tag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post1586928894166544284..comments2023-12-02T14:56:14.755+05:30Comments on नारी , NAARI: स्त्रीदेह : कितनी ढँके, कितनी उघड़ेरेखा श्रीवास्तवhttp://www.blogger.com/profile/00465358651648277978noreply@blogger.comBlogger7125tag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-68117371121775913872008-10-20T10:59:00.000+05:302008-10-20T10:59:00.000+05:30By providing an exclusive platform for women you h...By providing an exclusive platform for women you have done a good job.congrats.MEDIA WATCH GROUPhttps://www.blogger.com/profile/17522086972471588149noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-53909813198679132722008-10-11T20:54:00.000+05:302008-10-11T20:54:00.000+05:30कौन से कपड़े पहनना चाहिये, यह पूरी तरह से व्यक्तिगत...कौन से कपड़े पहनना चाहिये, यह पूरी तरह से व्यक्तिगत मामला है, लेकिन चूंकि यह एक मिला-जुला समाज है इसलिये उन कपड़ों का किस पर कैसा असर पड़ेगा इसका भी ध्यान रखना जरूरी है खुद उस नारी की सुरक्षा के लिये… और कोई स्त्री कपड़े कैसे भी पहने यह तो उसे ही तय करना है कि वह अवसर और माहौल के मुताबिक सही हैं या नहीं…Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/02326531486506632298noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-33789783010344958982008-10-11T11:15:00.000+05:302008-10-11T11:15:00.000+05:30बस ज़रूरत इतनी है कि वो ऐसे लिबास में हो जिस में डी...बस ज़रूरत इतनी है कि वो ऐसे लिबास में हो जिस में डीसेंट लगे बस....rakhshandahttps://www.blogger.com/profile/08686945812280176317noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-46623474818447463902008-10-11T09:15:00.000+05:302008-10-11T09:15:00.000+05:30बेहद रोचक और सार्थक आलेख ... बधाई स्वीकारें समय ...बेहद रोचक और सार्थक आलेख ... बधाई स्वीकारें <BR/>समय निकाल कर मेरे ब्लॉग पर भी पधारे और <BR/>पढ़ें उद्धव ठाकरे के बयां मुंबई मेरे बाप की पर एक रचनाप्रदीप मानोरियाhttps://www.blogger.com/profile/07696747698463381865noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-30999058716286822082008-10-11T09:04:00.000+05:302008-10-11T09:04:00.000+05:30"गत दिनों स्त्री के वस्त्रों के अनुपात से उसके चरि..."गत दिनों स्त्री के वस्त्रों के अनुपात से उसके चरित्र की पैमाईश करने वाले कई प्रसंग उठते रहे हैं और स्त्री के वस्त्रों को उसके साथ होने वाले अनाचार का मूल घोषित किया जाता रहा है।"<BR/><BR/>कम आयु के लड़को को किस प्रकार से "कन्डीशन" किया जाता हैं . ये उसका एक्साम्प्ल हैं . अपरिपक्व दिमाग मे नारी को " भोग्या " बना कर बिठाने की कोशिश की जाती हैं . <BR/><BR/>नारी की अपनी जरूरते अपनी पसंद का कोई माने नहीं हैं <BR/>मै राज किशोर जी को निरंतर पढ़ती हूँ और बहुत सी बातो से उन से सहमत होती हूँ . व्यक्तिगत रूप से नहीं जानती हूँ उनको पर मै उन से कहना चाहती हूँ की अगर वो अपनी पोस्ट कम शब्दों मे लिखे तो पाठक संख्या बढेगी . प्रबुद्ध पाठक तो इन विचारों को ख़ुद ही जानते हैं पर ब्लॉग का मीडियम , प्रिंट मीडियम से फरक हैं और यहाँ हम अच्छी बातो को जितना आगे बढ़ा सके उतना फायेदा होगा . छोटी पोस्ट कम समय मे पढ़ी जाती हैं .<BR/>कविता इस विषय को आप निरंतर आगे बढ़ा रही हैं थैंक्सAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-30610043229155662142008-10-11T01:46:00.000+05:302008-10-11T01:46:00.000+05:30मैं ने राजकिशोर जी का आलेख पढ़ा है। मैं उन के विचा...मैं ने राजकिशोर जी का आलेख पढ़ा है। मैं उन के विचारों से सहमत हूँ। जब से संपत्ति का संग्रह प्रारंभ हुआ है और मानव समाज में संपत्ति का अधिकार आया है तब से स्त्री-पुरुष के मध्य असमानता का युग प्रारंभ हुआ है। संपत्ति पर व्यक्तिगत अधिकार के साथ ही अंतिम रुप से इस युग का अंत होगा। तब तक स्त्री और पुरुष दोनों ही किसी न किसी रुप में संपत्ति के रुप में देखे जाते रहेंगे और उस की सुरक्षा के विचार भी बने रहेंगे।दिनेशराय द्विवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-6595562939325334932008-10-11T00:34:00.000+05:302008-10-11T00:34:00.000+05:30हम दुनिया के हर इन्सान की सोच तो नही बदल सकते पर अ...हम दुनिया के हर इन्सान की सोच तो नही बदल सकते पर अपनी रक्षा करना हमारा अपना दायित्व है ।Asha Joglekarhttps://www.blogger.com/profile/05351082141819705264noreply@blogger.com