tag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post3414139343489930270..comments2023-12-02T14:56:14.755+05:30Comments on नारी , NAARI: क्या बच्चे पैदा करना औरतों की कमज़ोरी है?रेखा श्रीवास्तवhttp://www.blogger.com/profile/00465358651648277978noreply@blogger.comBlogger11125tag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-77142288481990902212009-11-18T19:18:55.843+05:302009-11-18T19:18:55.843+05:30ab inconvenienti से सहमत !ab inconvenienti से सहमत !Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-24069407084172989432009-11-18T18:31:54.184+05:302009-11-18T18:31:54.184+05:30कुछ 'पहरेदारों' को मेरे विचारों पर आपत्ति ...कुछ 'पहरेदारों' को मेरे विचारों पर आपत्ति होगी, उनसे पहले ही विनम्र क्षमा याचना. <br /><br />अच्छा कदम है नियोक्ताओं का, वैसे भी जनसंख्या हद से ज्यादा बढ़ रही है. महिलाओं को करियर में तब तक व्यस्त रखा जाए जब तक की वे माँ बनाने की आयु पार न कर जाएं. महिलाएं भी इसे अपना नैतिक कर्त्तव्य मानते हुए परिवार और मातृत्व के फेर में न पड़कर देश की आर्थिक उन्नति में अपना योगदान दें. <br /><br />फिर ये नवयुवतियां चाहें तो किसी अनाथ या गरीब बच्चे को गोद ले सकती हैं, इस तेज़ रफ़्तार दुनिया में खुद बच्चे पैदा करके मूल्यवान समय और उर्जा बर्बाद करना किसी भी प्रकार से सही नहीं है.<br /><br />क्या ज़रूरी है की हर महिला माँ बने? या विवाह करे? बच्चे की सही परवरिश कम से कम सोलह से अट्ठारह वर्ष तक काफी समय और उर्जा मांगती है, आज डबल इनकम सिंगल किड्स फैमली के दुष्परिणाम हर कहीं दिख रहे हैं. व्यस्त अभिभावकों के ये बच्चे बारह तेरह की उम्र में ही हार्ट अटैक. डिप्रेशन, मधुमेह, हायपरटेंशन, ओबेसिटी का शिकार हो रहे हैं. क्यों की माँ भी बिज़ी और बाप भी बिज़ी. बच्चे व्यावसायिक क्रेश और होस्टल्स में सामूहिक रूप से बड़े होते हैं, जो कुछ ज्यादा कमा पाते हैं उनके बच्चों को कामवाली आया पालती है. <br /><br />मैंने ऐसे लड़के भी देखे हैं जिसके पिता एक बहुरष्ट्रीय कंपनी में बड़े अधिकारी हैं, सातों दिन कम से कम तेरह चौदह घंटे काम करते हैं. माँ अंतर्राष्ट्रीय रूट पर एयर होस्टेस हैं, जो साल के ग्यारह महीने ऑन बोर्ड ड्यूटी पर बिताती हैं. उसके लिए माता पिता केवल बैंक एकाउंट हैं, जिसके माध्यम से उसे इफरात जेबखर्च हर महीने मिल जाता है. पर अपने अभिभावकों को साल दो साल में ही देख पाता है, वह भी ज़्यादातर एकसाथ नहीं. दीवाली वगैरह भी उसकी होस्टल में ही बीतती है. <br /><br />जिन दम्पत्तियों के पास बच्चे को सही ढंग से पालने के लिए समय और सही भौतिक और मानसिक संसाधन नहीं हों उन्हें बच्चे पैदा करने का अधिकार नहीं होना चाहिए.<br /><br />ऐसे में आज समय की ज़रूरत है की सरकार जीवन भर अविवाहित रहने का फैसला करने वालों को या संतान न चाहने वाले दम्पत्तियों को पोत्साहन दे, और विवाह व गर्भधारण को हतोत्साहित करे. क्योंकि अगर काम हाथ में लिया है तो ज़रूरी है की उसे अंजाम तक भी पहुंचाया जाए. वर्ना बच्चे को ऐसे पैदा करके इस तरह पलने के लिए छोड़ देने से अच्छा है की माँ बनाने की इच्छा दबा ली जाए, या ज्यादा अच्छा होगा की किसी गरीब बच्चे को स्पोंसर किया जाए. <br /><br />There is no point of taking only half measures. <br /><br />--------------ab inconvenientihttps://www.blogger.com/profile/16479285471274547360noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-45704767557358325882009-11-18T15:21:56.393+05:302009-11-18T15:21:56.393+05:30किसी के व्यक्तिगत सोच पर ना जाएँ. व्यवसाय और तकनीक...किसी के व्यक्तिगत सोच पर ना जाएँ. व्यवसाय और तकनीकी बातों से इसको जोड़ना ठीक नहीं है. <br />महिलायें तन और मन से कितनी ताकतवर और सहनशील हैं इसे बताने की कोई जरुरत ही नहीं है.