tag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post3173042470320456693..comments2023-12-02T14:56:14.755+05:30Comments on नारी , NAARI: अगर क़ोई घर से दूर हैं तो बलात्कार करना उसका अधिकार हैं , कंट्रोल जो नहीं रहता -- शेम शेमरेखा श्रीवास्तवhttp://www.blogger.com/profile/00465358651648277978noreply@blogger.comBlogger21125tag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-50426416761075087012012-02-11T15:23:33.229+05:302012-02-11T15:23:33.229+05:30मेरा आग्रह है कि "बलात्कार" और "दुष...मेरा आग्रह है कि "बलात्कार" और "दुष्कर्म" के घालमेल के खिलाफ सक्रिय होने की जरूरत है।<br /><br /><br />इस लेख में यह लाइन है- <br /><br />"कितनी अजीब बात हैं की अगर क़ोई पुरुष इस प्रकार का दुष्कर्म करे तो हम उसको माफ़ कर दे क्युकी उसके पास अपनी काम वासना की पूर्ति के लिये उसकी पत्नी की देह उपलब्ध नहीं थी ।"<br /><br />इसमें "इस प्रकार दुष्कर्म" का अर्थ बलात्कार ही है। कुकर्म का प्रयोग भी इसी अर्थ में किया गया है।<br /><br /><br />लेकिन कई बार यह असावधानीवश और चलन में होने की वजह से होता है। इससे न सिर्फ बचने की जरूरत है, बल्कि जहां ऐसे प्रयोग हों, उस पर आपत्ति जताया जाना चाहिए।<br /><br />व्यवस्था बेहद बारीकियों में अपना खेल खेलती है और खुद को बनाए रखने का यह उसका एक बड़ा हथियार है। यह साजिश शब्दों के प्रयोग के स्तर सबसे गहरी है।शेषhttps://www.blogger.com/profile/02424310084431510395noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-26354647188021355352012-02-10T19:09:13.995+05:302012-02-10T19:09:13.995+05:30इस पोस्ट में जहाँ दुष्कर्म शब्द का प्रयोग हुआ हैं ...इस पोस्ट में जहाँ दुष्कर्म शब्द का प्रयोग हुआ हैं वहाँ कर्म को लेकर हुआ हैं यानी किया हुआ गलत काम या वो काम जो गलत है और किया गया हैं <br />बलात्कार शब्द को बलात्कार और रेप ही कहा गया हैंरचनाhttps://www.blogger.com/profile/03821156352572929481noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-74118888589907829712012-02-10T15:40:25.053+05:302012-02-10T15:40:25.053+05:30कम से कम स्त्री की चिंताओं से लैस मंचों पर बलात्का...कम से कम स्त्री की चिंताओं से लैस मंचों पर बलात्कार जैसे जघन्य अपराधों के लिए "दुष्कर्म" या "कुकर्म" जैसे शब्दों का प्रयोग न केवल बंद हो, बल्कि इसके खिलाफ अभियान भी चलाया जाए। बलात्कार को कृपया जेब काटने जैसे "दुष्कर्मों" के बराबर करके न देखें, इसके बारे में ज्यादा संवेदनशील होने की जरूरत है। गुस्से में यह न भूलें कि एक शब्द से एक व्यवस्था बनती है। "दुष्कर्म" या "कुकर्म" जैसे शब्द बलात्कार शब्द की भयावहता को हम करने के लिए गढ़े गए हैं और धड़ल्ले से इस्तेमाल किए जा रहे हैं, समूचे मीडिया में और जिस पुरुष सत्तावाद को यह सुविधाजनक लगता है, उन सबकी भाषा में।<br /><br />इस मसले पर आराधना चतुर्वेदी मुक्ति ने अपने ब्लॉग पर लिखा भी है- <br /><br />http://feminist-poems-articles.blogspot.in/2012/02/blog-post.htmlशेषhttps://www.blogger.com/profile/02424310084431510395noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-36070871712405899962012-02-10T00:24:32.836+05:302012-02-10T00:24:32.836+05:30पहले तो वह बेचारा, पत्नी से दूर अकेला, साल में एक ...