tag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post1769442792108239112..comments2023-12-02T14:56:14.755+05:30Comments on नारी , NAARI: कुछ बन तो जाऊं लेकिन........रेखा श्रीवास्तवhttp://www.blogger.com/profile/00465358651648277978noreply@blogger.comBlogger12125tag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-58675306246990781422008-10-28T13:16:00.000+05:302008-10-28T13:16:00.000+05:30गीतिका, दूसरा ड्रैमेटिक एंड रियल भी हो सकता है,बल्...गीतिका, दूसरा ड्रैमेटिक एंड रियल भी हो सकता है,बल्कि है,लेकिन उसमें ड्रामा होना तय है। दूसरा मैं अपने करियर को ही प्राथमिकता दूंगी,मुझे लगता है ये i, me, myself से आगे की बात है। मेरे बारे में तो कुछ इस तरह कि अगर मेरी नौकरी चली जाए तो मानो ज़िंदगी चली जाए। मैं काम कर रही हूं तभी मैं ज़िंदा हूं।वर्षाhttps://www.blogger.com/profile/01287301277886608962noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-9187260963632039462008-10-28T13:08:00.000+05:302008-10-28T13:08:00.000+05:30This comment has been removed by the author.Ek ziddi dhunhttps://www.blogger.com/profile/05414056006358482570noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-55660173914591908392008-10-28T13:06:00.000+05:302008-10-28T13:06:00.000+05:30This comment has been removed by the author.Ek ziddi dhunhttps://www.blogger.com/profile/05414056006358482570noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-67993638686130771142008-10-28T08:58:00.000+05:302008-10-28T08:58:00.000+05:30औरत कम से कम पशु की तरहअपने बच्चे को प्यार करती है...औरत कम से कम पशु की तरह<BR/>अपने बच्चे को प्यार करती है<BR/>उसकी रक्षा करती है<BR/><BR/>अगर आदमी छोड़ दे<BR/>बच्चा मां के पास रहता है<BR/>अगर मां छोड़ दे<BR/>बच्चा अकेला रहता हैab inconvenientihttps://www.blogger.com/profile/16479285471274547360noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-698436871051763382008-10-27T07:41:00.000+05:302008-10-27T07:41:00.000+05:30amar jyoti ji ki baat sae purn sehmati praathmikta...amar jyoti ji ki baat sae purn sehmati praathmiktaa sahii karni hogeeAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-25768963229997935092008-10-27T02:24:00.000+05:302008-10-27T02:24:00.000+05:30दिपावली की शूभकामनाऎं!!शूभ दिपावली!!- कुन्नू सिंहदिपावली की शूभकामनाऎं!!<BR/><BR/><BR/>शूभ दिपावली!!<BR/><BR/><BR/>- कुन्नू सिंहकुन्नू सिंहhttps://www.blogger.com/profile/18373944533455818486noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-72786807774145549312008-10-27T01:29:00.000+05:302008-10-27T01:29:00.000+05:30आपको दीपावली की हार्दिक शुभकमानांयेंसुंदर प्रस्तुत...आपको दीपावली की हार्दिक शुभकमानांयें<BR/><BR/>सुंदर प्रस्तुति!!आभारराजा कुमारेन्द्र सिंह सेंगरhttps://www.blogger.com/profile/16515288486352839137noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-20682105368219136362008-10-26T19:32:00.000+05:302008-10-26T19:32:00.000+05:30सब कुछ तो कोई भी नहीं सँभाल पाता। आपको अपनी प्राथम...