tag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post1766173029359841040..comments2023-12-02T14:56:14.755+05:30Comments on नारी , NAARI: पी.सी. गोदियाल जी अफ़सोस हुआ आप कि ये पोस्ट पढ़ कर ये नहीं कहूँगी क्युकी इस से भी ज्यादा अफ़सोस जनक पहले पढ़ा हैं ।रेखा श्रीवास्तवhttp://www.blogger.com/profile/00465358651648277978noreply@blogger.comBlogger12125tag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-24583327176922585182009-12-21T16:43:58.864+05:302009-12-21T16:43:58.864+05:30हाय ये स्त्री विमर्श?? - बन्दर का घाव हो गया ह...हाय ये स्त्री विमर्श?? - बन्दर का घाव हो गया है.<br /><br />चलिए ज्ञान और तर्क की बत्ती बुझा दीजिये अँधेरा कायम हो जाये ताकि शान्ति हो जाये हा हा हा ....<br />अब देखिये न गया था टिप्पणी में बधाई देने वहां जो पढ़ा तो न चाहते हुए भी पोस्ट लिख बैठा. <a href="http://sulabhpatra.blogspot.com/2009/12/blog-post_21.html" rel="nofollow">अब नर विमर्श का इंतज़ार है</a> http://sulabhpatra.blogspot.com/2009/12/blog-post_21.html<br /><br />जब तक नया साल नहीं आएगा मानो चर्चा चलती रहेगी ,Sulabh Jaiswal "सुलभ"https://www.blogger.com/profile/11845899435736520995noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-76274573645543930442009-12-21T12:44:25.420+05:302009-12-21T12:44:25.420+05:30आप ने नाम नहीं लिया सही कह रहे हैं पर सन्दर्भ मेरा...आप ने नाम नहीं लिया सही कह रहे हैं पर सन्दर्भ मेरा ही हैं सो उसको जवाब देना जरुरी हैं । और आज कल फैशन होगया हैं हिंदी ब्लॉग जगत मे नारी पर सब लिख रहे हैं । पढ़ाने कि पैरवी करते हैं और पढ़ी लिखी ब्लॉगर को अपशब्द , यौनिक गलियाँ और मानसिक रोगी इत्यादि से नवाजते हैं । अब ये hypocracy सम्मानित वरिष्ट और सीनियर सिटिज़न ब्लॉगर छोड़ दे तो बड़ा भला हो गा । बहुत समस्या हैं समाज मे नारी के उत्थान के अलावा क्युकी ब्लॉग पर नारी का उत्थान नहीं हो सकता { ये आप लोग ही कहते हैं } सो क्यों अच्छे बनाने के लिये झूठे आलेख और पोस्ट डालते हैं । और रही बात" इस ब्लॉग जगत की सुर्ख़ियों में लाने के लिए आपका हार्दिक शुक्रिया," नारी ब्लॉग कि संरचना पढे लिखे समाज कि hypocracy को सामने लाने के लिये ही हुई हैं । लोग कहते हैं समाज मे सुधार करो नारियो ब्लॉग पर नहीं , सो उनकी जानकारी के लिये बता दूँ कि ये हिंदी ब्लॉग मे समाज ही आ कर बैठ गया हैं वही गंदगी नारी के प्रति जो हमे सडको पर दिखाई देती हैं मे उसी को ऊपर लाती हूँ और करती रहूगी ।Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-22855557742975536292009-12-21T10:09:46.795+05:302009-12-21T10:09:46.795+05:30मैंने अपनी यह टिप्पणी अपने ब्लॉग पर लेख के साथ भी ...मैंने अपनी यह टिप्पणी अपने ब्लॉग पर लेख के साथ भी लगाईं है ! और इस मेरा नाम इस ब्लॉग जगत की सुर्ख़ियों में लाने के लिए आपका हार्दिक शुक्रिया, वैसे सच कह रहा हूँ कि मुझे अनावश्यक सुर्खियाँ बटोरने का शौक कभी नहीं रहा !पी.सी.गोदियाल "परचेत"https://www.blogger.com/profile/15753852775337097760noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-47675214056847544862009-12-21T09:56:59.770+05:302009-12-21T09:56:59.770+05:30sach kahne ka saahas aur salika........achha aalek...sach kahne ka saahas aur salika........achha aalekh.VIVEK VK JAINhttps://www.blogger.com/profile/15128320767768008022noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-88327206849483278982009-12-21T09:39:05.719+05:302009-12-21T09:39:05.719+05:30आदरणीय रचना जी,