पहले तो वह बेचारा, पत्नी से दूर अकेला, साल में एक बार तो छुट्टी लेकर मनभर पत्नी का बलात्कार कर आता होगा. फिर भी कंट्रोल नहीं था. अब ७ साल बाद जब जेल से निकलेगा तो क्या हाल होगा? स्त्री जाति ही नहीं शायद वह छोटे लड़कों को भी न छोडेगा. सो उसके जेल से निकलते समय 'सावधान कंट्रोलविहीन बेचारे जी खुले घूम रहें हैं' की घोषणा करवा देनी चाहिए या फिर बच्चियों,स्त्रियों, बच्चों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए उनकी पत्नी को बुलवा कर उन्हें तुरंत हनीमून के लिए भेज देना चाहिए. पत्नी साथ न जाना चाहें तो भी.आखिर वह चाहने न चाहने वाली कौन होती है?<br />दिन रात ऐसी ख़बरें सुनते सुनते हम पत्थर होते जा रहें हैं.<br />घुघूतीबासूतीghughutibasutihttps://www.blogger.com/profile/06098260346298529829noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-89063766166998224912012-02-09T22:56:44.154+05:302012-02-09T22:56:44.154+05:30//जिनका खुद पर कण्ट्रोल नहीं रहता उनके लिए भी खास ...//जिनका खुद पर कण्ट्रोल नहीं रहता उनके लिए भी खास जगहें बनी हुई हैं, जैसेकि जेलें या पागलखाने|// <br />एकदम सही बात कही आपने!Indian Home Makerhttps://www.blogger.com/profile/10649133480442907582noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-5147739115046485682012-02-07T23:05:22.544+05:302012-02-07T23:05:22.544+05:30जिनका खुद पर कण्ट्रोल नहीं रहता उनके लिए भी खास जग...जिनका खुद पर कण्ट्रोल नहीं रहता उनके लिए भी खास जगहें बनी हुई हैं, जैसेकि जेलें या पागलखाने|satishhttps://www.blogger.com/profile/12725209527887340796noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-49060189793077428862012-02-07T12:06:39.906+05:302012-02-07T12:06:39.906+05:30यह तो एक मज़ाक़ लगता है, कोर्ट का न्याय नहीं।
(न...यह तो एक मज़ाक़ लगता है, कोर्ट का न्याय नहीं। <br /><br />(न्यायाधीश के बैकग्राउंड का पता लगाना चाहिए। )<br /><br />इस दलील के आधार पर सोचिए यह स्थिति यदि आए कि पत्नी मर ही जाए तो ऐसे लोगों को और भी सहानुभूति दिखाएगी हमारी अदालतें।मनोज कुमारhttps://www.blogger.com/profile/08566976083330111264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-23490117058766049492012-02-07T06:43:26.524+05:302012-02-07T06:43:26.524+05:30यह तो बहुत बेहूदा तर्क दिया है...... ऐसे तो लाखों ...यह तो बहुत बेहूदा तर्क दिया है...... ऐसे तो लाखों लोग अपने परिवारों से दूर रहकर कमाते है तो क्या ऐसा करना उचित माना जायेगा ? डॉ. मोनिका शर्मा https://www.blogger.com/profile/02358462052477907071noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-46586280836712695642012-02-07T00:11:53.559+05:302012-02-07T00:11:53.559+05:30हद हो गई बेशर्मी की यह कोई बात हुई की कंट्रोल नहीं...हद हो गई बेशर्मी की यह कोई बात हुई की कंट्रोल नहीं हुआ एक बार को यह बात मान भी ली जाये तो ऐसे कंट्रोल के लिए बाज़ार में बहुत सी सुविधाएं है। उसके बावजूद भी एक मासूम बच्ची के साथ ऐसा दुर व्यवहार.... उसे तो ऐसी कोई सजा मिलनी चाहिए की कोई और यदि इस विषय में ऐसा कुछ सोच भी रहा हो तो,तो वो एक बार नहीं सौ बार 100 सोचे।