफसे भी पूरी निष्ठा से प्रयत्न करेगी अपने आप को बदलने की ...बशर्ते वह भी उस व्यक्ति के साथ एक सुखी जीवन व्यतीत करने में रूचि रखती हो ..अन्यथा यह पूरी एक्सरसाइज बेकार है ....या इस में सहमती न हो तो दोनों डाइवोर्स ले लें Sarashttps://www.blogger.com/profile/04867240453217171166noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-67282593628731427322013-02-19T09:29:03.545+05:302013-02-19T09:29:03.545+05:30This comment has been removed by the author.स्वप्न मञ्जूषा https://www.blogger.com/profile/06279925931800412557noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-56117350939474980402013-02-19T08:56:20.703+05:302013-02-19T08:56:20.703+05:30मै तलाक की बात ही नहीं कर रही हूँ . व्यवस्था मै सु...मै तलाक की बात ही नहीं कर रही हूँ . व्यवस्था मै सुधार तब संभव होगा जब हम २५ वर्ष की आयु के बाद अपने बच्चो को उनके निर्णय उन्हे खुद लेने होंगे इस पर जोर देगे . <br /><br />परिवार की परिभाषा को समझना होगा , पहले अगर अभिभावक निर्णय लेते थे तो वो साथ रहते थे और नव दम्पत्ति की आपसी असमंजस की स्थिति कम होती थी <br /><br />अब नव दम्पति को अलग रहना होता हैं तो कम से कम अपना जीवन साथी मन माफिक चुनने का अधिकार तो उनको मिलना चाहिये <br /><br />जब वो खुद चुनेगे तो उसका परिणाम भी खुद उठाने के लिये बाध्य होगे रचनाhttps://www.blogger.com/profile/03821156352572929481noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-21587244757321053952013-02-19T08:48:18.087+05:302013-02-19T08:48:18.087+05:30मेरा कमेंट नहीं छपा पता नहीं क्यूँ फिर से डाल रही ...मेरा कमेंट नहीं छपा पता नहीं क्यूँ फिर से डाल रही हूँ।<br />there is a time difference , you posted your last comment at 12.17 am <br />i could not log in before today morning so could not check the spam <br /><br />no commented will be deleted unless abusive or which downgrades the status of woman in general रचनाhttps://www.blogger.com/profile/03821156352572929481noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-63397093980622960372013-02-19T00:17:31.256+05:302013-02-19T00:17:31.256+05:30मेरा कमेंट नहीं छपा पता नहीं क्यूँ फिर से डाल रही ...मेरा कमेंट नहीं छपा पता नहीं क्यूँ फिर से डाल रही हूँ।<br /><br />पश्चिम में डिवोर्स रेट बहुत हाई है। अगर पूरब और पश्चिम में तुलना करें तो एक बहुत बड़ा फर्क है, पश्चिम की स्त्री बहुत मजबूत है, और पूरब की स्त्री कमजोर। तो कहना ये पड़ता है शादी को बचा कर रखने में स्त्री का ही सबसे बड़ा हाथ रहता है। पुरुष आधिपत्य तो नकारना, फ़ाइनाइशियल स्वतंत्रता पाना, सामानता का अधिकार पाना, ये सब ठीक है, लेकिन स्त्रियों में असहिष्णुता में वृद्धि होना गलत है। <b>विवाह में ' पहले मैं, मुझे और मेरा ' नहीं चलता। </b>ऐसा न हो की महिला शक्ति, महिलाओं के दिमाग में घुस जाए और प्रतिशोध के रूप में तलाक़ हो। जो आज कल देखने को मिल रहा है। फिर शादियाँ कपडे बदलने के जैसे होंगी, तू नहीं और सही और नहीं और सही, और अंत में बच्चे पशो-पेश में भी रहे और फुटबाल भी बन जाएँ। :(<br />स्वप्न मञ्जूषा https://www.blogger.com/profile/06279925931800412557noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-67557232733958728332013-02-19T00:14:37.667+05:302013-02-19T00:14:37.667+05:30This comment has been removed by the author.स्वप्न मञ्जूषा https://www.blogger.com/profile/06279925931800412557noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-73278070126801564652013-02-18T23:36:18.390+05:302013-02-18T23:36:18.390+05:30.
