tag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post1488337768484106599..comments2023-12-02T14:56:14.755+05:30Comments on नारी , NAARI: ये सब क्यों और कब तक ???रेखा श्रीवास्तवhttp://www.blogger.com/profile/00465358651648277978noreply@blogger.comBlogger25125tag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-3969835550862968072010-03-10T17:05:03.933+05:302010-03-10T17:05:03.933+05:30"ऐसी स्थितियों में यही होगा.""ऐसी स्थितियों में यही होगा."संजय भास्कर https://www.blogger.com/profile/08195795661130888170noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-20344871748687500852010-02-18T20:02:49.172+05:302010-02-18T20:02:49.172+05:30आचरज है ! स्त्रियों के ऊपर अत्याचार से सम्बन्धित इ...आचरज है ! स्त्रियों के ऊपर अत्याचार से सम्बन्धित इस सीरियस मुद्दे पर सारे कम्मेन्ट्स पुरुषों के ही हैं |Sachin Agarwalhttps://www.blogger.com/profile/16099135914440250374noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-32437716609279908902009-08-16T15:17:30.899+05:302009-08-16T15:17:30.899+05:30vayaki jab habshi ho jata to use kuch samagh me na...vayaki jab habshi ho jata to use kuch samagh me nahi aata ki wo kya karne ja raha haiसंजय भास्कर https://www.blogger.com/profile/08195795661130888170noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-70517418631681273082009-07-08T13:33:54.672+05:302009-07-08T13:33:54.672+05:30अल्लेलाए पपू जी ६ महिना की बच्ची का पहिने
कौन से ...अल्लेलाए पपू जी ६ महिना की बच्ची का पहिने <br />कौन से ब्रांड का डाईपर लगाए नहीं बताए हो , फिर <br />कहोगे गए ऊक्सायाए रही थी सो बलात्कार किये<br />का पडी वासी डाइपर समझते हो नहीं , नहीं <br />तुम्हारी भाषा मे लंगोट और तुम पर्दा मे हो सो हम<br />भी पर्दा मे हैं अब बलात्कार नाहीं होगा ना हमारा<br />ना तुम्हारा क्युकी भय्या समलैंगिक का भी <br />अब हो सके हैं ना .<br />डा ई पर का नाम जरुर बत्यियों , रचना जी इन्हां<br />देदेगी सो बच्चियां के माँ बापा ख़रीदा लेगेAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-56437555623906635342009-07-08T13:15:07.856+05:302009-07-08T13:15:07.856+05:30jab tak koi ladki ya aorat kisi ko uksaye nahi koi...jab tak koi ladki ya aorat kisi ko uksaye nahi koi uska balatkar kaise karega pahle to fari aorato ko apne kapdo aor chal chaln me dhayn dena chahiye phir kisi par dos se to jyada behtar hogaAnonymoushttps://www.blogger.com/profile/16676252408971253721noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-42699078143855754342009-07-06T09:22:29.446+05:302009-07-06T09:22:29.446+05:30रचना जी,
