tag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post3008459121911248641..comments2023-12-02T14:56:14.755+05:30Comments on नारी , NAARI: विधवा विलाप इसे कहते हैं, संतोष त्रिवेदी जी , प्रवीण शाह जी और अरविन्द मिश्र जी रेखा श्रीवास्तवhttp://www.blogger.com/profile/00465358651648277978noreply@blogger.comBlogger41125tag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-90194527333826682272012-09-28T14:28:56.900+05:302012-09-28T14:28:56.900+05:30विवाहित पुरुष के क़ोई "लक्षण" नहीं होते ...<br />विवाहित पुरुष के क़ोई "लक्षण" नहीं होते जो उनको विवाहित सिद्ध कर दे<br />विवाहित के स्त्री के "लक्षण " यानी सुहाग चिन्ह होते हैं<br />इस लिये विधुर विलाप की क़ोई लाक्षणिक और व्यंजनात्मक अर्थों परिभाषा नहीं मिलती<br /><br />इसी लिये "विधवा विलाप" के लिये लोग लाक्षणिक और व्यंजनात्मक अर्थों परिभाषा दे पाते हैं रचनाhttps://www.blogger.com/profile/03821156352572929481noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-11374705763908726722012-09-28T06:10:30.092+05:302012-09-28T06:10:30.092+05:30गलत शब्द हमेशा गलत ही होता है .... समाज में कोई भी...गलत शब्द हमेशा गलत ही होता है .... समाज में कोई भी उसका प्रयोग करे तो वो सही नहीं बन सकता है ...... :(विभा रानी श्रीवास्तवhttps://www.blogger.com/profile/01333560127111489111noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-53846865913052011922012-09-26T19:17:31.212+05:302012-09-26T19:17:31.212+05:30ये सही है कि आज ऐसा कम होता है लेकिन नहीं होता ऐसा...ये सही है कि आज ऐसा कम होता है लेकिन नहीं होता ऐसा भी नहीं है....<br />जहाँ तक एक विधवा का प्रश्न है तो वो अपने आप में एक ही विधवा है वो भी विदेशी...और एक विदेशी विधवा पूरे हिन्दुस्तान की विधवाओं को नहीं दर्शाती.... <br />स्वप्न मञ्जूषा https://www.blogger.com/profile/06279925931800412557noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-22559467113028910382012-09-26T14:45:38.602+05:302012-09-26T14:45:38.602+05:30रेखा जी
प्रवीण शाह कहते है
@ एक और तथ्य जिसकी अनदे...रेखा जी<br />प्रवीण शाह कहते है<br />@ एक और तथ्य जिसकी अनदेखी की जा रही है वह है शब्द 'कुछ'... यह ध्यान रहे कि सभी के नारीवादी लेखन को 'विधवा विलाप' नहीं कह रहा टिप्पणीकार... तो फिर वह जो ऐसा करता ही नहीं, क्यों आहत हो टीप से ?...<br />प्रवीण जी ने अपने मित्र की सफाई में ये बात कही है उनकी पोस्ट पर बाद में आई और इस पोस्ट पर आई त्रिवेदी जी की टिप्पणियों को देख कर कही से भी उनकी ये बात किसी को भी सच लग रही है , वो इस तरह की टिप्पणिया करके अपने बारे में लोगों को और जानकारी दे कर हमारी आपत्ति को तो सही साबित कर ही रहे है साथ में अपना समर्थन कर रहे प्रवीण जी को भी गलत साबित कर रहे है |anshumalahttps://www.blogger.com/profile/17980751422312173574noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-50724981464322011802012-09-26T13:31:30.982+05:302012-09-26T13:31:30.982+05:30आपका और प्रवीण शाह का मान ऐसे कम अक्ल लोगों से क्ष...