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अनुराधा (मुक्ति) जी से दस साल बड़ा यानी एक प....<br />.<br />.<br />अनुराधा (मुक्ति) जी से दस साल बड़ा यानी एक पीढ़ी पहले का होने पर भी मैं सिर्फ और सिर्फ एक बात कहूँगा कि एक कमाऊ,पढ़ा-लिखा और बालिग लड़का बिना किसी अगर-मगर के अपने विवाह संबंधी किसी भी फैसले के लिये पूरी तरह से जिम्मेदार है... माँ-बाप के सामने झेंपना-शर्माना, इमोशनल दबाव, दुनियादारी आदि आदि सब दो कौड़ी के सस्ते बहाने हैं...मैंने आज तक की अपनी ४३ साला जिंदगी में केवल और केवल कापुरूषों, मक्कारों और दोगलों को ही इस तरह के बहानों की ओट में छुपते देखा है, भद्र-पुरूष ऐसा नहीं करते (और जितना मैं मुक्ति जी को जान पाया हूँ, मुझे पूरा भरोसा है कि वह मुझसे इत्तेफाक रखेंगी)... अगर शादी में दहेज लिया गया तो वह दहेज लोभी है, अगर उसे कोई कम काबिल लड़की भिड़ा दी गयी तो जरूर उसने अपनी आँखें व कान बंद रखने की कीमत वसूली होगी... और अगर लड़के ने गलत निर्णय लिया ही है तो जिंदगी के अन्य गलत निर्णयों की तरह ही उसे इस की कीमत भी अदा करने के लिये तैयार रहना होगा... और कीमत है जीवनसाथी से अपनी अपेक्षाओं को थोड़ा नीचे लाना और समझौता-एडजस्टमेंट के लिये तैयार रहना...<br /><br />To sum up... ' There is no point in passing the buck, because the buck stops at the groom.'<br /><br /><br /><br />...प्रवीण https://www.blogger.com/profile/14904134587958367033noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-77724556232249838952013-02-18T19:22:30.790+05:302013-02-18T19:22:30.790+05:30@ सबने उसको कहा वो अपनी पत्नी को के साथ निभाने की ...@ सबने उसको कहा वो अपनी पत्नी को के साथ निभाने की बात सोचे उसको सुधारे इत्यादि इत्यादि , क्युकी यही एक सोची समझी व्यवस्था हैं जो आज की पीढ़ी की विवशता जैसी हो गयी हैं <br /><br />मैंने पहले ही ये बात मुक्ति जी को दिए जवाब में लिखा है आप के लिए भी लिखा रही हूँ <br /><br /><br /><br />तलाक के खिलाफ मै भी नहीं हूँ , किन्तु तलाक तो वहा होना चाहिए जहा पति पत्नी के बीच समस्या का कोई समाधान ही न हो , जिस केस के बारे में हम बात कर रहे है वहा तो समस्या का समाधान है , फिर वहा भी तलाक की बात क्यों की जाये । लड़की को अंग्रेजी नहीं आती या वो उससे कोई और नौकरी करना चाहता है या उसके बोलने चालने का ढंग सही है नहीं है वो सारी चीजे तो सुधारी जा सकती है , बदली जा सकती है , फिर तलाक की बात क्यों की जाये । व्यक्ति समय के साथ बदलता है सिखता नए मौहोल में ढलता है । कल को वो दूसरी शादी करे और फिर पत्नी जरुर से ज्यादा ही आधुनिक हो तो क्या फिर कहेंगी की उसे फिर से तलाक ले लेना चाहिए और तब तक शादी और तलाक का सिलसिला जरी रखना चाहिए जब तक की उसे उसके मन की पत्नी न मिल जाये , क्या विवाह बस एक सम्पूर्ण और अपने मन की ही जीवन साथी के बिना नहीं हो सकता है । anshumalahttps://www.blogger.com/profile/17980751422312173574noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-24666766698450203742013-02-18T19:18:21.128+05:302013-02-18T19:18:21.128+05:30This comment has been removed by the author.