tag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post3458850046524811589..comments2023-12-02T14:56:14.755+05:30Comments on नारी , NAARI: नारी संबोधनकारी गलियों को बर्दाश्त करना..........रेखा श्रीवास्तवhttp://www.blogger.com/profile/00465358651648277978noreply@blogger.comBlogger9125tag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-4210172236849332472010-03-05T22:33:15.007+05:302010-03-05T22:33:15.007+05:30true 100%true 100%Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-13257239972725334402010-03-05T09:55:18.653+05:302010-03-05T09:55:18.653+05:30vicharottejak...kya iska pratikar purushparak gali...vicharottejak...kya iska pratikar purushparak galiyon se ho? naheen... galee hi ban ho... gli dena hi denevale kee kamjoree ka prateek hai. jab chahe anusar naheen kar/kara pate to gali dete hain.Divya Narmadahttps://www.blogger.com/profile/13664031006179956497noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-65607054607000294722010-02-23T00:17:34.892+05:302010-02-23T00:17:34.892+05:30बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति ।बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति ।संजय भास्कर https://www.blogger.com/profile/08195795661130888170noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-59562743426812428712010-02-20T11:28:09.832+05:302010-02-20T11:28:09.832+05:30स्त्री से जोड़कर गालियाँ देने कि प्रथा बहुत पहले से...स्त्री से जोड़कर गालियाँ देने कि प्रथा बहुत पहले से है. आज हम इतने शिक्षित और सभ्य हो चुके हैं तब भी बंद नहीं कर पाए या इस आदत को छोड़ पाए है. इसका शिक्षा और सभ्यता से कोई लेना देना नहीं. यह तो हमारे संस्कारों कि बात है कि हम किस वातावरण मेंपले हैं और परिवार व परिवेश का माहौल कैसा है?<br /> जब लोगों में यह अहसास आ जायेगा कि माँ और बहन सिर्फ माँ और बहन होती है , उसको किसी व्यक्ति विशेष के दायरे में नहीं बांध सकते तो उस जगह अपनी माँ और बहन को सोच कर खुद ही रुक जाएगा. वैसे जो काम पुरुष करते हैं , यह आरोप बराबर लगता कि कि नारी भी तो ऐसा ही करने लगी हैं. और होता भी है लेकिन जहाँ तक मेरी इस उम्र तक मैंने किसी नारी के मुंह से ऐसी गलियां नहीं सुनीं है.<br />वैसे जब भी मैं औरो से ऐसी गाली सुनती हूँ तो मेरा खून खौल जाता है कि हम अब भी वहीँ हैं चाहे कुछ भी बन जाएँ या कहीं भी पहुँच जाएँ.रेखा श्रीवास्तवhttps://www.blogger.com/profile/00465358651648277978noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-5243376097880721672010-02-20T01:00:40.231+05:302010-02-20T01:00:40.231+05:30समझ नहीं आता कि आदमी माँ, बहिन की गाली दूसरे को द...समझ नहीं आता कि आदमी माँ, बहिन की गाली दूसरे को देता है या खुद को????<br />गाली देना आदमी ने अब इतना सहज रूप में अपने स्वभाव में ढाल लिया है जैसे वाक्य पूरा करने के लिए कोई सहायक क्रिया हो. इस गंदी आदत को बदलना ही होगा.<br />जय हिन्द, जय बुन्देलखण्डराजा कुमारेन्द्र सिंह सेंगरhttps://www.blogger.com/profile/16515288486352839137noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-73751757069492634352010-02-19T21:26:00.220+05:302010-02-19T21:26:00.220+05:30प्रभुत्वशाली वर्ग के अधीन जो रहे उनके विरुद्ध गालि...प्रभुत्वशाली वर्ग के अधीन जो रहे उनके विरुद्ध गालियों का आविष्कार हुआ,क्या यह सच नहीं कि सारी गालियाँ दलित, अल्पसंख्यक और नारी के खिलाफ हैं.सिर्फ गाली ही नहीं मुहावरे तक ऐसे हैं.इनकी जमकर मुखालिफत का समय अब आ गया है....<a href="" rel="nofollow">शहरोज़</a>शेरघाटीhttps://www.blogger.com/profile/12003123660549394986noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-78525085039913184222010-02-19T20:17:14.496+05:302010-02-19T20:17:14.496+05:30कि हम नारी का सम्मान हरगिज़ बर्दाश्त नहीं करेंगें....कि हम नारी का सम्मान हरगिज़ बर्दाश्त नहीं करेंगें. ......?मनोज कुमारhttps://www.blogger.com/profile/08566976083330111264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-72581889133698802122010-02-19T19:43:15.686+05:302010-02-19T19:43:15.686+05:30और आपने गलती से लिख दिया है कि हम नारी का सम्मान क...और आपने गलती से लिख दिया है कि हम नारी का सम्मान कतई बर्दाश्त नहीं करेंगे... उसे अपमान करें..<br />जय हिंद...दीपक 'मशाल'https://www.blogger.com/profile/00942644736827727003noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-9809956880588217712010-02-19T19:41:38.442+05:302010-02-19T19:41:38.442+05:30कर्म करें लिखे हुए पे ना जाएँ.. लोग लिखते बहुत अच्...कर्म करें लिखे हुए पे ना जाएँ.. लोग लिखते बहुत अच्छा हैं.. लेकिन मन में जाने क्या-क्या रखते हैं...<br />लिखा तो ये भी गया है- ''त्रिया चरित्रं पुरुषस्य भाग्यम, देवो ना जानापि कः सा मनुष्यः.''<br />कई बार लिखने वाले इतनी गिरी बातें भी लिख जाते हैं ना जाने किस खुमार में..<br />इसलिए बेहतर है कि कम सुधरें .. समाज आप सुधर जायेगा..<br />जय हिंद...दीपक 'मशाल'https://www.blogger.com/profile/00942644736827727003noreply@blogger.com