आपका और प्रवीण शाह का मान ऐसे कम अक्ल लोगों से क्षरित होने वाला नहीं है.लोगों को टंकी पर चढ़कर या अपने रूदाली समुदाय को मेल कर कर के मजमा लगाने दें.<br /><br />त्रिवेदी जी आप कहना क्या चाहते हैं? अपने शब्दों को देख लीजिये. पहले लिखे शब्द कम थे तो अब रुदाली पर आ गए. हम तो रुदाली बना दिए गए . आप भी आह्वान कीजिए और अपने साथ कुछ और लोगों को बुला लीजिये जो आपके शब्दों का समर्थन करने वाले हों. सब न सही फिर भी किसी भी वर्ग के लिए अपमानजनक शब्द का प्रयोग गलत है , हो सकता है कि बड़े राजनीतिक , सामाजिक और आर्थिक रुतबे वाले हों लेकिन किसी को अपशब्द कहने का अधिकार तो नहीं मिल जाता है. पहले रांड टाइप स्यापा परिभाषित किया और अब उसमें रुदाली और जोड़ दिया है तो फिर उसके भी पर्यायवाची बता दीजिये. ताकि इस पर भी कोई बवाल न हो. अब तो जितने भी कमेन्ट करने वाले है या साथ देने वाले हैं वो सभी रुदाली तो घोषित हो ही गए हैं. रेखा श्रीवास्तवhttps://www.blogger.com/profile/00465358651648277978noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-57801020939555697632012-09-26T12:09:38.764+05:302012-09-26T12:09:38.764+05:30aaj ke daur main yeh sab kuch nahi hai apnee apnee...aaj ke daur main yeh sab kuch nahi hai apnee apnee samajh ki soch hai sab log apne apne hisab se sabdo hi nai paribhasha bana lete hai...ek vidhwa videshi naari aap ke pure desh ko nacha rahi hai aur bade bade vidwaan uske aage nat mastak hai...<br /><br />jai baba banaras....Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/07499570337873604719noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-41073202434559882832012-09-26T10:51:55.772+05:302012-09-26T10:51:55.772+05:30"-बलपूर्वक शब्दों में अनुरोध है कि इसे हटा ले..."-बलपूर्वक शब्दों में अनुरोध है कि इसे हटा लें अन्यथा परिणाम के लिए तैयार रहे ! "<br /><br />Ye anurodh hai ya gidar dhamki hai? Aap pahle apna wo post/comment delete kijiye jahan aise gande shabdon ka use kiya hai.<br /><br />rgds.रेवा स्मृति (Rewa)https://www.blogger.com/profile/13005191329618003468noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-90344832745064994072012-09-26T10:50:42.457+05:302012-09-26T10:50:42.457+05:30This comment has been removed by the author.रेवा स्मृति (Rewa)https://www.blogger.com/profile/13005191329618003468noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-67042326404154419132012-09-26T10:49:11.166+05:302012-09-26T10:49:11.166+05:30http://ahilyaa.blogspot.in/2012/04/blog-post_27.ht...http://ahilyaa.blogspot.in/2012/04/blog-post_27.html। यह पोस्ट आपकी पोस्ट का काव्य रूप है, अवश्य पढ़ें।