tag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post1634143509935317075..comments2023-12-02T14:56:14.755+05:30Comments on नारी , NAARI: "कौन कह सकता है की भारत में मर्दानगी की कमी है"रेखा श्रीवास्तवhttp://www.blogger.com/profile/00465358651648277978noreply@blogger.comBlogger18125tag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-5378792143689801782015-11-09T19:51:00.354+05:302015-11-09T19:51:00.354+05:30agar koi girl kisi ko 2 Sal se gumrah kar raha ho ...agar koi girl kisi ko 2 Sal se gumrah kar raha ho . or sadi kisi or kare to iska kya ho sakta hAnonymoushttps://www.blogger.com/profile/17705957040189683249noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-13371449870072267172011-05-20T02:09:15.156+05:302011-05-20T02:09:15.156+05:30किसी भी महिला के साथ जबरिया यौन संबंध वैश्विक परिद...किसी भी महिला के साथ जबरिया यौन संबंध वैश्विक परिदृश्य का दिल दहला देने वाला सच है । इसका सामाजिक पहलू तो कड़वा है ही, कानूनी पहलू स्त्री के पक्ष में खड़ा होने के बावजूद उसे शिकार बनाने के इस खेल में अनजाने ही शामिल हो जाता है । यह कड़वा और निर्वसन सत्य है ।<br /><br />इस विषय पर गंभीर शोधपरक और रोंगटे खडे कर देने वाले सत्य को सामने लाती मेरी किताब हाल ही में नेशनल बुक ट्रस्ट इंडिया से प्रकाशित हुई है "अस्मिता की अग्निपरीक्षा" । <br /><br />इसे भारत सरकार के सूचना और प्रसारण मंत्रालय द्वारा भारतेंन्दु हरिश्चंद्र पुरस्कार से भी पुरस्क्रत किया गया है ।<br /><br />इसके मराठी और अंग्रेजी में अनुवाद भी हो रहे हैं । <br />इससे इस समस्या की पूरी सच्चाई मालूम हो सकेगी । यदि यह आपके भी सामने आ सकी तो मेरा प्रयास सार्थक होगा ।डॉ.मीनाक्षी स्वामी Meenakshi Swamihttps://www.blogger.com/profile/15313541475874234966noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-9461898234117284072011-02-22T13:21:22.801+05:302011-02-22T13:21:22.801+05:30mard baane se pahle insan ban jaye aadmi .......ye...mard baane se pahle insan ban jaye aadmi .......ye to kayar purushon ka kaam hai apni mardangi sabit karne ke liye kisi abla ko lut lena.........डॉ रजनी मल्होत्रा नैय्यर (लारा) https://www.blogger.com/profile/00271115616378292676noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-13162382804655640612011-02-11T11:02:40.812+05:302011-02-11T11:02:40.812+05:30पहले यही होता था, बलात्कार होते तो थे लेकिन किसी अ...पहले यही होता था, बलात्कार होते तो थे लेकिन किसी अन्य व्यक्ति को इसका पता नहीं चलता था, और इसीलिए आज लोग बड़ी आसानी से कह देते हैं कि पहले बलात्कार नहीं होते थे बल्कि अब इसमें बढ़ोत्तरी हो गई है...अगर आज भी इन घृणित कृत्यों को दबाने की बजाय इनकी ख़बरों को दबा दिया जाए तो समाज की नज़रों में बलात्कार कहाँ है...फिर भले ही कोई तीन साल की बच्ची या तीस साल की महिला इस दर्द और इस ख़ौफ़ को ज़िन्दगी भर ढोती रहे, 'भले' समाज की यही नैतिकता है कि करनी को मत रोको बस उसकी कथनी को जगजाहिर मत होने दो...