सर्वप्रथम तो यह कहना चाहूँगा कि म...आदरणीय रचना जी,<br />सर्वप्रथम तो यह कहना चाहूँगा कि मेरी वजह से आपको किसी भी तरह की जो तकलीफ पहुंची हो उसके लिए माफी मांगता हूँ ! जैसा कि आपने कहा कि आपको इस मुद्दे पर मेरे अगले लेख का इन्तजार रहेगा तो यही कहूँगा कि मेरा इस मुद्दे पर आगे कुछ भी कहने की कोई मंशा नहीं है ! आप इस बात को तो ऐप्रिसियेट करोगी कि एक ब्लोगर चिट्ठाजगत पर हर किसी ब्लोगर की सारी टिप्पणिया और लेख तो नहीं पढ़ सकता ! दूसरा मैंने अपने लेख में किसी का नाम तो नहीं लिया, तीसरा मुद्दा यह नहीं था कि किसने क्या टिप्पणी की, मुद्दा मेरा लिखने का सिर्फ यह था कि हम लोग(तथाकथित साहित्यकार ) इस ब्लॉग जगर पर जरा-ज़रा सी बातो पर बहुत लम्बी-लाबी बहस कर लेते है लेकिन जनता का एक प्रतिनिधि देश की सर्वोच्च संस्था राज्यसभा में खड़े होकर महिलाओं(कृपया नोट करे कि इन महिलाओं के अंतर्गत मेरी माँ, मेरी बहिन, मेरे दोस्त और मेरे रिश्तेदार भी आते है ) के बारे में इस तरह का बयान देता है तो बजाय यहाँ पर इन बेफालतू की टिप्पणियों और लेखो पर नावाश्य्क बहस करने के हम सारे चिट्ठेकार इन मुद्दों पर अपना एक स्वर प्रखर करे, और अपना विरोद दर्ज करे कि who the hell this naayak is एंड at what capacity he is giving this kind of social certificate to women? प्रसाद जी की जिस टिप्पणी का उल्लेख आपने किया मैंने नहीं पढी थी, नहीं मालूम कि उन्होंने किस विषय पर इस तरह की टिप्पणी दी लेकिन उनकी टिप्पणी अगर किसे पूर्वाग्रह से ग्रषित थी तो मैं उसकी भी निंदा करता हूँ ! इस पर अपना अपक्ष खुद सी एम् प्रासाद जी इस्पष्ठ करे तो ज्यादा बेहतर रहेगा ! मेरी समक्ष जो टिपण्णी आयी और मैंने पढी, उन्हें एक सीनियर सिटिजन का पूर्ण सामान देते हुए मैंने अपना मत व्यक्त किया, खैर, बेहतर यही है कि हम इस मुद्दे को यही समाप्त समझे !पी.सी.गोदियाल "परचेत"https://www.blogger.com/profile/15753852775337097760noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-9873513459948377352009-12-21T07:37:29.601+05:302009-12-21T07:37:29.601+05:30आलेख अच्छा लगा।आलेख अच्छा लगा।मनोज कुमारhttps://www.blogger.com/profile/08566976083330111264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-14472565202864454722009-12-20T19:25:08.027+05:302009-12-20T19:25:08.027+05:30आशा है लोग अपना पक्ष रखेंगे ..आपने तो रख ही दिया ह...आशा है लोग अपना पक्ष रखेंगे ..आपने तो रख ही दिया है ..<br /><br />पर मुश्किल यह है की क्या कहेंगे स्पस्टीकरण में ..