सब कुछ तो कोई भी नहीं सँभाल पाता। आपको अपनी प्राथमिकतायें तय करनी होती हैं। यह मान लेना भी उसी पुरानी सामंती मानसिकता का सबूत है कि कैरियर पर ध्यान देने वाली माँ के बच्चे उपेक्षित ही रहेंगे । पिता क्यों नहीं बच्चों के लालन-पालन में हिस्सा बंटाते?Dr. Amar Jyotihttps://www.blogger.com/profile/08059014257594544439noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-40818796769368795812008-10-26T17:15:00.000+05:302008-10-26T17:15:00.000+05:30गीतिकाउस औरत की कहानी को दूसरा dramatic end देने क...गीतिका<BR/>उस औरत की कहानी को दूसरा dramatic end देने की कोशिश करते हैं। कूकर सीटी मारता है,वो भागती है,चूल्हा बंद करती है, तभी फोन की घंटी बजती है-<BR/>हलो हमें आपका बायोडेटा मिला,आप हमारे साथ नौकरी कर सकती हैं, पैकेज अच्छा मिलेगा।<BR/>वो फैसला करती है नौकरी का। घर में बहुत टेंशन होती है,पति-पत्नी में बात तक नहीं होती। उसे डर लगता है लेकिन वो समझाने की कोशिश करती है, धीरे-धीरे सब कुछ सामान्य होता जाता है। अब वो अपनी घर-गृहस्थी भी चला रही है,अपनी ख्वाहिशों को भी पूरा कर रही है, बच्चों की ज़िम्मेदारी भी उसने बखूबी संभाल ली। 25 साल बाद दोनों पति-पत्नी अपनी शादी की सिल्वर जुबली मना रहे हैं। बीती बातों को याद कर रहे हैं जिसमें कोई अधूरी ख़्वाहिश नहीं है।<BR/>दोनों टीवी देखते हैं,कुकर की सीटी बजती है, वो उठने ही वाली होती है तभी बेटी कहती है, मैं देख रही हूं मां।<BR/>तुम्हें कौन सा end पसंद है और उसकी जगह तुम होती तो क्या चुनती।वर्षाhttps://www.blogger.com/profile/01287301277886608962noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-85425872710690207272008-10-26T17:05:00.000+05:302008-10-26T17:05:00.000+05:30आप दोनों की बात से पूरी तरह सहमत हूं बच्चों पर पहल...आप दोनों की बात से पूरी तरह सहमत हूं बच्चों पर पहला हक़ मां का ही होता है। मां भी अपने बच्चे के लिए, नौकरी तो बहुत छोटी चीज है, ज़िंदगी तक कुर्बान कर देती है। जरूरी नहीं की नौकरी करनेवाली औरत ही सुपर वुमन हो, ये तमगा घर-गृहस्थी संभालनेवाली औरतों के भी नाम हो सकता है। बहस दरअसल औरत की नौकरी को लेकर हो रही है, जबकि बात है औरत की इच्छाओं की। आप उसके त्याग का महिमामंडन करना चाहते हैं, मैं चाहती हूं त्याग की देवी न बने एक साधारण इंसान बने। मैंने बहुत से लोगों से observe किया है जब वो कहते हैं कि मेरी मम्मी डॉक्टर-टीचर..कुछ भी है तो उनकी आंखों में एक चमक होती है और बच्चे तो मां-बाप दोनों की साझी ज़िम्मेदारी हैं। पिता का काम सिर्फ पैसे कमाना नहीं होता।वर्षाhttps://www.blogger.com/profile/01287301277886608962noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-22876425149941027222008-10-26T15:45:00.000+05:302008-10-26T15:45:00.000+05:30जब बच्चे ही प्रसन्न और सुखी नहीं तो अभिभावकों की स...जब बच्चे ही प्रसन्न और सुखी नहीं तो अभिभावकों की सफलता का अर्थ ही नहीं रह जाता. एक माँ पर पहला हक उसके बच्चों का ही होता है, न की उसके करियर का.ab inconvenientihttps://www.blogger.com/profile/16479285471274547360noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-9793379701651187372008-10-26T15:38:00.000+05:302008-10-26T15:38:00.000+05:30यही होता आया है। बच्चों को ही माँ ने अपना कैरियर म...यही होता आया है। बच्चों को ही माँ ने अपना कैरियर माना है। क्यों कि उस का खुद का तो होते हुए भी कोई कैरियर नहीं होता।दिनेशराय द्विवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.com