बलात्कार होता रहे तो समाज दूषित नहीं होता पर अगर उसकी चर्चा हो तो वो समाज को दूषित करती है...अगर समाज के दूषित होने की इतनी ही चिंता है तो यह घिनौना कृत्य होता क्यों रहा है आजतक, अगर न्यूज़ चैनलों पर इन खबरों को देख नहीं पा रहे हैं तो टीवी बन्द करने से पहले बलात्कार विहीन समाज बनाने की कोई शुरुआत क्यों नहीं करते? ख़बरों से अलग कर आप इसे छुपा सकते हैं पर क्या आपका 'भला' समाज इससे दूषित होने से बच जाएगा?pragyahttps://www.blogger.com/profile/04688591710560146525noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-49611231748252044902011-02-10T13:46:20.382+05:302011-02-10T13:46:20.382+05:30ये है समाज का विद्रूप चेहरा।
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पुत्र प्रा...ये है समाज का विद्रूप चेहरा।<br /><br />---------<br /><b><a href="http://ts.samwaad.com/" rel="nofollow">पुत्र प्राप्ति के उपय।</a></b><br /><b><a href="http://sb.samwaad.com/" rel="nofollow">क्या आप मॉं बनने वाली हैं ?</a></b>Dr. Zakir Ali Rajnishhttps://www.blogger.com/profile/03629318327237916782noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-84038716044076434382011-02-10T00:14:06.458+05:302011-02-10T00:14:06.458+05:30काहे की मर्दानगी... स्त्री पर जुल्म अर्थात मर्दानग...काहे की मर्दानगी... स्त्री पर जुल्म अर्थात मर्दानगी.. गुण्डों, मवालियों, भ्रष्ट नेताओं और करप्ट पुलिसियों से गठजोड़, उनके सामने नमन.. अर्थात मर्दानगी...<br />यह मर्द के नाम पर धब्बे हैं...<br />मीडिया को खबरें दिखानी अवश्य चाहिये लेकिन इस तरह कि इस तरह के <b> "मर्दों" </b> के प्रति घॄणा और तिरस्कार पैदा हो तथा महिला के साथ खड़े होने का हौसला समाज में उत्पन्न हो.भारतीय नागरिक - Indian Citizenhttps://www.blogger.com/profile/07029593617561774841noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-91037272826733378302011-02-09T23:45:39.351+05:302011-02-09T23:45:39.351+05:30balatkar rokne me parivar hi saksham hai .ladko ko...balatkar rokne me parivar hi saksham hai .ladko ko shuru se hi sanskar yukt karna jaroori hai .Shalini kaushikhttps://www.blogger.com/profile/10658173994055597441noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-82416059787156205292011-02-09T18:06:50.110+05:302011-02-09T18:06:50.110+05:30रचना,
बहुत सही बात उठाई है, ...रचना,<br /><br /> बहुत सही बात उठाई है, मर्द ये सब काम वह कर रहे हैं जो इस शब्द का अर्थ भी नहीं समझते हैं और उनके लिए मर्दानगी के मद में ये भी नहीं समझ आता है की वे कर क्या रहे हैं? फिर हो क्यों नहीं ऐसे मामले दबाने में और प्रताणित युवतियों के माँ बाप को ही प्रताड़ित किया जाता है. पुलिस अपनी मर्दानगी गरीबों पर दिखाती है. दबंग अपनी मर्दानगी गरीब और असहायों पर दिखाते हैं.<br />रही बात तुम्हारी छवि के ख़राब होने की तो हम सब पहले इंसान तो बन लें फिर किसी और की बात करें. छवि किसी के इंसान के बनने से नहीं बनती है. वैसे सच कहने वालों की छवि वैसे भी ख़राब ही होती है. इसकी चिंता मत करो. सब अपने अपने माथे पर तिलक करके महान बन रहे हैं तो सही है लेकिन किसी को गलत या ख़राब करने का हक़ उनको दे कौन रहा है?