दीपिका रानीhttps://www.blogger.com/profile/12986060603619371005noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-62580394183630552872012-09-26T10:14:23.861+05:302012-09-26T10:14:23.861+05:30गुरूजी,काहे को परेशान हो रहे हैं,यही तो वह स्यापा ...गुरूजी,काहे को परेशान हो रहे हैं,यही तो वह स्यापा है जिसकी ओर हमने इंगित किया था और बुद्धिजीवी ब्लॉग-जगत त्रस्त है.जो लोग तंज और व्यंग्य नहीं समझते,उनको क्या कहा जाय.हमारे कहे शब्द सब पर लागू नहीं होते और यह भी कि वह एक दुष्प्रवृत्ति है जो यहाँ भी दिख रही है.<br />आपका और प्रवीण शाह का मान ऐसे कम अक्ल लोगों से क्षरित होने वाला नहीं है.लोगों को टंकी पर चढ़कर या अपने रूदाली समुदाय को मेल कर कर के मजमा लगाने दें.<br />मैंने इसी ब्लॉग-जगत में नारी और पुरुष की अश्लीलता पूर्ण टिप्पणियां इन्हीं कथित नारीवादी की पोस्ट और कमेन्ट में देखी हैं,दूसरों के बारे में नहीं कह सकता क्योंकि उस बारे में हमने उन्हें मेल नहीं किया है !<br />..ऐसे स्यापे की खास विशेषता होती है कि यह रुक-रूककर नई ऊर्जा से जारी रहता है.कइयों के अस्तित्त्व को खाद-पानी मिलती रहनी चाहिए.<br />शुभकामनाएँ !<br />संतोष त्रिवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00663828204965018683noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-21272902681214974122012-09-26T10:09:27.709+05:302012-09-26T10:09:27.709+05:30पोस्ट में हैं अरविन्द जी और जहां कमेन्ट में अंशु क...पोस्ट में हैं अरविन्द जी और जहां कमेन्ट में अंशु को मैने कहा हैं वहाँ भी लिख दिया हैं लिंक पोस्ट में हैं रचनाhttps://www.blogger.com/profile/03821156352572929481noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-26413189072823567842012-09-26T10:07:38.195+05:302012-09-26T10:07:38.195+05:30कहाँ है लिंक? हिन्दी की वर्तनी भी ठीक से नहीं लिख...कहाँ है लिंक? हिन्दी की वर्तनी भी ठीक से नहीं लिख पाने वाले लोग भी यहाँ इस भाषा पर पांडित्य प्रदर्शन कर रहे हैं -Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-71988343114476813742012-09-26T09:55:08.151+05:302012-09-26T09:55:08.151+05:30जो कहा हैं उसके नीचे एक लिंक भी हैं जो कहा हैं उसके नीचे एक लिंक भी हैं रचनाhttps://www.blogger.com/profile/03821156352572929481noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-59157235256091323692012-09-26T09:54:29.666+05:302012-09-26T09:54:29.666+05:30जो कहा हैं उसके नीचे एक लिंक भी हैं जो कहा हैं उसके नीचे एक लिंक भी हैं रचनाhttps://www.blogger.com/profile/03821156352572929481noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-46970113792936401552012-09-26T09:43:33.419+05:302012-09-26T09:43:33.419+05:30रचना जी ,