Pallavi saxenahttps://www.blogger.com/profile/10807975062526815633noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-32328734091389419282012-02-06T22:35:25.491+05:302012-02-06T22:35:25.491+05:30रचना जी, मेरा कमेंट फिर गायब है :(रचना जी, मेरा कमेंट फिर गायब है :(वन्दना अवस्थी दुबेhttps://www.blogger.com/profile/13048830323802336861noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-671365361007780042012-02-06T22:15:28.307+05:302012-02-06T22:15:28.307+05:30IndianHomemaker के ब्लॉग पर भी यह चर्चा का विषय बन...IndianHomemaker के ब्लॉग पर भी यह चर्चा का विषय बना हुआ है।<br />सर्वसम्मति से इस फ़ैसले की भर्त्सना की गई है।<br />Petition हमने भी sign की।<br />जी विश्वनाथG Vishwanathhttps://www.blogger.com/profile/13678760877531272232noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-65354692418390888822012-02-06T22:00:37.609+05:302012-02-06T22:00:37.609+05:30ऐसे भेडिये को सिर्फ सजा ए मौत ही नहीं बल्कि उससे प...ऐसे भेडिये को सिर्फ सजा ए मौत ही नहीं बल्कि उससे पहले कठोर यातनाएँ देनी चाहिए.<br />अपनी आपत्ति दर्ज करवा दी है...<br />पोस्ट के विषय में कुछ और कहना चाहूँगा.<br />बच्चों के लिए कानून बनाए गए हैं और यदि जरूरी हो तो और बनाए जाने चाहिए,मुझे नही लगता कि इससे किसीको भी एतराज होगा लेकिन कानून कैसे हों इसको लेकर सभी के विचार अलग अलग हो सकते हैं.नार्वे सरकार वाला मामला अलग था उसके बारे में यहाँ कुछ कहना सही नहीं होगा.<br />और रचना जी...आप किसीसे भी पूछकर देख सकती हैं बल्कि आप तो खुद भी देख रही होंगी कि बच्चों को लेकर समाज में जागरुकता और संवेदनशीलता पहले की तुलना में बढी ही हैं उनकी इच्छा अनिच्छाओं का ज्यादा रखा जाता हैं और अब बच्चों की पिटाई पहले जितनी नहीं होती.खासकर शहरी मध्यमवर्गीय माता पिता बच्चों को लेकर कहीं ज्यादा संवेदनशील हैं.ऐसे ही बच्चों से घर का काम भी अब पहले जितना नहीं कराया जाता.मीडिया की सक्रिय भूमिका के कारण हमें लगता हैं कि बच्चों पर ज्यादती के मामले बढ रहे हैं जबकि पहले की तुलना में अब बहुत परिवर्तन आया हैं.और मुझे नहीं लगता कि इसमें कानून की कोई भूमिका रही हैं.<br />कानून बनाए जाने चाहिए लेकिन यदि घरवाले ही बच्चों के प्रति लापरवाह हैं तो कानून ज्यादा कुछ कर पाएगा इसमें संदेह हैं.राजनhttps://www.blogger.com/profile/05766746760112251243noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-89000607891595894502012-02-06T21:31:40.138+05:302012-02-06T21:31:40.138+05:30कमाल है, ऐसा तर्क(?)!कमाल है, ऐसा तर्क(?)!भारतीय नागरिक - Indian Citizenhttps://www.blogger.com/profile/07029593617561774841noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-5254825810446428462012-02-06T21:05:19.378+05:302012-02-06T21:05:19.378+05:30ये निर्णय और इसी तरह के और निर्णय यह सिद्ध करते है...ये निर्णय और इसी तरह के और निर्णय यह सिद्ध करते हैं कि हमारे न्यायालय भी पितृसत्तात्मक सोच से मुक्त नहीं हैं. सच में, ऐसे लोगों को आजीवन कारावास का दंड दिया जाना चाहिए ताकि वो दोबारा ऐसे घृणित अपराध ना कर सकें.muktihttps://www.blogger.com/profile/17129445463729732724noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-4694862592556353282012-02-06T21:02:49.360+05:302012-02-06T21:02:49.360+05:30कोलकाता में एक गुजराती परिवार की बच्ची के साथ ऐसा ...