स्वप्न मञ्जूषा https://www.blogger.com/profile/06279925931800412557noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-36197849473163733652013-02-18T19:16:55.724+05:302013-02-18T19:16:55.724+05:30मेरे दो कोमेंट्स स्पैम में गए हैं :(मेरे दो कोमेंट्स स्पैम में गए हैं :(स्वप्न मञ्जूषा https://www.blogger.com/profile/06279925931800412557noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-40923843671042743412013-02-18T19:14:32.836+05:302013-02-18T19:14:32.836+05:30पश्चिम में डिवोर्स रेट बहुत हाई है।
अगर पूरब और प...पश्चिम में डिवोर्स रेट बहुत हाई है। <br />अगर पूरब और पश्चिम में तुलना करें, तो एक बहुत बड़ा फर्क है, पश्चिम की स्त्री बहुत मजबूत है, और पूरब की स्त्री कमजोर। तो कहना ये पड़ता है, शादी को बचा कर रखने में स्त्री का ही सबसे बड़ा हाथ रहता है। <br />पुरुष आधिपत्य तो नकारना, फ़ाइनाइशियल स्वतंत्रता पाना, सामानता का अधिकार पाना, ये सब ठीक है, लेकिन स्त्रियों में असहिष्णुता में वृद्धि होना गलत है। <b>विवाह में ' पहले मैं, मुझे और मेरा ' नहीं चलता। </b>ऐसा न हो की महिला शक्ति, महिलाओं के दिमाग में घुस जाए और प्रतिशोध के रूप में तलाक़ हो। जो आज कल देखने को मिल रहा है। फिर शादियाँ कपडे बदलने के जैसे होंगी, तू नहीं और सही और नहीं और सही, और अंत में बच्चे पशो-पेश में भी रहे और फुटबाल भी बन जाएँ। :(स्वप्न मञ्जूषा https://www.blogger.com/profile/06279925931800412557noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-82534417209047867322013-02-18T18:57:52.669+05:302013-02-18T18:57:52.669+05:30मैं आज की पीढ़ी की और आज के ही ज़माने की तस्वीर दि...मैं आज की पीढ़ी की और आज के ही ज़माने की तस्वीर दिखा रही हूँ, इससे ज्यादा नया ज़माना फिलहाल कोई नहीं है।<br />एक स्टेटिस्टिक है, बिना माता-पिता के दखल, अंकुश, और बिना दहेज़ के डिमांड की, अपनी पसंद (कई वर्षों की डेटिंग के बाद) की शादी जो पश्चिम में होती है, जिसमें अगर लड़का 30 वर्ष से कम है और लड़की भी 30 वर्ष से कम है, तो इस शादी के सफल होने के चांस 50% से भी कम होती है।स्वप्न मञ्जूषा https://www.blogger.com/profile/06279925931800412557noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-33128008477167687062013-02-18T17:08:50.941+05:302013-02-18T17:08:50.941+05:30ज़माना कोई भी हो, नया या पुराना, रिश्तों में समझौत...ज़माना कोई भी हो, नया या पुराना, रिश्तों में समझौता करना ही पड़ता है।<br />अगर ऐसा नहीं होता तो पश्चिम में सब अपनी पसंद से ही शादी करते हैं, माँ-बाप का कोई दखल नहीं होता इसमें फिर भी रिश्ते टूटते हैं, और बहुत टूटते हैं, आखिर क्यूँ ???<br />आपकी अपनी पसंद की नौकरी हो या अपनी पसंद की शादी, या अपनी पसंद को कोई भी रिश्ता, समझौता चाहिए ही चाहिए, इससे आप भाग नहीं सकते हैं। चाहे आपके 36 के 36 गुण मिल जाएँ, दो इंसान एक जैसे हो ही नहीं सकते।<br />tricks of the trade is समझौता, ये शाश्वत सत्य है।स्वप्न मञ्जूषा https://www.blogger.com/profile/06279925931800412557noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-51398570548864787732013-02-18T15:54:13.274+05:302013-02-18T15:54:13.274+05:30अंशुमाला