यही न की "सवालों का जवाब देना मैं जरुरी नही समझता"?L.Goswamihttps://www.blogger.com/profile/03365783238832526912noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-72023022743749072842009-12-20T13:58:31.167+05:302009-12-20T13:58:31.167+05:30Is prasang ke vistaar meN to nahiN ja pa raha huN ...Is prasang ke vistaar meN to nahiN ja pa raha huN par haN, ye bat mujhe bhi kabhi samajh meN nahiN aayi ki kisi ki izzat sirf is liye ki jaye ki vah hamse 10 ya 20 ya 25 saal pahle dunia meN aa gaya ! yah kaun si uplabdhi hai ! haN koi buzurg is halat meN hai ki sochne-samajhne-chalne-firne ke qabil hi nahiN raha, us-se sahanubhuti baratna alag bat hai aur baratni chahiye bhi.Sanjay Groverhttps://www.blogger.com/profile/14146082223750059136noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-21349934998242290112009-12-20T13:26:47.668+05:302009-12-20T13:26:47.668+05:30@दिनेश
एक अपराधी सजा काट लेता हैं , अच्छे बर्ताव क...@दिनेश<br />एक अपराधी सजा काट लेता हैं , अच्छे बर्ताव के कारण जल्दी रिहा हो जाता हैं , या एक गलती के लिये अफ़सोस जाहिर होता हैं इस से क्या जिसके प्रति अपराध किया जाता उसका नज़रिया कहा पता चलता हैं । मैने केवल गोदियाल जी कि पोस्ट पर अपने लिये लिखे गए वाक्यों का जवाब देकर इतना मात्र पूछा हैं कि जिस टिप्पणी का सन्दर्भ ही उन्हे पता नहीं उसको वो निराशाजनक कैसे कह रहे हैं । लोग टीप देने से पहले सम्बंधित सब पोस्ट ही देख ले तो आधी टीप और पोस्ट कम हो जाए ।Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-41514294760829993662009-12-20T11:44:48.113+05:302009-12-20T11:44:48.113+05:30बेहद निराशाजनक अवस्था , क्या यही है हिन्दी ब्लॉग ...बेहद निराशाजनक अवस्था , क्या यही है हिन्दी ब्लॉग जगत के सुनहरे भविष्य के सपने .डॉ महेश सिन्हाhttps://www.blogger.com/profile/18264755463280608959noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-66308921376022945622009-12-20T11:25:49.709+05:302009-12-20T11:25:49.709+05:30किसी के अपने कहे या लिखे पर अफसोस जाहिर कर लेने से...किसी के अपने कहे या लिखे पर अफसोस जाहिर कर लेने से भी क्या होगा? जो कह दिया गया है वह तो मिट नहीं जाएगा। <br />इस पोस्ट पर दिए गए लिंक पर पुनः लौटने पर पिछले वर्षांत में यौनिक गालियों का पुरुषों द्वारा इस्तेमाल करने और महिलाओं में उस के प्रसार पर हुई बहस पढ़ने को मिली और वहाँ मिली मेरी टिप्पणी पर सुजाता जी की प्रतिटिप्पणी जो अनुत्तरित रह गई। लगता है सुजाता जी ने मेरी इस उक्ति को गलत रूप में ले लिया कि 'गालियों की उत्पत्ति का प्रमुख कारण यह (स्त्री-पुरुष) विभेद ही है।'<br /><br />लगता है इस उक्ति को विवेचना की आवश्यकता है।दिनेशराय द्विवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-88671915091153563472009-12-20T11:19:04.636+05:302009-12-20T11:19:04.636+05:30ये पहली बार नहीं है जब स्त्री विमर्श के नाम पर चन्...ये पहली बार नहीं है जब स्त्री विमर्श के नाम पर चन्द्र मौली प्रसाद की ओछी, तर्कहीन और सतही टिप्पणी देखी है| अब लिंक खोजने का समय तो नहीं है लेकिन इससे पहले भी वो कुछ ऐसा ही लिख चुके हैं |<br />हमारा कडा ऐतराज दर्ज किया जाए और इस बात की सनद भी कि ऐसे मुद्दों पर कुछ न बोलने का अर्थ उनकी इस प्रकार की टिप्पणियों का समर्थन नहीं है|<br />रचना तुम्हारी हिम्मत है कि लोहा ले रही हो, कभी कभी तो केवल पढ़कर ही सर पकड़ कर बैठ जाते हैं कि अब क्या करें...Neeraj Rohillahttps://www.blogger.com/profile/09102995063546810043noreply@blogger.com