आपका निम्नांकित विचार दुर्भावनापूर्ण ,कु...रचना जी ,<br />आपका निम्नांकित विचार दुर्भावनापूर्ण ,कुत्सित मानसिकता का परिचायक और भड़काऊ है -मैंने या प्रवीण शाह या संतोष जी ने कभी भी किसी के लिए व्यक्तिगत रूप से यह/ऐसा संबोधन नहीं किया है और न ही ऐसा विचार रखते हैं -हम उस संस्कार और संस्कृति में पले बढे हैं जो लोगों को सौ वर्ष स्वस्थ रहकर जीने की कामना रखती है -आप ब्लॉग जगत में लोगों को भड़का रही हैं और दुर्भावना फैला रही है -आपके इस गर्हित आचरण की मैं पुरजोर शब्दों में भर्त्सना करता हूँ और स्वयं के सहित अन्य दोनों महानुभावों के लिए इसे अपमानजनक पाता हूँ-बलपूर्वक शब्दों में अनुरोध है कि इसे हटा लें अन्यथा परिणाम के लिए तैयार रहे ! <br />आपका वाक्यांश : <br />"मै फिर कह रही हूँ की अगर संतोष त्रिवेदी , प्रवीण शाह , अरविन्द मिश्र को किसी ब्लॉग लेखन करती महिला को रांड , विधवा , छिनाल इत्यादि कहना हैं तो इतने आवरण की क्या जरुरत हैं सीधा सीधा कहे जैसा मैने पोस्ट में कहा हैं " Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-42645953000311630212012-09-26T09:34:13.100+05:302012-09-26T09:34:13.100+05:30रचना जी ,
आपका निम्नांकित विचार दुर्भावनापूर्ण ,कु...रचना जी ,<br />आपका निम्नांकित विचार दुर्भावनापूर्ण ,कुत्सित मानसिकता का परिचायक और भड़काऊ है -मैंने या प्रवीण शाह या संतोष जी ने कभी भी किसी के लिए व्यक्तिगत रूप से यह/ऐसा संबोधन नहीं किया है और न ही ऐसा विचार रखते हैं -हम उस संस्कार और संस्कृति में पले बढे हैं जो लोगों को सौ वर्ष स्वस्थ रहकर जीने की कामना रखती है -आप ब्लॉग जगत में लोगों को भड़का रही हैं और दुर्भावना फैला रही है -आपके इस गर्हित आचरण की मैं पुरजोर शब्दों में भर्त्सना करता हूँ और स्वयं के सहित अन्य दोनों महानुभावों के लिए इसे अपमानजनक पाता हूँ-बलपूर्वक शब्दों में अनुरोध है कि इसे हटा लें अन्यथा परिणाम के लिए तैयार रहे ! <br />आपका वाक्यांश : <br />"मै फिर कह रही हूँ की अगर संतोष त्रिवेदी , प्रवीण शाह , अरविन्द मिश्र को किसी ब्लॉग लेखन करती महिला को रांड , विधवा , छिनाल इत्यादि कहना हैं तो इतने आवरण की क्या जरुरत हैं सीधा सीधा कहे जैसा मैने पोस्ट में कहा हैं " Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-17961483205651618292012-09-26T09:20:24.463+05:302012-09-26T09:20:24.463+05:30अब फिर शुरू हुआ नारीवादियों(पुरुष समाहित ) का विध...अब फिर शुरू हुआ नारीवादियों(पुरुष समाहित ) का विधवा विलाप -गलदश्रु संवेदना को दुलरा कर केवल भीड़ जुटाना ही इस पोस्ट का मकसद है -हमें उन लोगों की बौद्धिकता पर दाया आती है जो भाषा के शाब्दिक और अलंकारिक अर्थों का भेद नहीं कर पाते .....<br />आपका अपना ब्लॉग है जो कहना चाहे कहें और सजरा वर्णन करें -यह सब किसे बता रही हैं और यह कौन सी अनजानी बात है, गलदश्रु भावुकता प्रधान इस पोस्ट को नमस्कार -दूर से ही ! एक मुहावरा -कारण करके रोना होता है जो इस पोस्ट में चरितार्थ होता दिख रहा है -हमारे गाँवों में यह भी यह आम घटना है ! <br />बहरहाल इतना तो कह सकता हूँ कि अगर हमारी सोच और पक्ष से आपको सचमुच दुःख पहुँचता है तो मैं क्षमाप्रार्थी हूँ -मगर अपने कथन से समझौता नहीं! <br />और हाँ मैं तो नाराज अब रेखा श्रीवास्तव जी से भी हूँ (यद्यपि उनके प्रति मेरे सम्मान में अब भी कोई कमी नहीं है और यह वे जानती हैं ) क्योकि उनकी साँपों पर एक पोस्ट से उनकी धुर अज्ञानता प्रगट हुयी और उसे उन्होंने बताने पर भी मानने से इनकार किया जबकि भला उनका था ......