ये पहला ईमेल हैं जो पोस्ट किया हैं , बहु...अंशुमाला <br />ये पहला ईमेल हैं जो पोस्ट किया हैं , बहुत से हैं क्रम से करुँगी . दूसरा पक्ष किसी भी समस्या का तब तक पता चल ही नहीं सकता जब तक हम किसी को व्यक्तिगत रूप से ना जानते हो . किसी की समस्या का निदान देने के उसको सामाजिक व्यवस्था भी बतानी ही होती हैं और उस व्यवस्था से जुड़ी बाते और परेशानी ताकि उसको समझ आये वो अकेला / अकेली नहीं झेल रहा हैं . <br />नारी ब्लॉग पर पोस्ट पढ़ कर ही इस व्यक्ति ने अपनी बात कहीं , क्या अपनी बात / परेशानी बांटना इतना आसान हैं , नेट पर आसान इस लिये हैं क्युकी वो हमको जानता नहीं हैं और हम से कह कर उसकी ईमेज नहीं बिगड़ सकती हैं जो किसी जान कार के साथ बाँट कर होती , या हो सकता हैं वो जानना चाहता हो उसके जैसी समस्या कितनो के साथ हैं <br /><br />सबने उसको कहा वो अपनी पत्नी को के साथ निभाने की बात सोचे उसको सुधारे इत्यादि इत्यादि , क्युकी यही एक सोची समझी व्यवस्था हैं जो आज की पीढ़ी की विवशता जैसी हो गयी हैं <br /><br />मुक्ति नयी पीढ़ी की हैं और उनको लगता हैं ये समस्या व्यापक हैं लेकिन समाधान उतना आसान नहीं हैं जितना लग रहा हैं . <br />किसी भी पोस्ट को लिख कर हम अपनी बात रख देते हैं और पाठक अपनी सोच से उसको समझते हैं . समस्या का निदान सामाजिक कुरीतियों पर बात करके मिल भी सकता हैं या जैसा राजन ने कहा दूसरी पोस्ट बन जाने से उसपर और भी बात की जा सकती हैं <br /><br />और हो सकता किसी की समस्या भी ऐसी ही और वो इस चर्चा को पढ़ कर खुद ही अपनी मनोस्थिति को सही कर सके रचनाhttps://www.blogger.com/profile/03821156352572929481noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-40699706277510217462013-02-18T13:57:18.707+05:302013-02-18T13:57:18.707+05:30दीदी, कोशिश तो नयी पीढ़ी को ई करनी पड़ेगी. पर कभी-...दीदी, कोशिश तो नयी पीढ़ी को ई करनी पड़ेगी. पर कभी-कभी माँ-बाप से लड़ना बहुत मुश्किल हो जाता है. मेरे सामने दो पीढियाँ लड़ते-लड़ते हार गयीं. अब उम्मीद उन बच्चों से है, जिन्हें हमारी पीढ़ी पैदा करेगी. muktihttps://www.blogger.com/profile/17129445463729732724noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-29214882153489023922013-02-18T10:57:43.651+05:302013-02-18T10:57:43.651+05:30 मुक्ति जी
तलाक के खिलाफ मै भी नहीं ... मुक्ति जी <br /><br /> तलाक के खिलाफ मै भी नहीं हूँ , किन्तु तलाक तो वहा होना चाहिए जहा पति पत्नी के बीच समस्या का कोई समाधान ही न हो , जिस केस के बारे में हम बात कर रहे है वहा तो समस्या का समाधान है , फिर वहा भी तलाक की बात क्यों की जाये । लड़की को अंग्रेजी नहीं आती या वो उससे कोई और नौकरी करना चाहता है या उसके बोलने चालने का ढंग सही है नहीं है वो सारी चीजे तो सुधारी जा सकती है , बदली जा सकती है , फिर तलाक की बात क्यों की जाये । व्यक्ति समय के साथ बदलता है सिखता नए मौहोल में ढलता है । कल को वो दूसरी शादी करे और फिर पत्नी जरुर से ज्यादा ही आधुनिक हो तो क्या फिर कहेंगी की उसे फिर से तलाक ले लेना चाहिए और तब तक शादी और तलाक का सिलसिला