कोलकाता में एक गुजराती परिवार की बच्ची के साथ ऐसा ही हुआ था.. बलात्कार और ह्त्या.. पीड़ित परिवार न्याय के विलम्ब के कारण गुमनामी के अँधेरे में छिप गया.. अपराधी को फाँसी हुई (बलात्कारी को नहीं मिलती, हत्यारा था इसलिए मिली सज़ा).. जिस सुबह उसे फाँसी डी जानी थी, उसके पिछली रात लोग मोमबत्तियाँ जलाए उसकी रिहाई की दुआ मांग रहे थे.. अलीपोर जेल के सामने!!<br />बेहिस समाज!!सम्वेदना के स्वरhttps://www.blogger.com/profile/12766553357942508996noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-86647197185385958562012-02-06T21:00:10.405+05:302012-02-06T21:00:10.405+05:30बेबुनियाद तर्क है कंट्रोल ना कर पाने की विवशता कतई...बेबुनियाद तर्क है कंट्रोल ना कर पाने की विवशता कतई तार्किक नहीं है!<br />इट्स शेमफुल!प्रवीण त्रिवेदीhttps://www.blogger.com/profile/02126789872105792906noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-49409826122896907912012-02-06T19:22:42.595+05:302012-02-06T19:22:42.595+05:30sach much ye galat baat haisach much ye galat baat haiमुकेश पाण्डेय चन्दनhttps://www.blogger.com/profile/06937888600381093736noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-32774143301796022902012-02-06T18:46:36.363+05:302012-02-06T18:46:36.363+05:30कंट्रोल न रहने की दलील निहायत बेहूदा है...इस दलील ...कंट्रोल न रहने की दलील निहायत बेहूदा है...इस दलील पर चले तो किसी भी लड़की या महिला का देश में रहना मुश्किल हो जाएगा...कड़े शब्दों में मेरी आपत्ति दर्ज की जाए, ऐसे नरपिशाच को दस साल नहीं कम से कम आजीवन कारावास दिया जाए...<br /><br />जय हिंद...Khushdeep Sehgalhttps://www.blogger.com/profile/14584664575155747243noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-10023923755270443702012-02-06T17:27:47.665+05:302012-02-06T17:27:47.665+05:30जितना हिंसक-दानवी कृत्य रामकिशन ने कियी है, उससे क...जितना हिंसक-दानवी कृत्य रामकिशन ने कियी है, उससे कम हिंसक फ़ैसला जजों का नहीं है. इस घिनौने जघन्य कृत्य पर यदि कोर्ट इस बात पर छूट देती है कि रामकिशन की पत्नी वहां नहीं थी तो समझिये कि पूरी न्यायपालिका ऐसे गुनाहों की पक्षधर है. कल के दिन फिर कोई रामकिशन पांच महीने की बच्ची के साथ पत्नी न होने के एवज़ में दुराचार करेगा. सिलसिला रुकने की जगह बढता ही जायेगा. बहुत शर्मनाक है.<br />जहां तक नॉर्वे का मामला है, तो जितना पक्ष दिखाई दे रहा है, वो जायज़ नहीं है.वन्दना अवस्थी दुबेhttps://www.blogger.com/profile/13048830323802336861noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-36385294258791526522012-02-06T16:44:37.106+05:302012-02-06T16:44:37.106+05:30सजा कम करने की दलील बहुत ही घटिया है... बच्चो को स...सजा कम करने की दलील बहुत ही घटिया है... बच्चो को साथ इस तरह की घिनौनी हरकत करने वालों को 10 साल की सज़ा कम करके 7 साल नहीं बल्कि बढ़ा कर सज़ा-ए-मौत मिलनी चाहिए. <br /><br />हमने अपनी आपत्ति दर्ज कर दी है...Shah Nawazhttps://www.blogger.com/profile/01132035956789850464noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-7539702889432752862012-02-06T16:10:13.297+05:302012-02-06T16:10:13.297+05:30sach mei ye shame shame hai humare kanoon or inko ...sach mei ye shame shame hai humare kanoon or inko man ne walo pe, aise logo ko fasi de di jaye, jo balatkar jaisa jaghanya apradh krte hGeetahttps://www.blogger.com/profile/07916683052983770611noreply@blogger.com