मुक्ति से मैं न कभी नाराज़ था और न रहूँगा -हाँ सोच का फर्क और सैद्धांतिक असहमति तो है ! बाकी पर मुझे कोई स्पष्टीकरण नहीं देना है ! <br />आपके लिए भी अनुरोध है कि यह रोज रोज की चीख चिख छोड़ कुछ ठोस और सार्थक करें और लिव एंड लेट लिव ! Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-68504740208098162342012-09-25T23:31:46.766+05:302012-09-25T23:31:46.766+05:30कम ही बार ऐसा लगता है, लेकिन इस बार ऐसा लगा है क...कम ही बार ऐसा लगता है, लेकिन इस बार ऐसा लगा है कि इस पोस्ट के बाद शायद हम लोग कुछ लिखते बोलते समय अपने अन्दर कुछ संवेदनशीलता महसूस करेंगे| शब्द कई बार बहुत गहरा घाव कर देते हैं और ये घाव जल्दी से भरते भी नहीं| स्वीकार करूं तो मैंने खुद अपनी एक पोस्ट में इस शब्द का एक बार प्रयोग किया था हालांकि सन्दर्भ दूसरा था, लेकिन लिखते लिखते खुद को भी अजीब लगा था, इसीलिये जब उसी पोस्ट में दुबारा इस शब्द को इस्तेमाल करना था तो कूट भाषा का इस्तेमाल करना पडा| <br />पुनः कहता हूँ, आशा है इस पोस्ट के बाद ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति नहीं होगी या कम होगी| संजय @ मो सम कौन...https://www.blogger.com/profile/14228941174553930859noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-62886589367915566242012-09-25T23:20:28.223+05:302012-09-25T23:20:28.223+05:30बहुत लंबी चौड़ी बहस हो गई इस पर।मुझे लगता है जिस तर...बहुत लंबी चौड़ी बहस हो गई इस पर।मुझे लगता है जिस तरह का हमारा समाज है (बल्कि ज्यादातर समाज ऐसे ही है)पुरुषों को बहुत सी ऐसी बातें जो महिलाओं और उनकी भावनाओं से जुड़ी होती है उनके मर्म का एहसास नहीं होता(हालाँकि मैं इसका कारण उनका पुरुष होना भर नहीं मानता जैसा कि बहुत से लोग मानते हैं).विधवा विलाप शब्द निश्चित रूप से महिलाओं को ही ज्यादा चुभेगा।मैंने ये शब्द कभी प्रयोग तो नहीं किया लेकिन जब दूसरों को करते देखा तो वो विचार भी कभी नहीं आए जो यहाँ पोस्ट और टिप्पणियों में बताए गए।जबकि मेरी खुद की छोटी मौसी (हमारी जाति में मासीसा कहते है) विधवा है।उनकी उम्र अभी मात्र छत्तीस वर्ष है और इस हादसे को तीन वर्ष हो चुके है।मुझे नहीं लगता कि विधवा विलाप शब्द बोलते हुए किसीके दिमाग में किसी विधवा का मजाक उड़ाने जैसी बात आती होगी।एक गलत शब्द चला आ रहा है लोग प्रयोग किए जा रहे है।पर आपकी पोस्ट पढ़ के लगा कि इस शब्द को किसी भी तर्क से सही नहीं ठहराया जा सकता।आज के बाद ध्यान रखेंगे और आगे भी भूल से भी इसका प्रयोग नहीं करेंगे।बाकी संतोष जी ने जो शब्द प्रयोग किया,उनके दिमाग में क्या रहा होगा दिख ही रहा है।राजनhttps://www.blogger.com/profile/05766746760112251243noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-42960262928299737722012-09-25T17:59:14.572+05:302012-09-25T17:59:14.572+05:30ये क्या है? कैसी भाषा है ये? तथाकथित सभ्य/सुसंस्कृ...ये क्या है? कैसी भाषा है ये? तथाकथित सभ्य/सुसंस्कृत लोगों की भाषा है ये? कदा विरोध करती हूँ मैं ऐसी भाषा, और उसे इस्तेमाल करने वालों का.वन्दना अवस्थी दुबेhttps://www.blogger.com/profile/13048830323802336861noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-13582383984333191122012-09-25T14:32:15.092+05:302012-09-25T14:32:15.092+05:30अंशु