रेखा श्रीवास्तवhttps://www.blogger.com/profile/00465358651648277978noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-21692528107355509292011-02-09T16:14:01.230+05:302011-02-09T16:14:01.230+05:30जी रचना जी, ठीक वैसे ही जैसे स्त्री की छवि इनके मन...जी रचना जी, ठीक वैसे ही जैसे स्त्री की छवि इनके मन में क्या है यह हम सब जानते हैं.ghughutibasutihttps://www.blogger.com/profile/06098260346298529829noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-74534128062037338552011-02-09T15:53:54.306+05:302011-02-09T15:53:54.306+05:30mera kament wahaan ab publish kar diyaa gayaa haen...mera kament wahaan ab publish kar diyaa gayaa haen jo monica ji kae kament sae pahlae thaa par roka hua thaa <br /><br />aur us kament kae jwaab mae kehaa gyaa haen ki <br /><br />" meri chhavi is blog jagat mae kyaa haen sab jaantey haen "" !!!!!रचनाhttps://www.blogger.com/profile/03821156352572929481noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-56872423065202524912011-02-09T14:58:15.674+05:302011-02-09T14:58:15.674+05:30बात निकली है तो दूर तलक जाएगी. मैं तो आज इतने दिन ...बात निकली है तो दूर तलक जाएगी. मैं तो आज इतने दिन बाद कम्प्यूटर पर आई ही इस विषय पर लिखने के लिए थी.किन्तु इन टिप्प्णियों में ही उलझ गई.<br />एक और टिप्पणी वहाँ छोडी है जो यहाँ भी प्रासंगिक है. सो दे रही हूँ...<br />:) मैं घुघूती बासूती ही हूँ, छ्द्म नाम वाली! और मुझे नहीं लगता कि मैने आपको गलत समझा है. जिसे सुनकर ही हमें लज्जा आती है, हमारे कानों में पिघला सीसा पडने सा दुखद अहसास होता है, जिसे सुनने से भी हम अपने परिवार को बचाने का यत्न करते हैं, जिसे हमारा परिवार सुने भी यह हमें गंवारा नहीं, उसे कोई झेले क्या यह हमें गंवारा होना चाहिए? यदि मीडिया उसे इतना उछाले कि चादर तानकर सोया समाज और उसके नेता जाग जाएँ तो क्या बुराई है? यदि ऐसा नहीं होगा तो देर सबेर हमारे घर की स्त्रियों को भी इस बलात्कार, क्षमा कीजिए, ’जबरदस्ती’" का सामना करना ही होगा, क्योंकि जो दूसरों के साथ होता है वह कभी ना कभी हमारे साथ भी होगा ही और तब पता नहीं कि हम भद्र शब्दों की दुहाई देंगे या रेप रेप चिल्लाती अपनी बच्ची, माँ, दादी ,नानी(विश्वास कीजिए हमारी दादी नानी भी यहाँ सुरक्षित नहीं हैं, भले ही वे संस्कारी हों, भारतीय परिधान पहनती हों तब भी!) के आँसू पोंछेगे. खैर, आशा है कि तब वह स्त्री संयतित तरीके से चीखेगी, हमारी मर्यादा व महान संस्कृति को लज्जित नहीं करेगी.<br />घुघूती बासूतीghughutibasutihttps://www.blogger.com/profile/06098260346298529829noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-55617491411871321042011-02-09T14:19:29.427+05:302011-02-09T14:19:29.427+05:30इस बात से जरा भी इन्कार नहीं किया जा सकता कि टी वी...