tag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post1660972516495132529..comments2023-12-02T14:56:14.755+05:30Comments on नारी , NAARI: विज्ञापन में नारी का उद्गम क्या रहा? ईमेल से प्राप्त प्रतिक्रिया पढेरेखा श्रीवास्तवhttp://www.blogger.com/profile/00465358651648277978noreply@blogger.comBlogger5125tag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-48621092289773288202010-03-10T17:22:26.618+05:302010-03-10T17:22:26.618+05:30आज चाहे स्त्री विकास के पथ पर पुरुष के साथ चल पड़ी ...आज चाहे स्त्री विकास के पथ पर पुरुष के साथ चल पड़ी है फिर भी समाज में इस समानता में असमानता ही है. विज्ञापन का क्षेत्र भी अभी पुरुष प्रधान ही है. अधिकतर दिखाया जाता है कि औरत मेकअप और घर की साज सफाई के लिए चीज़े खरीदती है और दूसरी और दिखाया जाता हैसंजय भास्कर https://www.blogger.com/profile/08195795661130888170noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-33465031457136589062009-05-01T20:02:00.000+05:302009-05-01T20:02:00.000+05:30कितना सहज होकर पुरुष स्त्री पर आरोप लगा देता है बि...कितना सहज होकर पुरुष स्त्री पर आरोप लगा देता है बिना उसके चरित्र को जाने. बिना किसी शर्त के परिवार के लिए बिना शर्त के प्यार लुटाती रहे तो वह आदर्श नारी है अगर अपने बारे में एक पल भी सोच ले तो ऐसे ही उसपर आरोप लगते रहेंगे. आज वह अपने कर्तव्य निभाते जब अपने बारे में भी सोचने लगी है तो पुरुष समाज को अपनी सत्ता हिलती दिखाई देने लगी है. <br />आज चाहे स्त्री विकास के पथ पर पुरुष के साथ चल पड़ी है फिर भी समाज में इस समानता में असमानता ही है. विज्ञापन का क्षेत्र भी अभी पुरुष प्रधान ही है. अधिकतर दिखाया जाता है कि औरत मेकअप और घर की साज सफाई के लिए चीज़े खरीदती है और दूसरी और दिखाया जाता है कि पुरुष मंहगी कारें खरीदते या व्यापार करते दिखाया जाता है. कुछ भी हो विज्ञापन कम्पनी के मालिक अधिकतर पुरुष ही है जिनके निर्णय को अंतिम माना जाता है. <br />समाज में स्त्री को 'संतुष्ट गृहस्वामिनी' , 'अपनी औकात में रहना' (keep her in her place) और 'सेक्स ऑब्जेक्ट' दिखा कर पुरुष समय समय दिखाता आया है कि स्त्री हमेशा से पुरुष के अधीन है और हमेशा रहेगी. अभी स्थिति को बदलने में समय लगेगा हालाँकि 'सुपरवुमेन' के रूप में भी विज्ञापन में स्त्री को नया दिखाया जा रहा है... <br />विज्ञापन कम्पनी , जहाँ सिर्फ एक ही मूलमंत्र है बेचना... किसी भी तरीके से वस्तु को बेचने की कला उन्हें कुछ भी सोचने नहीं देती. वे अच्छी तरह से जानते है कि वे क्या कर रहे है और उन्हे क्या नही करना चाहिए..मीनाक्षीhttps://www.blogger.com/profile/06278779055250811255noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-34318225889576144142009-04-30T10:03:00.000+05:302009-04-30T10:03:00.000+05:30@swapandarshi
when i got this in email i could see...@swapandarshi<br />when i got this in email i could see the bais but i wanted others also to comment on the mental conditioning , specially woman <br />but it seems none feels there is any thing baised here in this post <br />thanks for asking which shows the very reason why it should have been postedAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-54257172842181302402009-04-29T21:46:00.000+05:302009-04-29T21:46:00.000+05:30Rachna why did you posted this here?Rachna why did you posted this here?स्वप्नदर्शीhttps://www.blogger.com/profile/15273098014066821195noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-18952228861630263012009-04-29T11:20:00.000+05:302009-04-29T11:20:00.000+05:30विज्ञापन में नारी श्रृंगार काव्य का विस्तार ही है....विज्ञापन में नारी श्रृंगार काव्य का विस्तार ही है.Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टूनhttps://www.blogger.com/profile/12838561353574058176noreply@blogger.com