tag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post3891575287245151864..comments2023-12-02T14:56:14.755+05:30Comments on नारी , NAARI: धर्म ग्रन्थ , समाज के नियम , कानून और संविधान , चुनाव सही करेरेखा श्रीवास्तवhttp://www.blogger.com/profile/00465358651648277978noreply@blogger.comBlogger6125tag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-13867234170624170202010-12-14T18:33:17.800+05:302010-12-14T18:33:17.800+05:30--जहां तक लिन्ग से लिन्ग, धर्म से धर्म,व्यक्ति से ...--जहां तक लिन्ग से लिन्ग, धर्म से धर्म,व्यक्ति से व्यक्ति, जाति से जाति के भेद की बात है वह सामान्य सहज़, जनहित न्याय है---एक ही अपराध की सज़ा सामान्य व्यक्ति, विशेष्ग्य, अधिकारी, शासक, धर्म-गुरु को अलग अलग ही दी जानी चाहिये.ताकि समाज में उचित संदेश जाय...अधिक अधिकार =अधिक दायित्व.. न्याय भी इस प्रकार के अपने विवेकाधीन ग्यान का उपयोग करता है.. shyam guptahttps://www.blogger.com/profile/11911265893162938566noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-80019024622082320672010-12-14T18:21:26.864+05:302010-12-14T18:21:26.864+05:30रचना जी,
आपने जो भी अत्याचार, बलात्कार आदि गिनाये...रचना जी,<br /> आपने जो भी अत्याचार, बलात्कार आदि गिनाये हैं वे अपराध प्रव्रत्ति के मनुष्य/ मानसिकता के कार्य हैं न कि धर्म व समाज के कानून या नियम..<br />.....अनाचारी असमाजिक तत्व( वे तत्व जो समाज व धर्म के विरुद्ध कार्य करते हैं इसीलिये असामाजिक शब्द बना)अप्नी सुविधा एवं शक्ति व दखल के अनुसार उन्हें कुछ भी रूप दे देते हैं...जैसे अपराधी कानून को तोडने व नेता/ कुछ सरकारें/ संस्थायें/ कोर्पोरेट जगत के लोग संविधान के विरुद्ध कार्य कार्य करते पाये जाते हैं....<br />---शादी के बाद नाम बदलने का नियम मध्य युगीय है जो संतान केअधिकार, निश्चितीकरण व जायदाद आदि के हक आदि के लिये बनी.....सीता, पार्वती, द्रौपदी,रुकमिनी, मदालसा,रानी लक्ष्मी बाई आदि ने कब नाम बद्ले थे.....<br />---कानून व संविधान में भी हिन्दू ला, मुस्लिम पर्सनल ला आदि धार्मिक नियमों को स्थान दिया गया है...कानून /संविधान कहीं आसमान से नहीं उसी समाज व धार्मिक नियमों से आये है...<br />----अतः निश्चय ही हमें प्रत्येक स्थान पर सही , उचित, मानवोचित चुनाव करना चाहिये .. shyam guptahttps://www.blogger.com/profile/11911265893162938566noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-7287258083352057582010-12-14T08:53:10.346+05:302010-12-14T08:53:10.346+05:30रचना जी,
मुझे लगता है कि आज ज्यादातर पढी ...रचना जी,<br /> मुझे लगता है कि आज ज्यादातर पढी लिखी व समझदार महिलाऐं जो अपने अधिकारों के प्रति जागरूक हैं वो धर्म का संपूर्ण निषेध तो नहीं करती परंतु उसके नाम पर थोपी गई तमाम स्त्री विरोधी व पुरूषों को महिमामंडित करने वाली मान्यताओं को नहीं मानती फिर चाहे करवा चौथ हो या अहोई अष्टमी.धर्म का स्वरूप पहले ऐसा नही रहा होगा लेकिन समाज के कमजोर तबकों(स्त्री व दलितों) को दबाऐं रखने के लिये ये बुराईयाँ धर्म के साथ जोड दी गई(वो भी इसलिये सम्भव हो पाया क्योंकि धर्म या धर्मग्रंथ ईश्वर द्वारा नहीं बनाये गये सत्ताधारी वर्गों ने ही इन्हें अपनी सुविधानुसार बनाया या इनकी व्याख्या की हैं).परंतु अब इन बुराईयों को धर्म से अलग किये जाने की जरूरत हैं वर्ना कोई कारण नही कि महिलाओं का विश्वास धर्म के बजाय कानून व संविधान पर ही अधिक हो वो और कुछ न सही स्त्री के लिये समानता(अवसरों की समानता)की बात तो करते हैं.राजनhttps://www.blogger.com/profile/05766746760112251243noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-1274116522082847512010-12-13T21:16:29.167+05:302010-12-13T21:16:29.167+05:30हाँ ...... लेख के इस हिस्से से सहमत हूँ की संविधान...हाँ ...... लेख के इस हिस्से से सहमत हूँ की संविधान की जानकारी होनी चाहिए ....एक बेहद साधारण पाठकhttps://www.blogger.com/profile/14658675333407980521noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-68875722768910258702010-12-13T18:08:08.311+05:302010-12-13T18:08:08.311+05:30बिलकुल सही। आप से सहमति है।बिलकुल सही। आप से सहमति है।दिनेशराय द्विवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-14631852594320619092010-12-13T16:53:49.027+05:302010-12-13T16:53:49.027+05:30ना तो लोग धर्म ग्रंथो की ठीक से व्याख्या करते है औ...ना तो लोग धर्म ग्रंथो की ठीक से व्याख्या करते है और ना ही संविधान की सभी बस अपने मतलब के हिसाब से उसे मानते और नहीं मनाते हैऔर अपने स्वार्थो के हिसाब से उसका अर्थ निकलते है |anshumalahttps://www.blogger.com/profile/17980751422312173574noreply@blogger.com