इस बात से जरा भी इन्कार नहीं किया जा सकता कि टी वी समाचार बार बार दोहराए जाते हैं जैसे वे मन्दबुद्धियों के लिए बने हों, किन्तु यह बात सभी समाचारों पर लागू होती है न कि केवल बलात्कार के समाचारों पर। यह कहना कि वे बलात्कार आदि के समाचार न दें तो वैसा ही है जैसे शुतुरमुर्ग का रेत में सर छिपा लेना़, कबूतर का आँखें बन्द कर लेना।<br />मैंने वहाँ जो टिप्पणी की वह यहाँ भी दे रही हूँ........<br />जी हाँ, बहुत गलत हो रहा है. संस्कृति की रक्षा तो तब ही हो सकती है जब यह सब होता तो रहे किन्तु चुपचाप.ये खबर ना बने, किसी को पता ना चले.यदि लडकी को लज्जा वज्जा हो तो बलात्कार के बाद डूब मरे, परन्तु यह क्या कि संसार को बताती फिरे? बता भी दे तो खबर ना बनाकर चुपचाप बात को पुलिस को आया गया कर देना चाहिये, पुलिस ऐसा ना करे तो मीडिया को चुप लगा लेनी चाहिए.अब बलात्कार कोई बताने लायक बात तो है नहीं चुपचाप झेलकर संस्कृति की रक्षा करने वाली बात है.यह कोई नई बात तो हो नहीं रही, सदा से होती आई है और सदा से हम इसे छिपाते आए हैं. ऐसे ही तो हम अपनी महान संस्कृति को बचाते आए हैं.<br />घुघूती बासूतीghughutibasutihttps://www.blogger.com/profile/06098260346298529829noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-89773656168500168782011-02-09T11:33:02.856+05:302011-02-09T11:33:02.856+05:30यह जितनी भी कथित "मर्दानगी" है वह सिर्फ़ ...यह जितनी भी कथित "मर्दानगी" है वह सिर्फ़ औरतों पर जोर-आजमाइश के लिये ही है… <br /><br />किसी भ्रष्ट नेता को गोली मारने, किसी कमीने IAS को जूते लगाने, किसी गुण्डे को सरेआम चार लात लगाने की अपेक्षा रखते ही, यह "मर्दानगी" गायब हो जाती है…Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/02326531486506632298noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-38985033384733039732011-02-09T11:28:35.304+05:302011-02-09T11:28:35.304+05:30आप कि संवेदन शीलता बनी रहे मोनिका शुक्रिया अपना पक...आप कि संवेदन शीलता बनी रहे मोनिका शुक्रिया अपना पक्ष रखने के लिये । लिंग विभेद इतना गहरा हैं कि एक शब्द ही काफी है सोच को समझने के लिये चावल से सफ़ेद कंकड़ बीनने कि तरह । http://www.deshnama.com/2010/12/blog-post_15.html<br /><br />एक लिंक हैं पढले वहाँ आये कुछ कमेन्ट आप को भी एहसास होगा कि मे केवल एक वाक्य या एक पोस्ट पढ़ कर नारी ब्लॉग पर पोस्ट नहीं देती हूँ । <br /><br />मुझे किसी व्यक्ति विशेष किसी ब्लॉगर विशेष से कोई तकलीफ नहीं हैं हाँ जब विभेद दिखता हैं तो दिखता । पहले के ज़माने मे लोग इग्नोर करते थे , आज भी पाठ महिला को यही पढ़ाया जाता हैं पर मे आपत्ति दर्ज करवा देती हूँ नारी ब्लॉग पर ताकि हिंदी ब्लॉग पर ये विभेद ना फैलाए कोई भीरचनाhttps://www.blogger.com/profile/03821156352572929481noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-84681015832337523882011-02-09T11:22:30.597+05:302011-02-09T11:22:30.597+05:30राजन जी की बात से बिल्कुल सहमत हूं | मीडिया के दोन...