tag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post2572875179864169249..comments2023-12-02T14:56:14.755+05:30Comments on नारी , NAARI: नौकरी नारी पुरुष से तुलना करने के लिये करती हैं ये कहना भ्रान्ति हैं रेखा श्रीवास्तवhttp://www.blogger.com/profile/00465358651648277978noreply@blogger.comBlogger3125tag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-24097809948263850022012-12-18T12:20:28.573+05:302012-12-18T12:20:28.573+05:30क्या मेरी टिप्पणी स्पैम में है?क्या मेरी टिप्पणी स्पैम में है?राजनhttps://www.blogger.com/profile/05766746760112251243noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-47903584416455843332012-12-18T09:40:56.943+05:302012-12-18T09:40:56.943+05:30आपकी बात से सहमत हूँ।मैं इस बहस को तो बकवास मानता ...आपकी बात से सहमत हूँ।मैं इस बहस को तो बकवास मानता हूँ कि कौन किससे बेहतर है।मैं तो ये कहना भी उतना ही गलत मानता हूँ कि महिला पुरुष से श्रेष्ठ है।खैर छोडिए इन बातों को अभी व्यर्थ बहस बढ़ जाएगी।पल्लवी जी की पोस्ट में ये कहा गया है कि महिला आजकल बेमन से भी काम करती है तो ये पूरी तरह गलत नहीं है।क्योंकि अब महिला का नौकरी करना भी एक जरूरत बन चुकी है जैसा कि अभी तक पुरुष के लिए था।बहुत से पुरुषों को भी कई बार कमाने के लिए बेमन से काम करना पड़ता है और वो काम करना पड़ता है जिसमें रुचि नहीं है क्योंकि दूसरा विकल्प नहीं है और पैसे की जरूरत है वर्ना घर नहीं चलेगा।मैं तो एक छोटे शहर में रहता हूँ लेकिन यहाँ भी महिला का नौकरी करना इतनी कोई असामान्य बात नहीं रह गई।राजनhttps://www.blogger.com/profile/05766746760112251243noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-244396907535642252012-12-17T19:30:23.200+05:302012-12-17T19:30:23.200+05:30नारी सिर्फ इसलिए नौकरी करे कि वह पुरुष की बराबरी ...नारी सिर्फ इसलिए नौकरी करे कि वह पुरुष की बराबरी कर सके निरर्थक बयान है क्यों कि नारी नर से हर मायने में भारी है। वह नौकरी करती है क्योंकि वह किसी कार्य को करने के लिए पात्रता रखती है या फिर घर में आर्थिक सहयोग से जीवन को और अच्छा बनाया जा सके , कभी कभी परिवार में पति के ऊपर इतनी जिम्मेदारियां होती है कि उस बोझ को बांटने के लिए वह नौकरी करती है। उसकी बराबरी नर ही नहीं कर सकता है क्योंकि अगर वह नौकरी करती है तो पारिवारिक दायित्वों से मुक्त नहीं होती हैं बल्कि घर के साथ साथ उसको नौकरी की जिम्मेदारी भी निभानी पड़ती है। परिवार के साथ अपने बच्चे के लिए गर्भ धारण करने पर भी आने वाली परिशानियों को वह झेलते हुए नौकरी बरक़रार रखती है . उसके माँ बनाने के बाद के दायित्वों को भी अकेले ही पूरा करना होता है फिर पुरुष से बराबरी के लिए वह क्यों इतने कष्ट उठाएगी। नर और नारी दोनों बराबर हैं लेकिन दायित्वों और परिवार में उसकी भूमिका अधिक श्रेष्ठ है। अतः इसा बात को उठना ही गलत है। रेखा श्रीवास्तवhttps://www.blogger.com/profile/00465358651648277978noreply@blogger.com