हमारे सामाजिक मूल्यों के पतन का असर और प...रचना जी,<br /><br />हमारे सामाजिक मूल्यों के पतन का असर और पुरातन सामंतवादी सोच जो नारी को केवल भोग्या मानती है आज भी दबे पांव हावी है।<br /><br />केवल एक काम करने वाली बाई का बलात्कार ही मुद्दा नही है, बल्कि रोज होने वाले बलात्कारों के सिरीज में से बाहर निकला हुआ एक अंश मात्र है।<br /><br />क्षोभनीय कृत्य की कड़ी भर्त्सना की जानी चाहिये ( रचना जी यह ना सोचें कि भर्त्सना केवल मरहम या लीपा-पोती है )<br /><br />सादर,<br /><br />मुकेश कुमार तिवारीमुकेश कुमार तिवारीhttps://www.blogger.com/profile/04868053728201470542noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-72758581448645780542009-07-05T00:25:25.999+05:302009-07-05T00:25:25.999+05:30बलात्कार से निपटने के सारे तरीके पुराने और बेअसर स...बलात्कार से निपटने के सारे तरीके पुराने और बेअसर साबित हो रहे है.. बलात्कारीयों की मानसिकता में परिवर्तन दुष्कर है.. देर से सही सभ्य समाज और कानुन को इस पर नये सिरे से गौर करना चाहिये.. कैसे रुके ये.. विशेषकर जब ये सुनते है कि पिता भी नाबालिग के ब्लात्कार का आरोपी है..रंजनhttp://aadityaranjan.blogspot.com/noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-32242172846465338402009-07-03T10:26:44.441+05:302009-07-03T10:26:44.441+05:30दोष कामवाली बाई के कपडों मैं नहीं, दोष तो बलात्कार...दोष कामवाली बाई के कपडों मैं नहीं, दोष तो बलात्कारी की नजरों मैं होता है!!Murari Ki Kocktailhttps://www.blogger.com/profile/15569522375598425870noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-22900704253500280662009-07-02T18:02:17.658+05:302009-07-02T18:02:17.658+05:30बलात्कारी एक मानसिक रोगी होता है..उसे ये मतलब नही ...बलात्कारी एक मानसिक रोगी होता है..उसे ये मतलब नही होता की सामने वाला कौन है और उसकी उम्र क्या है? उस्के लिये तो वो उसकी हवस बुझाने का ज़रिया है और कुछ नही।<br /><br />ऐसे लोगो को एक सुनवाई मे सज़ा दे देनी चाहिये क्यौंकी इस तरह के केस मे कोई गवाह नही होता तो जो पीडित कहे उसे सच मानो और सज़ा दो.....काशिफ़ आरिफ़/Kashif Arifhttps://www.blogger.com/profile/09323578684464948830noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-15870407470208862742009-07-02T13:34:45.192+05:302009-07-02T13:34:45.192+05:30विवेक
आप ब्लोगिंग केवल और केवल समय बिताने के
लिय...विवेक <br />आप ब्लोगिंग केवल और केवल समय बिताने के <br />लिये करते हैं और हंसी माज़क के लिये करते हैं {<br />ये आप ने खुद मुझे एक बार चैट पर कहा था }<br />आप के लिये ब्लोगिंग करना टाइम पास हैं <br />पर सब के लिये नहीं हैं , नारी ब्लॉग पर तो <br />बिलकुल नहीं . आप से निवेदन हैं जब तक कुछ<br />बात सार्थक ना कहनी हो ब्लॉग पोस्ट <br />से जुडी कृपा करके इस ब्लॉग पर कमेन्ट ना <br />किया करे .Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-62029781494440200612009-07-02T12:52:05.930+05:302009-07-02T12:52:05.930+05:30सज़ा कठोर से कठोरतम हो जाये तो स्थिति कुछ सुधरने की...सज़ा कठोर से कठोरतम हो जाये तो स्थिति कुछ सुधरने की उम्मीद की जा सकती है मगर अभी तो तत्काल जमानत और समाज मे वापस उसी मान सम्मान के साथ जीने का मौका मिल जाता है तो कौन डरेगा इस अपराध की सज़ा से।वैसे मै आपकी बात से सहमत हूं दोष कभी भी कपड़ो का नही होता।सवाल मानसिकता का ही है।Anil Pusadkarhttps://www.blogger.com/profile/02001201296763365195noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-73405929331201678652009-07-02T12:44:48.403+05:302009-07-02T12:44:48.403+05:30कपड़ों में कोई दोष नहीं होता इस लिए कपड़े पहनने से प...