<br />मातृत्व सबसे बड़ी सेवा है. हर व्यक्ति सर्वप्रथम अपनी माँ का ही ऋणी है.<br /><br /> - <a href="http://sulabhpatra.blogspot.com/" rel="nofollow">सुलभ</a>Sulabh Jaiswal "सुलभ"https://www.blogger.com/profile/11845899435736520995noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-25995057293017733872009-11-18T12:24:55.999+05:302009-11-18T12:24:55.999+05:30ये हमारी ताकत है। हम मर्दों वाले काम कर सकते हैं ल...ये हमारी ताकत है। हम मर्दों वाले काम कर सकते हैं लेकिन मर्द हमारे काम नहीं कर सकते।Manishahttps://www.blogger.com/profile/07335662336498803553noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-80613714493720579982009-11-18T09:22:46.141+05:302009-11-18T09:22:46.141+05:30यह कमजोरी नहीं बल्कि ताकत है जो मर्द के पास नही है...यह कमजोरी नहीं बल्कि ताकत है जो मर्द के पास नही है , औरत घर ,बाहर की जिम्मेवारियों को निपटाते हुए मर्द को भी यही पैदा करती है, बहुत कुछ लिखने का मन है पर बस इतना ही...आभाhttps://www.blogger.com/profile/04091354126938228487noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-46770754308967111882009-11-18T07:33:29.946+05:302009-11-18T07:33:29.946+05:30niceniceRandhir Singh Sumanhttps://www.blogger.com/profile/18317857556673064706noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-17478290530871058142009-11-18T04:57:31.084+05:302009-11-18T04:57:31.084+05:30यह उसकी कमजोरी नहीं उसकी ताकत है.यह उसकी कमजोरी नहीं उसकी ताकत है.M VERMAhttps://www.blogger.com/profile/10122855925525653850noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-82638720385818625512009-11-18T00:57:09.618+05:302009-11-18T00:57:09.618+05:30kuchh isi tarah ke sawal NARI ko kamjor banaate ha...kuchh isi tarah ke sawal NARI ko kamjor banaate hain aur sabhi NARIYON ko shak ke ghere men khadaa kar dete hain.राजा कुमारेन्द्र सिंह सेंगरhttps://www.blogger.com/profile/16515288486352839137noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-75059462262782182692009-11-18T00:28:23.403+05:302009-11-18T00:28:23.403+05:30बिलकुल नही ।बिलकुल नही ।शरद कोकासhttps://www.blogger.com/profile/09435360513561915427noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-49066393791536984272009-11-18T00:21:29.447+05:302009-11-18T00:21:29.447+05:30"क्या बच्चे पैदा करना औरतों की कमज़ोरी है?&qu..."क्या बच्चे पैदा करना औरतों की कमज़ोरी है?"<br /><br />ये भी कोई पूछने की बात है ।अर्कजेशhttps://www.blogger.com/profile/11173182509440667769noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-54422970730447946392009-11-18T00:02:45.054+05:302009-11-18T00:02:45.054+05:30matrayav naari ka sabsey sundar aur gauravshali pa...matrayav naari ka sabsey sundar aur gauravshali paksh. yeh kamjori nahin taakat hai.<br /><br />सटीक लेखन। उत्कृष्ट अभिव्यक्ति।<br />अच्छा लिखा है आपने। कथ्य और शिल्प दोनों स्तरों पर रचना प्रभावित करती है। <br /><br />मैने अपने ब्लाग पर एक लेख लिखा है-घरेलू हिंसा से लहूलुहान महिलाओं का तन और मन-समय हो तो पढ़ें और कमेंट भी दें-<br />http://www.ashokvichar.blogspot.com<br /><br />मेरी कविताओं पर भी आपकी राय अपेक्षित है। कविता का ब्लाग है-<br />http://drashokpriyaranjan.blogspot.comDr. Ashok Kumar Mishrahttps://www.blogger.com/profile/01184710406024316074noreply@blogger.com