राजन जी की बात से बिल्कुल सहमत हूं | मीडिया के दोनों रूप कुछ ना कुछ ज्यादती इन खबरों से कर रहे है किन्तु ये खबरे देश की संस्कृति बिगाड़ रहे है या हमारे बच्चो को ऐसा मै नहीं सोचती हूं | ये मीडिया ही है जो प्रियदर्शनी मट्टू , रुचिका जैसे केस में लोगों को सजा हुई नहीं तो पहले की तरह ये सब भी दब कर रहा जाता | ऐसा नहीं है की इस तरह की घटनाए पहले नहीं होती थी या कम होती थी इतनी ही होती थी पर पहले लोक लाज समाज के डर से लोग पुलिस के पास नहीं जाते थे और चुप रहा जाते थे किन्तु आज मुझे तो लगता है की ये मीडिया द्वारा किया काम ही है जो लड़किया ऐसा कुछ होने पर तुरंत उसके खिलाफ रिपोर्ट लिखवाती है | चीजो को देखने का सभी का अपना अपना नजरिया है |anshumalahttps://www.blogger.com/profile/17980751422312173574noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-84100940419092581412011-02-09T11:10:36.615+05:302011-02-09T11:10:36.615+05:30रचनाजी मैंने उस पोस्ट पर कमेन्ट किया है..... और कम...रचनाजी मैंने उस पोस्ट पर कमेन्ट किया है..... और कमेन्ट यह है......<br /><br /><br /><br />" सच में देश की सभ्यता संस्कृति से खिलवाड़ हो रहा है...... न्यूज़ चेनल्स की कोई आचार संहिता नहीं बची है..... बहुत सही विषय पर बात की आपने ....." <br /><br />जो पूरी तरह से इस सन्दर्भ में है की न्यूज़ चेनल्स किस तरह इन ख़बरों का बाज़ार गर्म रखते हैं...... और बलात्कार की खबर को भी चौबीसों घंटें प्रसारित करते रहते हैं सिर्फ और सिर्फ टी आर पी के मकसद से...........<br />जहाँ तक मर्दानगी से जुड़े इस वाक्य की बात है यह वाक्य पूरी पोस्ट का हिस्सा भर है ....ऐसा हिस्सा जो एक सन्दर्भ की बात करता है.......इसमें इस बात का भी सन्दर्भ है की नेता रोज़ घोटाले कर रहे हैं..... ठीक इसी तरह ......<br />किसी भी पोस्ट का मात्र एक वाक्य उठाकर उसके नये अर्थ गढ़ने के मायने सबके अलग अलग हो सकते हैं....... मैं अपने द्वारा किये गये कमेट्स के लिए पूरी तरह संवेदनशील भी हूँ और पोस्ट को पढ़ती भी हूँ कुछ लिखने से पहले .......बाकी तो आपने लिंक दिया ही है पाठक खुद पढ़ सकते हैं...... डॉ. मोनिका शर्मा https://www.blogger.com/profile/02358462052477907071noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-80961858818302986322011-02-09T10:52:27.912+05:302011-02-09T10:52:27.912+05:30उन्हें शायद पता नहीं कई खबरें तो ऐसी भी होती है जो...उन्हें शायद पता नहीं कई खबरें तो ऐसी भी होती है जो कभी सामने ही नहीं आ पाती.ये बात सही हैं कि इलेक्ट्रॉनिक मीडिया बलात्कार जैसी खबरों को भी मिर्च मसाला लगाकर दिखाता है जिससे लगता है मानो संवेदना नाम की कोई चीज ही नहीं बची वहीं प्रिंट मीडिया इन खबरों को भीतर के पेजों में किसी छोटे से कॉलम में डाल देता है जिससे लगता है कि सब कुछ सामान्य रूप में लिया जाने लगा है दोनों ही तरीके गलत है इस पर सोचा जाना चाहिये लेकिन इन बातो की आड लेकर सच्चाई को झुठलाया नहीं जा सकता.हमें अपनी शक्ल सुधारनी चाहिये आईना तोडने से क्या होगा.राजनhttps://www.blogger.com/profile/05766746760112251243noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-89282341457852992572011-02-09T10:28:24.609+05:302011-02-09T10:28:24.609+05:30छि!
कैसे-कैसे सोच लिए फिरते हैं लोग!
मर्दानगी की ब...छि!<br />कैसे-कैसे सोच लिए फिरते हैं लोग!<br />मर्दानगी की बात ...?!<br />पहले इंसान तो बन लें ...!!मनोज कुमारhttps://www.blogger.com/profile/08566976083330111264noreply@blogger.com