जरी रखना चाहिए जब तक की उसे उसके मन की पत्नी न मिल जाये , क्या विवाह बस एक सम्पूर्ण और अपने मन की ही जीवन साथी के बिना नहीं हो सकता है । और आप ने सोचा है की जिस आसानी से आप तलाक की बात कर रही है उससे लड़की के जीवन पर क्या सर होगा । जिस सामजिक परिवेश से लड़की आ रही है वहा तलाक के बाद उसकी दूसरी शादी बहुत ही मुश्किल हो जाएगी , आज भी समाज में विधवाओ की शादी तो फिर भी एक बार हो जाये किन्तु जिस लड़की को पति तलाक दे उसका विवाह बहुत ही मुश्किल होता है या फिर होता है तो अपनी आयु से बहुत बड़े दो चार बच्चो के पिता से होता है ( मेरे रिश्ते की एक बहन की और एक मौसी की हुई है अपने से दुगने आयु के पुरुषो के साथ )। जबकि लडके का विवाह में इतनी अड़चन नहीं आती है और ज्यादातर तो उनका विवाह अविवाहित लड़कियों से फिर से दहेज़ ले कर हो जाता है ।कितनी बार ऐसा भी हुआ है की आप किसी को बरसों से जानते हो आप का लम्बा अफेयर हो उसके बाद भी शादी के बाद पति पत्नी में नहीं पटती है झगड़े होते है , एक दुसरे में कमिया दिखाई देती है , फिर क्या कहेंगी की विवाह किस तरह किया जाये । कोई भी व्यक्ति सम्पूर्ण नहीं होता है हम सभी अधूरे है और एक दुसरे की सोच को इच्छाओ को पूरा नहीं कर सकते है , और अंत में आप को दुसरे की गलतियों , अयोग्यताओ के साथ ही स्वीकार करना होता है । आप इसे समझौता कह सकती है , लेकिन ये हर रिश्ते में होता है चाहे वो हमें जन्म के साथ मिले रिश्ते हो या हम मित्र , पडोसी पति पत्नी के रूप में अपने मन से चुने गए , यदि आप सम्पूर्णता के चाह रखे है हर कुछ बिलकुल आप के मन का हो ये सम्भव नहीं है और यदि आप की ये सोच रही तो आप जीवन में विवाह क्या कोई भी रिश्ता नहीं निभा पाएंगे , ये बात सभी को समझना चाहिए ।<br />उसके बाद भी कहती हूँ की हा तलाक होना चाहिए यदि पति पत्नी में से किसी के बारे में विवाह के पहले बहुत बड़ा झूठ बोल गया हो या विवाह के बाद दोनों में नहीं पट रही है , या दोनों में से किसी का किसी any से सम्भन्ध बना गया है और वो इस रिश्ते को ख़त्म करना चाहते है , तो बिलकुल तलाक दे कर अलग हो जाना चाहिए , किन्तु हर बात में तलाक का कोई मतलब नहीं है ।<br /><br />anshumalahttps://www.blogger.com/profile/17980751422312173574noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-74467504006210438342013-02-18T10:49:21.308+05:302013-02-18T10:49:21.308+05:30 रचना जी और मुक्ति जी
... रचना जी और मुक्ति जी <br /><br /> जो मुद्दे आप दोनों उठा रहे है वो सभी सही है किन्तु हम बात एक व्यक्ति की समस्या पर कर रहे है जिसने हमसे एक उपाय माँगा है तो हमारी जिम्मेदारी है की हम जहा उस लडके को उसकी समस्या का समाधान बताये वही ये भी बताये की वो कहा पर गलत है । सभी ने एक सुर में उससे कहा की जो विद्रोह इंकार वो आज कर रहा है उसे वो विवाह के पहले ही कर देना था दोनों की जिन्दगिया बर्बाद नहीं होती , किसी ने उससे ये नहीं कहा की जैसी भी हो पत्नी शादी निभाओ। पहले रचना जी आप बता दे की हमें करना क्या है किसी व्यक्ति की समस्या का हमें समाधान देना है या उसकी समस्या एक किनारे रख हमें उससे जुड़े सामजिक मुद्दों पर बहस करनी है । यदि आप चाहती है की हम उससे