कपड़ों में कोई दोष नहीं होता इस लिए कपड़े पहनने से परहेज़ नहीं होना चाहिए !विवेक सिंहhttps://www.blogger.com/profile/06891135463037587961noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-85981412640403857012009-07-02T09:37:25.051+05:302009-07-02T09:37:25.051+05:30बलात्कार पुरुष की बर्बर, विकृत, कुंठित मानसिकता की...बलात्कार पुरुष की बर्बर, विकृत, कुंठित मानसिकता की अभिव्यक्ति के अतिरिक्त कुछ नहीं है. आवश्यकता दमन और शमन दोनों ही उपायों से उस मानसिकता को निर्मूल करने की है.Dr. Amar Jyotihttps://www.blogger.com/profile/08059014257594544439noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-4348330751567622542009-07-02T07:18:01.418+05:302009-07-02T07:18:01.418+05:30बलात्कार क्यूँ ? काम वाली बाई के कपड़ो मे क्या दोष ...बलात्कार क्यूँ ? काम वाली बाई के कपड़ो मे क्या दोष था ??<br />बलात्कार कपड़ो के साथ नहीं होता,कपड़े तो उसमें कुछ हद तक बाधा उत्पन्न करते हैं, हां, कम कपड़े पहनकर महिलायें बलात्कार को सुगम बनाकर प्रोत्साहित कर सकतीं हैं.डा.संतोष गौड़ राष्ट्रप्रेमीhttps://www.blogger.com/profile/01543979454501911329noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-44340830663712580332009-07-02T07:06:28.121+05:302009-07-02T07:06:28.121+05:30बलात्कार करने वाले होते हैं कुन्ठित। शारीरिक बनावट...बलात्कार करने वाले होते हैं कुन्ठित। शारीरिक बनावट ही वैसी है बेचारों की। घर पर बीबी घास नहीं डालती (अगर घर पर रहे तो!) कुंवारों को नशीली दवाईयों ने बुद्धि भ्रष्ट कर दिया है। सहज सुलभ नीले साहित्य और टीवी-फिल्मों के सॉफ्ट पॉर्न के चश्मे में सब एक जैसे दिखने लगे हैं। बंधन से मुक्त रहने के नारों ने ज़रूरत से ज़्यादा आजादी दे रखी है। पर्दामुक्त समाज ने सब चेहरे एक जैसे कर दिये हैं क्या बहू, क्या बेटी, क्या चाची, क्या नौकरानी<br /><br />चिंता मत कीजिये। इनसे निपटने के लिये कुछ और चीजों के साथ पर्दा, बाल विवाह, बहु-विवाह जैसी प्रथायें आती ही होंगीं<br /><br />आखिर इतिहास अपने को दोहराता है और वो क्या कहते हैं ना Old is Gold <br /><br />:-)ज्ञानhttps://www.blogger.com/profile/03778728535704063933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-62070772875480890432009-07-01T21:40:31.867+05:302009-07-01T21:40:31.867+05:30यह उस रोग की वीभत्स अभिव्यक्ति है जिससे आजकल कुछ...यह उस रोग की वीभत्स अभिव्यक्ति है जिससे आजकल कुछ तथाकथित पुरूष ग्रस्त हैं। रोग में मरीज की सहमति की दरकार नहीं होती है।अविनाश वाचस्पतिhttps://www.blogger.com/profile/05081322291051590431noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-73582125718116056932009-07-01T21:28:08.044+05:302009-07-01T21:28:08.044+05:30जी हाँ मुझे औरतें अच्छी लगतीं हैं
फायद तुम झूठे