प्रवीण शाह की पोस्ट पर जा कर क़ोई भी देख सकता...अंशु<br />प्रवीण शाह की पोस्ट पर जा कर क़ोई भी देख सकता हैं की जो कमेन्ट संतोष त्रिवेदी की कमेन्ट से पहले आये हैं , मेरा भी , कहीं भी किसी ने भी प्रवीण शाह की पोस्ट से सहमति या असहमति नहीं दर्ज की हैं , सबने केवल और केवल पोस्ट पर अपना नज़रिया दिया हैं . फिर संतोष त्रिवेदी के कमेन्ट में रंडापा - टाइप स्यापा पढ़ा तो मैने आपत्ति दर्ज की और वहाँ से इसको विधवा विलाप की परिभाषा दी गयी हैं<br />वही मैने दो और लिंक भी छोड़े हैं जिनमे इसी प्रकार की शब्दावली का प्रयोग हुआ हैं<br />उसके बाद प्रवीण शाह ने अपनी पोस्ट को एक दस्तावेज मान लिया और कमेन्ट के साथ खड़े दिखे<br />बात सहमति और असहमति की नहीं हैं <br /><br />मै फिर कह रही हूँ की अगर संतोष त्रिवेदी , प्रवीण शाह , अरविन्द मिश्र को किसी ब्लॉग लेखन करती महिला को रांड , विधवा , छिनाल इत्यादि कहना हैं तो इतने आवरण की क्या जरुरत हैं सीधा सीधा कहे जैसा मैने पोस्ट में कहा हैं <br /><br />हमे कहे और फिर हमारी प्रतिक्रया के लिये तैयार रहे पर जब भी विधवा शब्द "रंडापा टॉइप स्यापा " " और छिनाल इत्यादि का प्रयोग करने " आम " के लिये नहीं नाम लेकर करे . इतनी हिम्मत रखें . , उस पंक्ति को अगर आप क्लिक करेगे को आप को एक कमेन्ट दिखेगा रचनाhttps://www.blogger.com/profile/03821156352572929481noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-35760411116791389412012-09-25T11:56:34.405+05:302012-09-25T11:56:34.405+05:30 अनुचित शब्दो का प्रयोग कभी तार्किक नही ठहराया जा ... अनुचित शब्दो का प्रयोग कभी तार्किक नही ठहराया जा सकता और तब तो बिल्कुल नही जब वर्जित हों ………कम से कम आज के पढे लिखे समाज को ये समझना चाहिये और सही शब्दो का उपयोग करना चाहिये क्योंकि शब्दबाण होते ही ऐसे हैं ना जाने कितना कुछ बेध जाते हैं।vandana guptahttps://www.blogger.com/profile/00019337362157598975noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-35512100385830592142012-09-25T11:26:37.156+05:302012-09-25T11:26:37.156+05:30मैं ब्लॉग जगत से दूर हूँ इनदिनों, कल मुझे रश्मि से...मैं ब्लॉग जगत से दूर हूँ इनदिनों, कल मुझे रश्मि से पता चला कि आपने ये पोस्ट लिखी है...<br />सबसे पहले तो आप बधाई की पात्र हैं, बिल्कुल सही चित्र खींचा है आपने...मेरी दादी, मेरी मेरी चचेरी दादी को देखा है मैंने ऐसे ही हाल में...मेरी माँ को काफ़ी वक्त लगा था उनको इस माहौल से निकालने में...<br /><br />अब बात उन अनर्गल प्रलापों की....ये शब्द इतने भारी और हताहत करने वाले हैं कि इनका प्रयोग कुछ ही तरह के लोग कर सकते हैं...जो असंवेदनशील हैं, जो मूढ़ हैं, या फिर जो आए दिन इनसे दो चार होते रहते हैं....वरना संवेदनशील और प्रज्ञं व्यक्ति ऐसी बात इतनी आसानी से लक्षणा-व्यंजना के नाम पर भी नहीं कह सकता...