जुड़े सामाजिक समस्या पर बात करे तो आप को ये नहीं लिखना चाहिए की लड़का अब क्या करे , आप उस केस को एक उदहारण के तौर पर रखती और दोनों पक्षों की बात रखती और फिर कहती की एक सामजिक रुढी ने दो जीवन बर्बाद कर दिए , फिर हम उस सामजिक समस्या पर बात करते । <br /><br /> anshumalahttps://www.blogger.com/profile/17980751422312173574noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-58086331405393119272013-02-18T01:18:29.298+05:302013-02-18T01:18:29.298+05:30द्विवेदी जी, मैं दरअसल ये बात भी रखना चाहती थी, ले...द्विवेदी जी, मैं दरअसल ये बात भी रखना चाहती थी, लेकिन फिर सोचा कि बात दूसरी ओर न चली जाय. मसलन तलाक के दुरूपयोग आदि पर. लेकिन आपने बात पूरी कर दी.<br />मैं इस बात को शादी (अरेंज्ड मैरिज) से जोड़ना चाहती हूँ. असल में हमारे देश में तलाक की प्रक्रिया, चाहे वो परस्पर सहमति वाला तलाक हो, बहुत जटिल और दीर्घकालीन है. दूसरी बात, तलाक आज भी एक घृणित और वर्जित कार्य समझा जाता है. माता-पिता इस बात का फायदा उठाते हैं. वो सोचते हैं कि एक बार शादी हो जाय तो लड़का-लड़की किसी न किसी तरह "निभा" ही लेंगे. ये बात सुनने में अटपटी ज़रूर लगेगी. लेकिन सच है. इस बात की ओर मेरा ध्यान मेरे पिताजी ने दिलाया था ऐसे ही 'निभाते जाने' की बात को लेकर. <br />मैं ये बात कहना नहीं चाहती, लेकिन सच है कि लड़की के माता-पिता इस बात का खूब फायदा उठाते हैं और किसी न किसी तरह शादी करवा देने के पक्ष में होते हैं. उन्हें नहीं मालूम होता कि ऐसा करके वे दो जिंदगियां बर्बाद कर रहे होते हैं.<br />मैं लड़की के माता-पिता से ये कहना चाहूँगी कि अपनी लड़की को बोझ समझकर उतारने के बजाय सोच-समझकर शादी करें और यदि लड़का-लड़की शादी से खुश न हों, तो उसे तोड़ने में भी संकोच न करें. छोटी-छोटी बातों पर "घर तोड़ने" के पक्ष में मैं भी कभी नहीं रहती, लेकिन जब बात इस स्तर तक आ जाए, तो तलाक लेने में कोई बुराई नहीं है. <br />और लोगों से भी कहूँगी कि तलाक को लेकर अपनी मानसिकता बदलें प्लीज़. बहुत से पति-पत्नी तो सिर्फ 'समाज के डर' से अलग नहीं होना चाहते. रोज़-रोज़ के तनाव से अलग रहना बेहतर है. कोई भी किसी रिश्ते को आसानी से तोड़ना नहीं चाहता, लेकिन जब साथ रहना दूभर हो जाय, तो सम्बन्ध तोड़ने में कोई हर्ज नहीं है.muktihttps://www.blogger.com/profile/17129445463729732724noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-74324381686337477462013-02-17T20:40:07.905+05:302013-02-17T20:40:07.905+05:30मैं यही चाह रहा था।जो बात पिछली पोस्ट पर नहीं हुई ...मैं यही चाह रहा था।जो बात पिछली पोस्ट पर नहीं हुई वो अब यहाँ हो सकती है।पिछली पोस्ट पर जिस तरह से कुछ बातें लडकों के लिए कही गई वह एकतरफा है या वो बस आधा सच है ।खैर जिस तरह मुक्ति जी ने कहा कि कुछ गलती लडकी पक्ष की भी होती है तो इसके बारे में मैं कुछ नहीं कह सकता पर इतना जरूर कहूँगा कि जो मजबूरी या समस्या आप लडकी की बता रहे हैं वैसी ही कुछ हद तक लड़कों की भी होती है ।हाँ लड़कियों की ज्यादा गंभीर होती है।खैर अभी और कमेंट आने देते हैं।राजनhttps://www.blogger.com/profile/05766746760112251243noreply@blogger.com