...जी हाँ मुझे औरतें अच्छी लगतीं हैं <br />फायद तुम झूठे <br />और <br />कुंठित <br />प्रतीत होते हो मुझे<br />मैं तुम्हारे वक्तव्य से असहमत हूँ क्योंकि <br />मुझे औरतें अच्छी लगतीं हैं <br />जी हाँ मुझे औरतें अच्छी लगतीं हैं <br />*****************************************<br />एक रात <br />रेल लाइन के पास <br />उस पागल औरत के सुबुकने फिर जोर जोर से <br />गालियाँ देते सुना था ...... वो पगली जो <br />अक्सर बीमार पति की सेवा में रत दिन में मजूरी <br />करती थी फिर पागल हो गई एक दिन <br />पति के मर जाने पर <br />माँ उसे भोजन देती वो बदले में मेरे चिरजीवी होने का आशीष <br />वो पागल औरत एक दिन बीना शटल से कट मरी<br />उस रात माँ भी रोई <br />मैं भी रोया <br />सोचता हूँ <br /> बदहवास पागल से <br />मेरा क्या नाता था ?<br />उसमें क्या मुझे भाता था..?<br />आज भी <br /> वो पागल औरत <br /> सपनों में आती है <br />तब साथ होती मेरी सव्यसाची माँ <br />कभी उसे कम्बल देती <br />कभी संबल देती <br />मुझे स्वप्न में भी भाती है <br />क्योंकि मुझे औरतें अच्छी लगतीं हैं<br />***************************************** <br />मुझे बेहद भावुक कर <br />देती है...<br />साड़ी के नाम पर <br />चीथडों में <br />लिपटी माँ !<br />काले-अधनंगे बच्चे को<br />जब <br />अमियपान करा रही होती है !!<br />लगता है साक्षात पौराणिक स्वर्ग की देवी <br />धरा पर आई है <br />यह औरत मेरे मानस में समाई है <br />क्या...? मुझे यह क्यों भाई ...?<br />क्योंकि मुझे औरतें अच्छी लगतीं हैं <br />*****************************************बाल भवन जबलपुर https://www.blogger.com/profile/04796771677227862796noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-61923383876490087592009-07-01T18:32:27.097+05:302009-07-01T18:32:27.097+05:30समाज में दिनोदिन मानसिक विकृति बढ़ रही है जिसके कार...समाज में दिनोदिन मानसिक विकृति बढ़ रही है जिसके कारण ऐसे अपराध दिनोदिन बढ़ रहे है .समयचक्रhttps://www.blogger.com/profile/05186719974225650425noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-79010964759959412902009-06-30T21:00:17.349+05:302009-06-30T21:00:17.349+05:30कभी दासी बन कर , कभी काम वाली बाई बनकर
इस से समाज ...कभी दासी बन कर , कभी काम वाली बाई बनकर<br />इस से समाज के बदलने का क्या लेना देना है <br />बस फरक इतना हैं की अब ये सब मीडिया की <br />मेहरबानी से खुल कर सामने आ जाता हैं .<br />समाज के चिन्तन व विचार से ही समाज के स्तर का निर्धारण होता है. मानसिक विकृति निःस्न्देह अपराधों को जन्म देती है. मानसिक अशान्ति व अधिकारों का संघर्ष किसी को भी शान्ति से जीने नहीं देगा. संयम व आत्म-नियंत्रण के बिना अपराध बढ़ेगें. कानून और दण्ड न रोक पायेंगे और न कम कर पायेंगे. अपराधी कानून की कठोरता और दण्ड पर विचार करके अपराध नहीं करता. समलैंगिकता की मांग करने वाले युग में यह कोई अधिक गंभीर बात नहीं. जब वैयक्तिक स्वतंत्रता की बात की जाती है तो .......असीमित स्वतंत्रता अपराधों को बढ़ायेगी. इस का नियन्त्राण केवल सामाजिक सर्वोच्चता से ही संभव है. जिसको कोई मानने को तैयार नहीं दिखता.डा.संतोष गौड़ राष्ट्रप्रेमीhttps://www.blogger.com/profile/01543979454501911329noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-50242655721966206192009-06-30T12:12:11.286+05:302009-06-30T12:12:11.286+05:30क्यों कोई
कभी नहीं देखता कि
नारी के और भी