<br />जितनी मेहनत इनकी गलतियों को जस्टिफाई करने के लिए कि गयी है...उससे कही बेहतर होता ग़लती को ग़लती मान लेना..<br />ग़लती सबसे होती है, मुझसे भी हुई है...और उसे मान लेने में कोई बुराई नहीं है...<br /><br />वैसे रचना जी, समाज जिस तेज़ी से बदल रहा है, ईश्वर करे यह 'विधवा विलाप' सिर्फ़ शब्द-कोष में ही रह जाए...स्वप्न मञ्जूषा https://www.blogger.com/profile/06279925931800412557noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-87345279596965138212012-09-25T11:25:22.465+05:302012-09-25T11:25:22.465+05:30प्रवीण जी
नीजि रूप से मै ऐसा नहीं ...प्रवीण जी<br /> नीजि रूप से मै ऐसा नहीं सोचती की आप मुझसे नाराज है बल्कि मै तो आप का रवैया देख कर आश्चर्य में हूँ दूसरी बात की<br /><br />@ यहाँ पर मैंने 'रंडापा टॉइप स्यापा' का अर्थ विधवा विलाप लगाया, वह भी बाकायदा शब्दकोष देखकर,<br />यहाँ किसी ने आप से इन शब्दों का अर्थ नहीं पूछा था सभी को उसका अर्थ मालूम है , विधवा शब्द को यदि रांड में बदल दिया जाये तो वो गाली बन जाती है और यहाँ कहा जा रहा था की किसी को भी गाली दी जा रही थी और आप उसका समर्थन कर रहे है ,ये बिल्कुल वैसा ही है की कल को आप को मेरी कोई बात पसंद नहीं आई और आप ने उस पर पोस्ट लगा दी और आप के मित्रगन आ कर मुझे माँ बहन से लेकर कुत्ते बिल्ली की गाली देंगे ( आप के मित्रो का स्तर और पुराना रिकार्ड देखे तो उससे भी कही ज्यादा आ कर कह जायेंगे, वो गंदे शब्द दिमाग में आ तो रहे है किन्तु लिखने की हिम्मत नहीं हो पा रही है ) तो आप उनको मना करने की जगह मुझे कुत्ते बिल्ली और माँ बहन और स्त्रियों को कहे जाने वाले तमाम गंदे शब्दों , गलियों का अर्थ बताएँगे शब्दकोष देख कर और कहेंगे की अंशु जी ऐसी गालिया तो समाज में सभी देते है इसमे बुरा क्या है आप को देने सुनने की आदत नहीं है तो क्या ये गलत हो जायेगा जाइये पहले पूरे समाज से इसे हटाइये फिर मुझसे कहियेगा , और सभी को असहमति रखने का अधिकार है और मै इसे गलत नहीं मानता हूँ |<br /> नारी से जुड़े मुद्दों का जबानी समर्थन करना और उसे अपने पर लागु करने में बड़ा फर्क होता है समझ आ रहा है | ध्यान रखे की मै यहाँ ये नहीं कह रही हूँ की आप को दिव्या जी की पोस्ट का विरोध नहीं करना चाहिए था |anshumalahttps://www.blogger.com/profile/17980751422312173574noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-9027575678450285902012-09-25T11:03:30.566+05:302012-09-25T11:03:30.566+05:30Aur haan, aap kitna jante hain village women ke ba...Aur haan, aap kitna jante hain village women ke baare mein? Agar pata na ho to pahle jaaniye, samjhaiye fir lekhni ke roop mein vyakt kijiye. Sirf bakar karne aur badi lambi chauri bhashanbaji karne se kuch nahi hone wala. Aaplogon ki basha to bilkul ashaniy hai...chhi chhi...kya sanskar denge aap apne bachchon ko?रेवा स्मृति (Rewa)https://www.blogger.com/profile/13005191329618003468noreply@blogger.com