बहुत सार...क्यों कोई<br />कभी नहीं देखता कि<br />नारी के और भी<br />बहुत सारे रूप हैं ?<br />क्यों एक पुरूष<br />सदैव ही उसे<br />भोग लेना चाहता है<br />भले ही उसकी<br />सहमति हो या न ?<br />क्यों हमेशा एक ही<br />नज़र से देखता है<br />वह नारी के अन्य<br />रूपों को भूलकर<br />क्यों नही दे पाता<br />उसे स्त्रियोचित<br />सम्मान जिसकी<br />हक़दार है वह ?<br />क्यों जाग जाता है<br />पुरूष का पुरुषत्व<br />अबला नारी के सामने<br />जो समर्पित है उसको ?<br />क्यों पुरूष<br />कभी नहीं देखता नारी<br />की पूर्णता, त्याग ,धैर्य<br />उसका मान सम्मान<br />अरे मनुज कभी तो सोचो उस<br />नारी के दर्द को<br />जो हर दर्द में भी रखती है<br />केवल और सदैव ही<br />तुम्हारी खुशी की थोड़ी सी चाह ?<br />bas main apni yah kavita yahan par de rah hoon aur kuchh nahin kahna chahta...डॉ आशुतोष शुक्ल Dr Ashutosh Shukla https://www.blogger.com/profile/01387366020694951811noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-1772889305171448362009-06-30T00:14:20.199+05:302009-06-30T00:14:20.199+05:30पढने में बड़ी ही दिक्कत है .आप ब्लॉग का कलेवर बदलें...पढने में बड़ी ही दिक्कत है .आप ब्लॉग का कलेवर बदलें .RAJ SINHhttps://www.blogger.com/profile/01159692936125427653noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-31199931623502030602009-06-29T20:46:49.730+05:302009-06-29T20:46:49.730+05:30"ऐसी स्थितियों में यही होगा."
औरत पर अ..."ऐसी स्थितियों में यही होगा."<br /><br /><br />औरत पर अत्याचार जिस्मानी तो केवल उसको <br />अपने सम्पति समझने का प्रतीक हैं , एक चीज़<br />जिसकी पुरुष की नज़र मे एक ही कीमत हैं अपनी<br />काम वासना की तुष्टि . <br />कभी दासी बन कर , कभी काम वाली बाई बनकर<br />इस से समाज के बदलने का क्या लेना देना है <br />बस फरक इतना हैं की अब ये सब मीडिया की <br />मेहरबानी से खुल कर सामने आ जाता हैं .Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-11332132945311041112009-06-29T17:53:58.202+05:302009-06-29T17:53:58.202+05:30मेरे विचार में स्थितियां और बिगड़ेगीं क्योंकि अधिका...मेरे विचार में स्थितियां और बिगड़ेगीं क्योंकि अधिकारों व भौतिकवाद की होड़ में घर अब सिर्फ़ मकान बनकर रह गये हैं. अतृप्ति, कुंठा व अशान्ति बढ़ रही है घर भी प्रेम के भंडार नहीं रह गये हैं. ऐसी स्थितियों में यही होगा.डा.संतोष गौड़ राष्ट्रप्रेमीhttps://www.blogger.com/profile/01543979454501911329noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-21311445102444581252009-06-29T16:36:24.527+05:302009-06-29T16:36:24.527+05:30अभी हाल ही में मैंने भी इस बात पर चिंता जताई थी और...अभी हाल ही में मैंने भी इस बात पर चिंता जताई थी और दूसरा ये बात सच है कि पुरुषों को दोगला पन छोड़ कर अपनी सोच बदलनी ही होगी वर्ना काम वाली क्या सड़क, घर पर कोई औरत महफूज नहीं होगी।Nitish Rajhttps://www.blogger.com/profile/05813641673802167463noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-55215170852204070392009-06-29T01:30:01.261+05:302009-06-29T01:30:01.261+05:30यह पुरुष नामक जीव अपनी पत्नी को ही कामवाली समझता ह...यह पुरुष नामक जीव अपनी पत्नी को ही कामवाली समझता है फिर काम वाली को क्या समझता होगा? यह मानसिकता बदलने के ज़रूरत हैशरद कोकासhttps://www.blogger.com/profile/09435360513561915427noreply@blogger.com